कुम्भ को बनाया दिव्य
दुनिया का सबसे बड़ा आध्यत्मिक मेला कुम्भ, इस बार उत्तर प्रदेश की धरती पर संगम नगरी प्रयागराज में आयोजित हो रहा है। यूं तो कुम्भ मेला उप्र, उत्तराखण्ड, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र प्रांतों में भी आयोजित होता रहा है और भविष्य में भी होगा, लेकिन कमोबेश यह पहला मौका होगा जब कुम्भ का आयोजन होगा और उस दौरान उस संबंधित प्रदेश का मुखिया कोई भगवाधारी होगा। यह सौभाग्य उप्र को हासिल हो पाया है। दरअसल बतौर उप्र के मुख्यमंत्री पद की कमान गोरक्षपीठ, गोरखपुर के महंत योगी आदित्यनाथ के हाथ में हैं। धर्म, अध्यात्म और सनातन संस्कृति के विस्तार का बीड़ा उठाने वाली गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर ने इस बार कुम्भ को ऐतिहासिक बनाने का जो संकल्प लिया, वह अब साकार होने जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी इस बार के कुम्भ को इतिहास में दर्ज कराने जा रहे हैं। इस बार कुम्भ की दिव्यता और भव्यता को लेकर बतौर धर्माचार्य योगी शुरू से ही पूरी तरह दृढ़ संकल्पित दिखे। बकायदा उप्र सरकार के बजट में कुम्भ को लेकर भारी-भरकम बजट की व्यवस्था की और फिर शुरु किया प्रयागराज का कायाकल्प अभियान। कुम्भ के लिए योगी सरकार बाकी अवस्थापना सुविधायें की शुरुआत करने के साथ ही इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया। कुंभ 2019 की ब्रांडिंग करने में जहां सरकार पूरा जोर लगा रही है, वहीं तीर्थों के राजा प्रयाग की तस्वीर भी बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रयागराज की खूबसूरती बढ़ाने के लिए सड़क किनारे की सरकारी दीवारों को रंगकर उनका सौन्दर्य बढ़ाया। देश के अलग-अलग हिस्से से आए कलाकार रंगाई पुताई करके प्रयागराज को चमकाया। यहां तक कि संगम के आसपास के इलाकों में पेड़-पौधों को भी अलग-अलग रंगों में रंगा गया है। साथ ही इन पर पौराणिक कथाओं के चरित्रों को उकेरा गया है। सेल्फी के बढ़ते प्रचलन के बाद यहां सेल्फी प्वॉइंट तक बनाए गए हैं। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुम्भ को उचित ‘थीम’ देते हुए ‘स्वच्छ कुंभ, सुरक्षित कुंभ’ का नारा भी दिया, ताकि कुंभ से दुनिया को संदेश भेजा जा सके। उनका मानना है कि कुम्भ मेला के स्वच्छाग्रही एवं स्वच्छता कर्मी इस महापर्व के नींव के पत्थर हैं। जिस प्रकार एक विशाल इमारत के लिए नींव का मजबूत होना आवश्यक होता है, उसी प्रकार किसी भी कार्यक्रम के लिए स्वच्छता भी आवश्यक है। इसीलिए उन्होंने ‘स्वच्छ कुंभ, सुरक्षित कुंभ’ की ‘थीम’ दी है, ताकि कुंभ से दुनिया को संदेश भेजा जा सके। प्रयागराज के कुम्भ में 1.22 लाख से अधिक पर्यावरण के अनुकूल शौचालय बनाने और 40,000 हजार स्ट्रीट लाइट लगाने का कार्य किया गया है। यह सब स्वच्छता के अभियान में एक नई गति प्रदान करेगा। कुम्भ मेला को दिव्य और भव्य बनाना ही मुख्यमंत्री योगी का एकमात्र ध्येय है। मेले से पहले वे स्वयं आधा दर्जन से अधिक बार तैयारियों का जायजा ले चुके हैं। कुम्भ मेले में आने वाले साधू, संतों व अखाड़ों को कोई कठिनाई न हो इसकी श्रेष्ठतम व्यवस्था की गयी है। साथ ही कल्पवास करने को आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी व्यापक प्रबंध किए गए हैं।
प्रयागराज कुम्भ-2019 के तहत खुसरोबाग के आधुनिकीकरण, सुदृढ़ीकरण एवं सौन्दर्यीकरण के लिए 1264.10 लाख रुपए के लागत के कार्यों का लोकार्पण करने के अलावा कई और ऐसी परियोजनाएं हैं जिन्हें उप्र सरकार ने समय रहते पूरा कर लिया है। मुख्यमंत्री प्रयागराज के लिए 24004.88 लाख रुपए की धनराशि की 81 परियोजनाओं का लोकार्पण भी कर चुके हैं। अर्धकुम्भ को वैभवशाली बनाने में जुटी योगी सरकार ने पर्याप्त धन की व्यवस्था तो कर ली है साथ ही कुम्भ और उससे जुड़ने वाले इलाकों को भी विकसित किया गया है। प्रयागराज में 10 फ्लाईओवर का निर्माण कराकर कुंभ तक यात्रियों की पहुंच सुगम करने के भी इंतजाम किया गया है। योगी सरकार ने कुम्भ मेले को भव्य बनाने के लिए 2800 करोड़ का प्रावधान किया है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रहने की व्यवस्था के लिए पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। मेला क्षेत्र में 10 हजार व्यक्तियों की क्षमता