फोर्टीफाइड उत्पाद के लिए विशिष्ट जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत
लखनऊ : कन्फेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्री के द्वारा संयुक्त सौजन्य से खाद्य पदार्थो में फोर्टिफिकेशन की बढ़ोतरी के लिए नार्थ जोनल कांफ्रेंस बुधवार को लखनऊ में आयोजित की गयी। इस कांफ्रेंस का उद्धघाटन व इनाआॅगरल सम्बोधन अपर मुख्य सचिव खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग डॉ. अनिता भटनागर जैन द्वारा किया गया। विचार.विमर्श का मुख्य बिंदु यह था कि अधिक दोहन के कारण अब मृदा में पर्याप्त माइक्रोन्यूटेज्टं उपलब्ध नहीं हैं जिसके कारण अनेक खाद्य पदार्थो में माइक्रोन्यूटेज्टं को अलग से फोर्टिफिकेशन की प्रक्रिया के माध्यम से जोड़ने की आवश्यकता है। एफएसएसएआईए भारत सरकार के द्वारा वर्तमान में दूधए,तेलए,नमक गेहूँ का आटा,चावल इन 05 स्टेपिल को फोटिफार्ई करने के सम्बन्ध में 2016 निर्देश जारी किए गए हैं। अनेक वक्ताओं के द्वारा यह अवगत कराया गया है कि फोर्टिफिकेशन की प्रक्रिया में बहुत कम अतिरिक्त धनराशि लगती है जिसका अतिरिक्त मूल्य प्रति लीटर अथवा प्रति किलो में कुछ पैसों में आता है जोकि पूर्णता नगण्य हैं। वर्तमान में विश्व के 02 बिलियन लोगों में एक तिहाई लोग जिन्हें विटामिन.डी माइक्रोन्यूटेज्टं की कमी है जिससे हिडन हंगर भी कहते हैं वह भारत में है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में 50 प्रतिशत से भी अधिक महिलायें व बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं। इसी तरह बड़ी संख्या में लोग विटामिन.डी कमी एवं से होने वाली बीमारियों से ग्रसित है। ऐसी स्थिति में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए खाद्य सुध्ढी़करण-फूड फोर्टिफिकेशन एक बहुत ही प्रभावी रणनीति है। एक अध्ययन के अनुसार भारत में 12 सप्ताह की अवधि में फोर्टीफाइड दूध की आपूर्ति से विटामिन.डी का प्रतिशत 12% प्रतिशत से 81% प्रतिशत 1000आईयू और 4.93 प्रतिशत 69.95 प्रतिशत 600आईयू तक बढ़ गया है। साथ ही डायरिया,निमोनिया,तेज बुखार और गम्भीर बीमारियों में उल्लेखनीय कमी आई है। अपर मुख्य सचिव द्वारा अपने उद्घाटन संबोधन में अवगत कराया गया है कि उत्तर प्रदेश में खाद्य पदार्थो के फोर्टिफिकेशन के लिए विभिन्न विभागों द्वारा विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। जनवरी माह में भारत सरकार एफएसएसएआई द्वारा नामित संस्था केएचपीटी के साथ खाद्य सुरक्षा विभाग पीडीएस आईसीडीएस,एवं एमडीएम के सम्बन्ध में प्रदेश में प्रथम राउंड टेबल परिचर्चा आयोजित की गयीं। प्रदेश में दूध के 07,तेल के 07, फोर्टीफाइड नमक के 05,गेहूँ के आटे के 02 प्रोड्यूसर-निर्माताओं के द्वारा फोर्टीफाइड उत्पाद उपलब्ध कराए जा रहे हैं। जन सामान्य के स्वास्थ्य की बेहतरी व प्रदेश में फोर्टीफाइड तेल उत्पाद के लिए फरवरी माह में उनके साथ वर्कशॉप आयोजित की जा रही है,जिससे कि चरणवार भविष्य का कार्यक्रम तय किया जा सके। देश का 17% दूध का उत्पादन उत्तर प्रदेश में है। फोर्टीफाइड दूध उपलब्ध कराने की रणनीति में सर्वप्रथम 50 हजार लीटर प्रतिदिन के उत्पादन की 82 डेयरी जो 32 जिलों में है, के साथ शीघ्र विचार विमर्श किया जाएगा। विभिन्न कंपनियों व संस्थाओं से अपर मुख्य सचिव द्वारा अनुरोध किया गया की जन सामान्य को फोर्टीफाइड उत्पाद के सम्बन्ध में जागरूक बनाने के साथ ही विशिष्ट अभियान चलाने की आवश्यकता है।