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डिजिटल दुनिया में हिंदी को बढ़ावा दें : मोदी

hindi11भोपाल (एजेंसी)। भोपाल में गुरुवार को तीन दिवसीय 1०वें विश्व हिंदी सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुनिया के विभिन्न देशों में हिंदी के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ रहा है, इसलिए जरूरी है कि हिंदी को और समृद्ध व सशक्त बनाने की दिशा में प्रयास किए जाएं। इसके साथ हिंदी को अन्य भारतीय भाषाओं से जोड़ते हुए उसका डिजिटल दुनिया में उपयोग बढ़ाना होगा।
विश्व हिंदी सम्मेलन के आयोजन स्थल लाल परेड मैदान में बसे माखनलाल चतुर्वेदी नगर में रामधारी सिंह दिनकर सभागार में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने विदेशी प्रवासों का जिक्र करते हुए कहा कि इन प्रवासों के दौरान उन्हें पता चला है कि दुनिया के अन्य देशों में हिंदी के क्षेत्र में कितना काम हो रहा है और वे हिंदी को कितना पसंद करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में हिंदी का महत्व और बढ़ने वाला है, क्योंकि भाषा शास्त्रियों का मत है कि जिस तरह से दुनिया बदल रही है उसके चलते 21वीं शताब्दी के खत्म होने तक छह हजार भाषाओं में से 9० प्रतिशत भाषाएं विलुप्त हो जाने की संभावना दिखाई दे रही है। इस चेतावनी को अगर हम न समझे और हमने अपनी भाषा का संरक्षण नहीं किया तो वह आर्कलॉजी का विषय बन जाएगा, हमारा दायित्व बनता है कि भाषा को समृद्घ कैसे बनाएं, और चीजों को जोड़ें। जब भाषा के दरवाजे बंद किए गए तब भाषा का नुकसान हुआ है।

उन्होंने कहा कि अगर हम हिंदी और रामचरित मानस को भूल जाते हैं तो हमारी स्थिति ठीक वैसी ही होगी, जैसे बगैर पैर के खडे़ हैं। फणीश्वरनाथ रेणु, जयशंकर प्रसाद, मुंशी पे्रमचंद जो हमें दे गए हैं, उसे नहीं पढ़ा तो हम बिहार की गरीबी और ग्रामीण जीवन को नहीं जान पाएंगे। इसलिए भाषा को समृद्घ बनाना होगा। अगर भाषा ही नहीं बची तो इतना बड़ा साहित्य का भंडार और अनुभव कहां बचेगा।
हिंदी, अंग्रेजी, चीनी भाषा का होगा दबदबा :

उन्होंने कहा कि डिजिटल वल्र्ड से दुनिया में बड़ा बदलाव आने वाला है। बाप-बेटा और पति-पत्नी तक वॉट्सएप का इस्तेमाल करने लगे हैं। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि इस क्षेत्र में आने वाले दिनों में तीन भाषाएं अंग्रेजी, चायनीज और हिंदी का दबदबा रहेगा। जो तकनीक से जुडे़ हुए हैं उनका दायित्व बनता है कि वे तकनीक को इस तरह से परिवर्तित करें कि वह भारतीय भाषा और हिंदी के लिए हो।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सम्मेलन को मध्यप्रदेश और भोपाल में आयोजित करने का कारण बताते हुए कहा कि मध्यप्रदेश हिन्दी के लिए समर्पित राज्य है और भोपाल सफल आयोजन करने के लिये विख्यात है। उन्होंने विश्व हिन्दी सम्मेलन के आयोजनों की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 32 वर्षों बाद यह भारत में आयोजित हो रहा है। पहला सम्मेलन 1975 में नागपुर में हुआ था। तब से भोपाल के दसवें सम्मेलन तक आयोजन का स्वरूप बदला है। पहले के सम्मेलन साहित्य केन्द्रित थे लेकिन दसवां सम्मेलन भाषा की उन्नति पर केन्द्रित है।
इस अवसर पर राज्यपाल रामनरेश यादव, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी, राज्यपाल गोवा मृदुला सिन्हा, केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद, झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डा. हर्षवर्धन, गृह राज्य मंत्री ड़ किरण रिजिजू, मॉरीशस की मानव संसाधन एवं विज्ञान मंत्री लीलादेवी दुक्कन, विदेश सचिव अनिल वाधवा, आयोजन समिति के उपाध्यक्ष सांसद अनिल माधव दवे सहित विभिन्न देश से आये हिंदी विद्वान और राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य उपस्थित थे।

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