जाने आतंकी मसूद अजहर की खूनी दास्तान, जैश-ए-मोहम्मद की करतूतें
पुलवामा में आतंकी हमले को अंजाम देने वाला आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद भारत में कई बार खौफनाक हमलों को अमली जामा पहना चुका है. पाकिस्तान में पनाह लेकर आतंकी की फौज तैयार करने वाले इस संगठन का सरगना मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी मसूद अजहर है. माना जाता है कि इस आतंकी गिरोह ने भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में भी आतंकी वारदातों को अंजाम दिया है.
पाकिस्तानी सरंक्षण में जैश-ए-मोहम्मद का मकसद केवल कश्मीर को भारत से अलग करना है. इसकी स्थापना मसूद अज़हर ने मार्च 2000 में की थी. भारत में हुए कई आतंकी हमलों के लिए ज़िम्मेदार जैश-ए-मोहम्मद को पाकिस्तानी सरकार ने दिखावे के लिए जनवरी 2002 में बैन कर दिया था. लेकिन इसका सरगना मसूद अजहर इतना शातिर है कि उसने जैश-ए-मुहम्मद का नाम बदलकर ‘ख़ुद्दाम-उल-इस्लाम’ कर दिया था.
इस आतंकवादी संगठन को भारत के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन ने भी आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल कर रखा है. इसके मुखिया पर एक बड़ा इनाम भी घोषित किया जा चुका है. कहने के लिए पाकिस्तान ने इस संगठन को बैन किया हुआ है, लेकिन उसका सरगना और आतंकी मसूद अजहर वहां खुलेआम भारत के खिलाफ आग उगलता है. भारत पर आतंकी हमलों की साजिश रचता है.
कौन है मसूद अजहर
मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी मौलाना मसूद अज़हर का जन्म बहावलपुर, पाकिस्तान में 10 जुलाई 1968 को हुआ था. उसके 9 अन्य भाई-बहन थे. कुछ एजेंसियां उसके जन्म की तारीख 7 अगस्त, 1968 बताती हैं. अजहर का पिता अल्लाह बख्श शब्बीर एक सरकारी स्कूल का प्रधानाध्यापक था. उसका परिवार डेयरी और पॉल्ट्री के कारोबार से जुड़ा था. इस आतंकी ने बानुरी नगर, कराची के जामिया उलूम उल इस्लामिया नामक मदरसे से तालीमा हासिल की. और वहीं उसका सम्पर्क हरकत-उल-अंसार नामक संगठन से हुआ. जो उस वक्त अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन था. वह उर्दू पत्रिका साद-ए-मुजाहिद्दीन और अरबी पत्रिका सावत-ए-कश्मीर का संपादक भी था.
जैश-ए-मौहम्मद का गठन
हिंदुस्तान में तबाही की नई साजिश रचने वाला आजाद हो चुका था. 31 दिसंबर 1999 को कंधार पहुंचने के बाद मसूद अजहर और उमर शेख सीधे अलकायदा के चीफ ओसामा बिन लादेन से मिलने गए. और एक माह बाद वहां से दोनों आतंकी 31 जनवरी 2000 को पाकिस्तान चले गए थे. उसके बाद कराची की एक मस्जिद में एक हजार हथियारबंद आतंकियों के बीच मसूद अजहर ने जैश-ए- मौहम्मद नामक आतंकी संगठन की स्थापना का का एलान किया था. इससे पहले वो हरकत-उल-मुजाहिदीन के साथ जुड़ा था. लेकिन जैश की स्थापना के बाद हरकत-उल-मुजाहिदीन के ज्यादातर सदस्य मसूद अजहर के साथ शामिल हो गए थे.
कंधार प्लेन हाईजेक की वजह था अजहर
24 दिसंबर 1999, शाम साढ़े 5 बजे नेपाल के काठमांडू में त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से इंडियन एयरलाइंस का विमान आईसी 814 ने दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी. प्लेन में कुल 178 मुसाफिर सवार थे. प्लेन को टेकऑफ के कुछ देर बाद पांच पाकिस्तानी आतंकियों ने हाईजैक कर लिया था. विमान के हाईजैक होने की खबर भारत को मिल चुकी थी. उधर, लाहौर और दुबई होते हुए आतंकी विमान को लेकर अफगानिस्तान के शहर कांधार पहुंच गए थे. उन्होंने मुसाफिरों की रिहाई के बदले भारतीय जेलों में कैद 35 आतंकवादियों की रिहाई और 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मांग की थी. 6 दिन तक भारत सरकार और आतंकियों के सौदेबाजी होती रही और सातवें दिनं भारत की जेलों में बंद तीन आतंकवादियों की रिहाई पर सौदा फाइनल हुआ. ये आतंकवादी थे मौलाना मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद ज़रगर. उस वक्त इन तीनों आतंकवादियों को छोड़कर 148 बेगुनाह लोगों की जान बचाई गई थी.
जैश-ए-मोहम्मद की काली करतूतें
आरोप है कि दिसम्बर 2001 में जैश ने लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर भारतीय संसद पर आत्मघाती हमला किया था. साथ ही फ़रवरी 2002 में जैश ने अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल की गर्दन काटकर उसे मार दिया. मई 2009 में जैश का सदस्य होने का दावा करने वाले चार लोगों को न्यूयार्क में एक यहूदी मंदिर उड़ाने और अमेरिकी सैनिक विमानों पर मिसाइल चलाने का षड्यंत्र रचने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. इसके अलावा 2016 में पठानकोट हमले में भी इसी आतंकी संगठन का नाम आया था.
आतंक के लिए विदेशों से चंदा उगाही
1980 के दशक के आखिर तक मसूद अजहर पर आतंक का जहर पूरी तरह चढ़ चुका था. तब सोवियत संघ और अफगानिस्तान का युद्ध भी चरम पर था. उसी दौरान मसूद अफगानिस्तान में आतंकी ट्रेनिंग लेकर पाकिस्तान लौट आया. 1992 तक मसूद अजहर ने पाकिस्तान में आतंक का जहर फैलाने के लिए चंदा इकट्टा किया. वह अफगानिस्तान में बैठे आतंकियों की मदद करना चाहता था. इस बात से हरकत-उल-मुजाहिदीन आतंकी संगठन का सरगना खलील इतना प्रभावित हुआ कि उसने मसूद को विदेशी दौरे पर भेजना शुरू कर दिया. सबसे पहले मसूद हज यात्रा पर सऊदी अरब गया और उसके बाद उसने अफ्रीकी देश जांबिया और ब्रिटेन से भी लाखों रुपये का चंदा जुटाया. उसने बरमिंघम, नॉटिंघम, लेसेस्टर और लंदन में आतंकी सोच वाले नौजवानो के साथ बैठकें भी की.
भारत पर नापाक नजर
पाकिस्तानी आतंकियों की नजर हिंदुस्तान पर थी. पाकिस्तानी सरकार की शह और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से मसूद अजहर हिंदुस्तान में घुसने की साजिश रचने लगा. वह अपने असली नाम और पहचान के साथ भारत नहीं आना चाहता था क्योंकि उसे पकड़े जाने का डर था. तब मसूद अजहर एक पुर्तगाली पासपोर्ट पर ढाका पहुंचा और वहां से दिल्ली. फिर दिल्ली से श्रीनगर. घाटी में आतंक की आग सुलगने लगी थी. मसूद अजहर को जान गया था कि यही यहां आतंक फैलाने का सही वक्त है. वह कश्मीर की मस्जिदों का इस्तेमाल आतंक के गढ़ के रूप में करना चाहता था.