लखनऊ: भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के 68वें स्थापना दिवस समारोह पर इक्षु महोत्सव एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी-2019 का शनिवार को संस्थान परिसर में उद्घाटन किया गया. इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक (बागवानी विज्ञान एवं फसल विज्ञान) डॉ.एके सिंह ने भारत द्वारा ब्राज़ील को पछाड़कर विश्व में चीनी के सबसे बड़े उत्पादक राष्ट्र बनने पर संस्थान के योगदान की सराहना की एवं पर्यावरण पर बगैर प्रतिकूल प्रभाव डाले गन्ने के सतत उत्पादन के लिए वैज्ञानिकों का आह्वान किया. उन्होने गन्ने का उत्पादन आवश्यकता से अधिक होने के कारण फसल नियोजन पर ध्यान दिए जाने एवं जलवायु परिवर्तन होने के कारण अजैविक एवं जैविक बाधकों का प्रबंधन करने के लिए उचित रणनीति बनाने पर ज़ोर दिया.
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ का 68वां स्थापना दिवस और शुगरकॉन – 2019 व इक्षु महोत्सव का उदघाटन
डॉ.आरके सिंह (सहायक महानिदेशक) ने गत दो वर्षों में प्रदेश में गन्ने एवं चीनी के रिकॉर्ड उत्पादन के लिए संस्थान के प्रयासों की सराहना की. डॉ. अश्विनी दत्त पाठक (निदेशक, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान) ने बताया कि गत 18 महीनों में संस्थान द्वारा गन्ने की पाँच क़िस्मों तथा उत्पादन एवं सुरक्षा प्रोध्योगिकी का विकास किया गया है. डॉ. सुशील सोलोमन (कुलपति, चन्द्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर) ने इस समारोह को संस्थान के स्थापना दिवस पर विश्व भर से आए वैज्ञानिकों, चीनी उद्योग के प्रतिनिधियों तथा किसानों के एक साथ आगमन को “इक्षु कुम्भ” की संज्ञा दी. डॉ. जे.सिंह (निदेशक, उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहाँपुर) ने गन्ने की को 0238 किस्म का शुद्ध बीज उत्पादन करके इसको दीर्घकाल तक टिकाऊ बनाए रखने की आवश्यकता बताई. इस संगोष्ठी में चीन, श्रीलंका, थाईलैंड, ब्राजील, वियतनाम तथा बेल्जियम से आए 23 वैज्ञानिकों सहित 200 से अधिक वैज्ञानिक एवं चीनी उद्योग के प्रतिनिधि पर्यावरण को बगैर क्षति पहुंचाए हरित प्रौद्योगिकी को अपनाकर गन्ने के उत्पादन को बढ़ाने के लिए विचार विमर्श कर रहे हैं.