वाला गंगा पण्डाल का निर्माण किया गया है वहीं 5 सांस्कृतिक पण्डालों के निर्माण के साथ ही 20 हजार की क्षमता वाला यात्री निवास व सेक्टर ऑफिसेस सामान्य टेण्टेज प्लान भी तैयार है। कुंभ में श्रद्धालुओं को असुविधा न हो इसके लिए पुलिस विभाग ने ट्रैफिक प्लान तैयार किया है। लगभग 1300 हेक्टेयर में 82 पार्किंग स्थलों का निर्माण स्वीकृत है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी कुम्भ मेला शुरू होने से करीब दो सप्ताह पूर्व प्रयागराज का दौरा कर इसे और दिव्यता प्रदान करने की दिशा में ‘टिप्स’ दे गए हैं। कुम्भ के इतिहास में यह प्रथम बार हो रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं प्रयागराज की धरती पर गंगा पूजन कर विश्व के सबसे बड़े आयोजन कुम्भ की शुरुआत की है। इस कुम्भ के भव्य आयोजन की तैयारियों को देखने के लिए विभिन्न देशों के राजदूतों ने संगम क्षेत्र का भ्रमण किया तथा अपने राष्ट्रध्वजों को भी फहराया। कुम्भ के दृष्टिगत प्रयागराज में विभिन्न विकास के स्थायी कार्य कराए गए हैं, जो कुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं, पर्यटकों को एक नया अनुभव देंगे। 450 वर्षों के बाद अक्षयवट एवं सरस्वती कूप आमजन के दर्शन के लिए खोला गया है। मुख्यमंत्री का मानना है कि पूरी दुनिया में प्रयागराज का चमकता-दमकता एवं सुन्दर स्वरूप दिखायी दे रहा है। यह भी सच है कि वैदिक एवं पौराणिक काल से ही प्रयाग की धरती सम्पूर्ण विश्व को निरंतर एक प्रेरणा प्रदान करती आयी है और मानवता का संदेश देती है। योगी सरकार ने कल्पवासियों को बेहद सस्ती दरों पर राशन उपलब्ध कराने की भी व्यवस्था की है। 55 दिन तक चलने वाले इस मेले में कल्पवास करने वाले श्रद्धालुओं को सरकार 17 रुपये प्रति किलो की दर से चीनी उपलब्ध कराने जा रही है। इसके अलावा आटा और चावल भी सस्ती दरों पर सुलभ होगा।
इसके अलावा मेला स्थल में अमूल और मदर डेयरी द्वारा 48 मिल्क बूथ भी लगाए गए हैं। कुंभ मेले में कल्पवासियों के लिए दो महीने के लिए डेढ़ लाख अस्थायी राशन कार्ड बनायेंगे। इस राशन कार्ड पर एक यूनिट पर 3 किलो आटा और दो किलो चावल मिलेगा। इसके अलावा चीनी और मिट्टी का तेल भी दिया जाएगा। खाने के 40 स्टॉल भी शुरू किए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार ने कुम्भ के दौरान कल्पवासियों को चावल-आटा, राशन, चीनी, मिट्टी का तेल और गैस के लिए कुल 31.10 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गयी है। सरकार कुम्भ मेले के लिए 7834 मीट्रिक टन गेहूं, 5384 मीट्रिक टन चावल और 3174 मीट्रिक टन चीनी मुहैया कराई है। इस सामग्री को बेहद घटी दरों पर श्रद्धालुओं को दिया जाएगा। कल्पवासियों को भोजन की दिक्कत न हो, इसके लिए 20,000 अस्थाई गैस कनेक्शन दिए गए हैं और एक लाख से अधिक रीफिल एलपीजी गैस सिलेंडरों का इंतजाम भी किया गया है। लोगों को रसद की आसानी से आपूर्ति हो, इसलिए खाद्य एवं रसद विभाग ने मेला परिसर में छह डिपो बनाए हैं। साथ ही करीब 50 सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को इस व्यवस्था की देखरेख के लिए तैनात किया गया है। यहां यह भी गौर करने वाली बात यह है कि केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में और उप्र में योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व में हिन्दुत्व की आधारभूत सोच वाली सरकारें हैं। साल 2019 में ही ठीक कुम्भ के बाद लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में देश की बहुसंख्यक हिन्दू आबादी पर डोरे डालने के लिए भी कुम्भ बेहतर अवसर है। इस मेले में पांच से आठ करोड़ की आबादी के आने की संभावना जतायी जा रही है। मेले में आने वाले श्रद्धालुओं का केन्द्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों से भी परिचय कराया जायेगा। भाजपा के लिए कुम्भ मेला लोकसभा के पहले प्रचार का सबसे उत्कृष्ट समय है। पूर्व में जब उज्जैन, मप्र में कुम्भ का आयोजन हुआ था तब भी केन्द्र और मप्र में भाजपा की ही सरकारें थीं। उस दौरान कुम्भ की उतनी चर्चा नहीं हुई जितनी कि आज हो रही है। साफ है कि 2019 का चुनाव सिर पर है, ऐसे में भाजपा कोई भी अवसर हाथ से नहीं जाने देना चाहती है और इसका राजनैतिक लाभ लेने की पूरी तैयारी है।
जितेन्द्र शुक्ल