मुंबई : सेंट्रल जीएसटी और सेंट्रल एक्साइज कमिश्नरेट की रायगढ़ विंग ने सैकड़ों करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का पता लगाया है। सूत्रों ने बताया कि 650 करोड़ रुपये के गुड्स सप्लाई करने और करीब 110 करोड़ रुपये के जीएसटी पेमेंट के फर्जी बिल कथित तौर पर आरोपी कंपनियों के फेवर में बनाए गए थे। उन्होंने बताया कि इन फर्जी खरीदारियों के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के इरादे से यह काम किया गया था। एक आरोपी आनंद मंगल को अरेस्ट कर लिया गया और पनवेल की एक कोर्ट ने उसे 8 मार्च तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। वहीं, एक अन्य आरोपी राकेश एच. गर्ग फरार है। गर्ग बेसिक ऑयरन और स्टील बनाने वाली नवी मुंबई की कंपनी सूर्या फेरस अलॉयज प्राइवेट लिमिटेड का डायरेक्टर है। टैक्स अधिकारियों ने 17 करोड़ रुपये कैश रिकवर किए हैं। सीजीएसटी, रायगढ़ के कमिश्नर श्रवण कुमार ने इस घटनाक्रम की पुष्टि की। उन्होंने बताया, दोनों पर सीजीएसटी एक्ट के सेक्शन 132 के तहत मामला दर्ज किया गया है। मंगल को अरेस्ट कर लिया गया है। गर्ग फरार है। सीजीएसटी का सेक्शन 132 सीजीएसटी के विभिन्न उल्लंघनों में सजा के प्रावधान से जुड़ा है। मेसर्स मोक्ष अलॉयज प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स लतिशा सेल्स एजेंसीज प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स क्युमोंग इस्पात प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स आहन इस्पात प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स तिलीबंध सेल्स एजेंसीज जैसे नामों से कई यूनिट्स खोलकर कथित फर्जी बिल जारी किए गए। एक अधिकारी ने बताया, इन कंपनियों का वजूद ही नहीं है। इनका नाम केवल कागजों में है। इन कंपनियों ने असल में कोई माल सप्लाई नहीं किया, लेकिन बिल दिखाया गया कि 650 करोड़ रुपये का माल भेजा गया। साथ ही, इन आरोपी कंपनियों के फेवर में करीब 110 करोड़ रुपये के जीएसटी पेमेंट का बिल भी बनाया गया था, ताकि इन फर्जी खरीदारियों के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट लिया जा सके। अधिकारी ने बताया, इन कंपनियों के जरिए गर्ग ने करीब 110 करोड़ रुपये हासिल कर लिए। उसने उस माल की सप्लाई पर आईटीसी क्लेम किया, जो सप्लाई ही नहीं किया गया था। इसके बाद उसने अपनी कंपनियों के जरिए 650 करोड़ रुपये से ज्यादा के बिल जारी किए, जबकि असल में गुड्स की सप्लाई नहीं की गई। इस तरह कथित खरीदारों ने करीब 110 करोड़ रुपये का आईटीसी क्लेम कर लिया। उसने मंगल के साथ मिलकर गंभीर आर्थिक अपराध किया। उसने ऐसी कंपनियों से माल की फर्जी खरीद दिखाई, जिनमें से अधिकतर का पता मुंबई से बाहर बताया गया।