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भूमि पेडनेकर ने कहा- फिल्म में किरदार निभाने से पहले अज्ञातवास पर चली जाती हूं

नेटफ्लिक्स की फिल्म लस्ट स्टोरीज में युवक से शारीरिक संबंध बनाने वाली और फिर उसकी शादी तय होने पर परेशान होने वाली बाई का किरदार निभाने वाली अदाकारा भूमि पेडनेकर की जान अब सोन चिरैया में अटकी है। भूमि पेडनेकर की अब तक रिलीज हुई सारी फिल्में कामयाब रही हैं और साल 2019 की शुरुआत भी वह धमाके के साथ ही करना चाहती हैं। लेकिन, कम लोगों को ही पता होगा कि अपनी हर फिल्म से पहले भूमि अब भी अज्ञातवास मे चली जाती हैं।

जी हां, अज्ञातवास।ये अज्ञातवास ही है जिसने भूमि को हर बार उनके किरदार के लिए तारीफ दिलाई। अपनी अगली फिल्म सोनचिड़िया के लिए बिताए गए अज्ञातवास के बारे में पूछने पर भूमि बताती हैं, ‘मैं क्या करती हूं कि हर फिल्म के लिए खुद को पूरा बदल देती हूं। इतना कि किरदार और कलाकार का फर्क ही मिट जाता है। मैं भूल जाती हूं कि मैं भूमि हूं। हर किरदार को समझने का एक अलग तरीका होता है। फर्श पर पोछा लगाने को हम भले अनदेखा कर देते हों, लेकिन उसमें भी एक कला है। एक तरह का सौंदर्यबोध भी है। लेकिन, ये सब समझने के लिए आपको खुद को फोकस करना होता है। हर किरदार का तौर तरीका, उसके सोचने का ढंग और उसकी मानसिक दशा ये तीनों समझकर ही मैं परदे पर उस किरदार को जी पाती हूं।’भूमि पेडनेकर- हर फिल्म से पहले अज्ञातवास
तो इस अज्ञातवास के दौरान भूमि से बाहरी दुनिया का संपर्क कैसे होता है? पूछे जाने पर भूमि का जवाब और चौंकाता है, ‘इस दौरान मैं सिर्फ अपने घरवालों के संपर्क में होती हूं। बाहर की दुनिया से कोई मुझे संपर्क नहीं कर सकता। मेरा क्या है कि मैं बहुत ही चंचल स्वभाव की हूं। और जब तक कि मैं अपने किरदार को समझ नहीं लेती, परेशान रहती हूं। इसके लिए जरूरी होता है जीवन से वह सबकुछ हटा देना जिसकी उस किरदार को जीने के लिए जरूरत नहीं है।
सोनचिड़िया में अपने किरदार के लिए भी भूमि ने तमाम तरीके अपनाए हैं। वह बताती हैं, ‘अभिषेक चौबे ने जैसे ही मुझे मेरा किरदार बताया। मैंने तय कर लिया कि मुझे क्या करना होगा। मैंने स्क्रिप्ट ली और खुद को पूरे 30 दिन के लिए अपने घर में कैद कर लिया। पूरा एक महीना मैं थी और बस ये किरदार था। फिर शूटिंग शूरू होने से हफ्ता भर पहले मैं फिल्म की शूटिंग की लोकेशन्स पर पहुंच गई। जब तक बाकी लोग शूटिंग के लिए पहुंचे, तब तक मैं वहां की मिट्टी, हवा, और पानी में घुल चुकी थी।’