सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एनवी रमना ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अंतरिम निदेशक के रूप में एम. नागेश्वर राव की नियुक्ति को चुनौती देती याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। जस्टिस रमना ने मामले से खुद को अगल करते हुए गुरुवार को कहा कि एम. नागेश्वर राव उनके पैतृक नगर शहर से हैं।
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एनवी रमना ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अंतरिम निदेशक के रूप में एम. नागेश्वर राव की नियुक्ति को चुनौती देती याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। जस्टिस रमना ने मामले से खुद को अलग करते हुए गुरुवार को कहा कि एम. नागेश्वर राव उनके पैतृक नगर से हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि वो राव की बेटी की शादी में शामिल हुए थे। इतना कहने के बाद रमना ने खुद को मामले से अलग कर मामले को उचित बेंच के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) के पास भेज दिया। राव मामले से खुद को अलग करने वाले रमना तीसरे न्यायाधीश हैं। उनसे पहले प्रधान न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी ने भी इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) कॉमन कॉज ने केन्द्र द्वारा सीबीआई के अंतरिम निदेशक के रूप में नागेश्वर राव की नियुक्ति के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
गैर सरकारी संगठन ‘कॉमन कॉज’ और आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने राव की नियुक्ति को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। एनजीओ के वकील प्रशांत भूषण ने कहा था, ‘इस याचिका में एम. नागेश्वर राव को सीबीआई के अंतरिम निदेशक के पर नियुक्त करने के केंद्र के 10 जनवरी की आदेश को रद्द करने की मांग की गई है, क्योंकि यह गैरकानूनी, मनमाना, बदनीयती से लिया गया फैसला है और उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। साथ ही यह दिल्ली पुलिस विशेष प्रतिष्ठान (डीपीएसई) अधिनियम और आलोक वर्मा व विनीत नारायण मामले में शीर्ष अदालत के फैसले का उल्लंघन है।’ रमना से पहले सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी ने इस मामले से खुद को अलग करते हुए कहा था कि वो 10 जनवरी को हुई उस चयन समिति की बैठक का हिस्सा थे, इसलिए मामले में बने रहने के लिए अपनी अक्षमता जाहिर की, बता दें कि सीकरी सर्वोच्च न्यायालय की उस पीठ की अध्यक्षता कर रहे थे, जिसे इस मामले में एनजीओ कॉमन कॉज की याचिका पर सुनवाई करनी थी।
सीकरी ने कहा था कि अगर यह प्रशासनिक आधार पर होता तो वह मामले को सूचीबद्ध करने को लेकर प्रधान न्यायाधीश गोगोई से बात करते। हालांकि, सीकरी के इस मामले से खुद को अलग करने के बाद एनजीओ के वकील दवे ने कहा, ‘यह वास्तव में निराशाजनक है।’ सीकरी के अलावा भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई भी खुद को इस मामले से अलग कर चुके हैं। जस्टिस गोगोई ने सुनवाई से खुद को अलग करने के बाद कहा था कि वह अगले CBI के डायरेक्टर का चयन करने वाली समिति की बैठक का हिस्सा होंगे। साथ ही उन्होंने कहा था कि इस याचिका पर दूसरी बेंच सुनवाई करेगी। बता दें कि सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक राव को केंद्र द्वारा सीबीआई के नए निदेशक की नियुक्ति होने तक 10 जनवरी को अंतरिम प्रमुख का प्रभार सौंपा था। इससे पहले उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने आलोक वर्मा को भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण सीबीआई प्रमुख पद से हटा दिया था।