मध्य प्रदेश में बाघों से सुरक्षा के लिए चरवाहों को हेलमेट
भोपाल(एजेंसी)। ‘एमपी अजब है, सबसे गजब है’ यह स्लोगन भले ही मध्य प्रदेश में पर्यटकों लुभाने के लिए बनाया गया हो, मगर वाकई में यह प्रदेश अजब और गजब है, तभी तो वन विभाग ने बाघों से सुरक्षा के लिए चरवाहों को हेलमेट बांट दिए हैं। राज्य के बाघ संरक्षित राष्ट्रीय उद्यानों में गांवों की बसाहट है और चरवाहे मवेशियों के साथ उन इलाकों में पहुंच जाते हैं, जहां बाघ उन्हें निशाना बना लेते हैं। बाघों से रहवासियों और चरवाहों को नुकसान कम हो, इसका उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन ने नायाब तरीका खोजा है। वह चरवाहों को बचाने के लिए हेलमेट बांट रहा। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, उद्यान प्रबंधन ने बाघों से सुरक्षा के लिए 4० से ज्यादा चरवाहों और ग्रामीणों को हेलमेट बांट दिए हैं। इतना ही नहीं प्रबंधन ने सीने की सुरक्षा के लिए चेस्ट गार्ड भी मंगाए जाने की तैयारी चल रही है। उद्यान के उप प्रबंधक (डिप्टी डायरेक्टर) दिनेश गुप्ता ने चर्चा के दौरान स्वीकार के ग्रामीणों को बाघ से सुरक्षा दिलाने के लिए हेलमेट बांटे गए हैं, इसका मकसद बाघ क हमले के दौरान सिर की सुरक्षा है। प्रबंधन आगामी समय में बजट की उपलब्धता के अनुसार और भी हेलमेट बांटेगा साथ ही चेस्ट गार्ड बांटने की भी योजना है। बांधवगढ़ उद्यान क्षेत्र के ग्रामीण भी इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं कि क्या हेलमेट उनकी जान की रक्षा कर पाएगा। इतना ही नहीं वे तो सवाल भी कर रहे हैं कि प्रबंधन आखिर चाहता क्या है।
वन्यप्राणी जगत के कार्यकर्ता अजय दुबे ने कहा है कि ‘संभवत: यह वाइल्ड लाइफ के जगत में पहला ऐसा मामला होगा, जब उद्यान प्रबंधन ही ग्रामीणों को खतरे वाले स्थान में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। सवाल उठता है कि क्या बाघ सिर्फ सिर और सीने पर ही हमला करता है। प्रबंधन का यह फैसला, बगैर किसी वैज्ञानिक परीक्षण और अविवेकपूर्ण है।’ दुबे का आगे कहना है कि उद्यान प्रबंधन को यह कदम उठाना चाहिए कि ऐसी स्थिति ही निर्मित न हो कि बाघ और इंसान का सामना हो, मगर वह तो ग्रामीणों को उस ओर धकेलने का काम कर रहा है, जहां पहुंचकर ग्रामीण या चरवाहे का बचना मुश्किल है।