दर्द निवारक टैबलेट सेरिडॉन प्रतिबंधित नहीं होगी. इसे सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंधित दवाओं (एफडीसी) की सूची से बाहर निकाल दिया है. यह जानकारी दवा बनाने वाली कंपनी पिरामल एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने दी. कंपनी ने गुरुवार को शेयर बाजार को बताया कि शीर्ष न्यायालय ने सेरिडॉन के पक्ष में फैसला सुनाया है. कंपनी ने कहा, ‘‘सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने पिरामल के सेरिडॉन पर प्रतिबंध पर रोक लगा दी थी. अब कोर्ट ने इसे प्रतिबंधित दवाइयों की सूची से बाहर कर दिया है.’’
कंपनी की कार्यकारी निदेशक नंदिनी पिरामल ने कोर्ट के आदेश पर कहा कि हम इस फैसले से खुश हैं. यह भारत के ग्राहकों की विशिष्ट जरूरतों के लिए प्रभावी और सुरक्षित चिकित्सा समाधान मुहैया कराने की हमारी प्रतिबद्धता को साबित करता है. हमें इस बात का भरोसा है कि कानून हमारे पक्ष में रहेगा.
बता दें कि सरकार ने पिछले साल सितंबर में सेरिडॉन समेत 328 एफडीसी को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया था. यानी इन दवाइयों के उत्पादन, बिक्री या वितरण को बैन कर दिया था. इस प्रतिबंध के कारण 1.18 लाख करोड़ के दवा उद्योग को करीब 1,500 करोड़ के नुकसान की आशंका थी. हालांकि, इससे प्रभावित उत्पादकों या निर्माताओं ने देश के अलग- अलग राज्यों की हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इस निर्णय को चुनौती दी थी. ऐसा नहीं है कि पहली बार इन दवाइयों पर प्रतिबंध लगा था. इससे पहले, केंद्र सरकार ने 2016 के मार्च में 344 एफडीसी के उत्पादन, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाया था.
क्या होती हैं एफडीसी दवा
दरअसल, एफडीसी दवा दो या उससे अधिक दवाओं के संयोजन से बनी हुई होती हैं. ये दवाएं डॉक्टर के पर्चे के बिना आसानी से किसी भी मेडिकल स्टोर से खरीदा जा सकता है.