पीएम मोदी बोले – मै सब कुछ पहले नहीं बताता, धीरे-धीरे पत्ते खोलता हूं
पुलवामा हमले के बाद भारत की ओर से मंगलवार तड़के हुई बड़ी कार्रवाई सर्जिकल स्ट्राइक 2 की तरफ इशारा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सब चीजें पहले नहीं बताता हूं, धीरे-धीरे खोलता हूं। उन्होंने कहा कि मेरा टोकनिज्म में विश्वास नहीं है। एक लंबी सोच के साथ एक के बाद एक इंटरलिंग व्यवस्थाएं विकसित करना ये मेरी कार्यशैली का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि युवाओं के सपने को उड़ने देना चाहिए, क्योंकि युवाओं पर अतीत का बोझ नहीं होता और वह भविष्य की चुनौतियों से निबटने में ज्यादा सक्षम होता है। उन्होंने कविता की दो लाइनें पढ़ी कि उसे गुमां है कि मेरी उड़ान कुछ कम है, मुझे यकीं है ये आसमां कुछ कम है।
उन्होंने द्वारिका प्रसाद द्विवेदी की पंक्तियां कही कि इतने उंचे उठो कि जितना उठा गगन है, इतने मौलिक बनो कि जितना स्वयं सृजन है। दिल्ली से शशांक गुप्ता ने पूछा कि एजुकेशन के लिए कई योजनाएं हैं, लेकिन इनकी पहुंच जम्मू कश्मीर से कन्याकुमारी तक और पूर्वोत्तर से गुजरात तक कैसे पहुंचे? इस सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा कि योजनाएं तो पहले की सरकारों ने भी बनाया, लेकिन उसकी उपयोगिता सुनिश्चित करनी चाहिए। हमारी सरकार ऐसा कर रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के युवाओं के लिए हमारी सरकार ने 10 फीसदी आरक्षण को लागू किया। और बिना किसी की हकमारी किए बिना हमने ऐसा किया। हमारे मुंह से निकला हुआ शब्द सही जगह पर तीर की तरह जाना चाहिए। हमारी वाणी इम्प्रेसिव(प्रभावी) हो या न हो, लेकिन इंसपायरिंग(प्रेरणात्मक) जरुर होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सिलेबस में बंधे हुए लोग यहां नहीं आते। आप यहां पहुंचे हैं यानि कि सिलेबस से बाहर भी कुछ पढ़ते हैं। और भरोसा है कि आप मुझे भी पढ़ते होंगे। पड़ोसा हुआ माल गड़बड़ होता है। इससे पहले दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री के पहुंचते ही लोगों ने जोरदार तरीके से स्वागत किया। भारत माता की जय के साथ मोदी-मोदी के नारे लगे।
युवा संसद में तीनों पुरस्कार पाने वाली युवतियों को बधाई दी। कहा कि तीनों बेटियों को लाख- लाख बधाइयां। तीनों बेटियों ने मैदान मार लिया। उन्होंने युवाओं से कहा कि वो दिन दूर नहीं होगा कि आपलोगों की ओर से मांग आएगी कि तीन पुरस्कार देते हैं, तो पुरुषों के लिए एक रिजर्वेशन दिया जाए।