डायबिटीज में रामबाण है एक्सरसाइज, बेहतर होती है इंसुलिन संवेदनशीलता
जीवनशैली : इंसुलिन हमारे शरीर में बनने वाला एक हॉर्मोन है जो हमारे ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करता है। यह हमारे शरीर में अग्नाशय या पैंक्रियाज नामकी एक ग्रंथि में बनता है। इसके असर से खून में मौजूद शुगर हमारे शरीर की कोशिकाओं में स्टोर हो जाती है। डायबिटीज में हमारे शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति संवेदनशील नहीं रह जातीं और शुगर उनमें स्टोर न होकर खून में मौजूद रहती है। कोशिकाएं फिर से इंसुलिन के प्रति संवेदनशील हों इसके लिए डॉक्टर शुगर के मरीजों को तमाम दवाएं देते हैं। लेकिन पिछले कुछ बरसों में वैज्ञानिकों ने देखा है कि अगर शुगर के मरीज या जिन लोगों को शुगर की आशंका है वे हफ्ते में कुछ दिन कसरत करें तो इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाई जा सकती है।
हाई इंटेसिटी रेसिसटेंस एक्सर्साइज : हाल ही में हुई एक स्टडी में तो यहां तक दावा किया गया है कि हर सप्ताह में महज तीन दिन भी केवल 15-15 मिनट के लिए हाई इंटेसिटी रेसिसटेंस एक्सर्साइज की जाए तो भी शरीर की इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाई जा सकती है।
हाई इंटेसिटी रेसिसटेंस एक्सर्साइज में मांसपेशियों की क्षमता बढ़ाई जाती है। इसमें प्रमुख हैं ऐरोबिक्स और स्ट्रेंग्थ ट्रेनिंग :
ऐरोबिक एक्सर्साइज : शुगर लेवल को नियमित रखने के लिए हफ्ते में कम से कम पांच दिन 30 मिनटों तक ऐरोबिक एक्सर्साइज करनी चाहिए। या यों कहें कि एक सप्ताह में कुल 150 मिनट कसरत करनी चाहिए। कोशिश करें कि ऐसा न हो कि बिना कसरत किए दो दिन रहा जाए। शुरू में अधिक समय न निकाल सकें तो हर दिन 5 से 10 मिनट से शुरुआत कर सकते हैं। धीरे-धीरे समय को बढ़ाया जा सकता है । ऐरोबिक एक्सर्साइज में तेज-तेज चलना, साइक्लिंग, डांसिंग, स्विमिंग, टेनिस खेलना, सीढिय़ां चढऩा, जॉगिंग या रनिंग शामिल हैं।
स्ट्रेंग्थ ट्रेनिंग : स्ट्रेंग्थ ट्रेनिंग करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि शरीर इंसुलिन के प्रति ज्यादा संवेदनशील बनता है। टाइप 2 डायबिटीज की एक वजह शरीर में इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता न होना भी है। इससे आपकी मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत बनेंगी। डॉक्टर सलाह देते हैं कि ऐयरोबिक्स के अलावा हफ्ते में कम से कम दो दिन स्ट्रेंग्थ ट्रेनिंग करनी चाहिए। इसमें वजन उठाना या रेसिस्टेंस बैंड का इस्तेमाल करना शामिल है।