आ रही है हवा में तैरने वाली ट्रेन, 800 किमी प्रति घंटे
इंदौर : देश को जहां बुलेट ट्रेन के शुरू होने का इंतजार है, वहीं हमारे वैज्ञानिक इस तकनीक को और आगे ले जाने के काम में जुटे हैं। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश में इंदौर के राजा रामन्ना सेंटर फॉर एडवांस्ड टेक्नॉलजी के वैज्ञानिकों ने बहुचर्चित ‘मैग्लेव’ ट्रेन का प्रोटोटाइप मॉडल बनाने में कामयाबी हासिल की है। यह ट्रेन पहियों से नहीं, बल्कि हवा में तैरते हुए चलती है। इसे मैग्नेटिक सिस्टम यानी चुंबकीय प्रणाली कहा जाता है। फिलहाल ऐसी ट्रेनें सिर्फ जापान और चीन के पास है। जापान में मैग्लेव ट्रेन 600 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलती है। हालांकि, सेंटर के मैग्नेटिक टेक्नॉलजी डिविजन के हेड आर. एस. शिंदे कहते हैं कि भारत 800 किलोमीटर प्रति घंटा से चलने वाली मैग्लेव ट्रेन विकसित कर सकता है। RRCAT में वैज्ञानिक 10 साल से इस तकनीक के ऊपर काम कर रहे हैं। बुलेट ट्रेन के बाद अब सरकार की निगाहें मैग्लेव ट्रेन पर हैं। रेलवे ने 2016 में मैग्लेव ट्रेन के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला था, तीन विदेशी कंपनियों ने आवेदन किया था। बेंगलुरु से चेन्नै, हैदराबाद से चेन्नै, नई दिल्ली से चंडीगढ़ और नागपुर से मुंबई, यानी 4 रूटों की पहचान की गई है। भारत में हाई स्पीड ट्रेनों को लेकर पिछले दिनों खासा क्रेज देखने को मिला है। एक तरफ बुलेट ट्रेन के प्रोजेक्ट पर काम शुरू है। वहीं, वंदे भारत एक्सप्रेस नाम की हाई स्पीड ट्रेन शुरू भी हो चुकी है। विकसित देशों में एक दूसरे से ज्यादा तेज ट्रेन चलाने की होड़ लगी रहती है।
मैग्लेव ट्रेन पटरियों पर दौड़ती नहीं है, बल्कि पटरी से थोड़ा ऊपर हवा में तैरती है। चूंकि चुंबक में नॉर्थ और साउथ दो पोल होते हैं और समान पोल आपस में नहीं मिलते बल्कि एक-दूसरे से दूर भागते हैं।