दिवालिया होने की कगार पर पहुंची अनिल अंबानी की आर कॉम
देश के जाने-माने बिजनेस टायकून और रिलायंस घराने से ताल्लुक रखने वाले अनिल अंबानी का कम्यूनिकेशन बिजनेस दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है. भारत में कभी मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों में टॉप पर रही रिलायंस कम्युनिकेशन लिमिटेड ने दिवालिया होने का आवेदन देने का फैसला किया गया है. अनिल अंबानी की नेतृत्व वाली रिलायंस कम्यूनिकेशन लिमिटेड ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मुंबई बेंच में दिवालिया याचिका दायर करने का फैसला किया है.
शुक्रवार को जारी एक बयान में अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली फर्म ने कहा कि कंपनी ने NCLT के प्रावधानों के तहत डेब्ट रेजूलेशन प्लान पर काम करने का फैसला किया है. कंपनी के मुताबिक इसे उधार देने वालों के बीच सहमति नहीं बन पाई है. इसके अलावा कई कानूनी चुनौतियों की वजह से भी कर्ज के निपटारे में आरकॉम को दिक्कत आ रही है.
कर्ज में डूबी टेलिकॉम कंपनी आरकॉम ने कहा, “रिलायंस कम्युनिकेशंस के निदेशक मंडल ने एनसीएलटी के माध्यम से ऋण समाधान योजना लागू करने का निर्णय किया है. कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने शुक्रवार को कंपनी की कर्ज निपटान योजना की समीक्षा की. बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने पाया कि 18 महीने गुजर जाने के बाद भी संपत्तियों को बेचने की योजनाओं से कर्जदाताओं को अब तक कुछ भी नहीं मिल पाया है.
कंपनी ने बयान में कहा, “इसी के आधार पर निदेशक मंडल ने तय किया कि कंपनी एनसीएलटी मुंबई के जरिये तेजी से समाधान का विकल्प चुनेगी. निदेशक मंडल का विचार है कि यह कदम सभी संबंधित पक्षों के हित में होगा. कंपनी ने NCLT की शरण में जाने के फैसले के पीछे का तर्क बताते हुए कहा कि कंपनी को उधार देने वाले 40 देशी और विदेशी संस्थाओं में पूरी तरह से मतभेद है. हालांकि पिछले 12 महीनों में इनके बीच सहमति बनाने के लिए 45 बैठकें की गईं. इसके अलावा हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और दूरसंचार विवाद एवं अपील अधिकरण (TDSAT) के पास कंपनी के खिलाफ दर्जनों मामले लंबित हैं. कंपनी ने कहा कि इन जटिलताओं की वजह से कंपनी NCLT के पास गई है. यहां पर सभी के कर्जों का पारदर्शी और समयबद्ध प्रक्रिया में यानी 270 दिनों के अंदर निपटारा हो सकेगा.
कंपनी ने बयान में कहा कि आरकॉम और इसकी दो सब्सिडरी कंपनियां रिलायंस टेलिकॉम और रिलायंस इंफ्राटेल लिमिटेड बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के निर्णय को लागू करने के लिए जरूरी कदम उठाएगा. बयान के मुताबिक इस फैसले का कंपनी के दूसरी सब्सिडरी कंपनियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.