अद्धयात्म

भगवान शिव ने मां पार्वती को बताए थे सफलता के ये मंत्र, इन्हें अपनाकर आप भी पा सकते हैं सफलता

महादेव सदैव अपने भक्तों का मार्गदर्शन करते रहते हैं. उनको सही राह दिखाना और अध्यात्मिक जीवन की तरफ चलने के लिए प्रेरित करना वे कभी नही भूलते. अगर भक्त हमेशा भगवान शिव के बताए मार्ग पर चलेगें तो उनको कभी निराशा हाथ नहीं लगेगी और वे सदैव खुश और कुशल रहेंगे. तो चलिए आज जानते हैं शिव की राह पर चलकर किस प्रकार से सफलता अर्जित की जा सकती है-

प्राचीन काल में एक घटना का वर्णन काफी बार किया गया है जिसमें भगवान शिव माता पार्वती को बता रहें है कि किस प्रकार से सफलता मिल सकती है. एक बार माता पार्वती ने भोले नाथ से पूछा कि अध्यात्मिक जीवन में सफलता कैसे अर्जित की जा सकती है. तब भगवान शिव ने 6 सूत्र बताए थे सफलता पाने के-

1. विश्वास- भगवान शिव कहते हैं, अपने ऊपर विश्वास रखना बहुत जरूरी है. हम किसी मंजिल को आसानी से हासिल कर सकते हैं् अगर हम खुद पर विश्वास रखेंगे. वहीं अगर हम निराशावदी होगे और अपने आप को दूसरों से कम आकेंगे तो लक्ष्य प्राप्ति कठिन हो जाएगी.

2. श्रद्धा– अपने काम के प्रति, अपने भगवान के प्रति श्रद्धा हमेशा रखनी चाहिए. धैर्य सफलता की पूंजी होती है. अगर हम श्रद्धा और सबुरी रखेंगे, तो हमारी हर मंजिल आसान बन जाएगी. वहीं अगर हम अपने मन को हमेशा शंकाओं से घेरकर रखेंगे, तो किसी भी काम को पूर्ण श्रद्धा के साथ नहीं कर सकते.

3. सच्चा गुरु– हर किसी के जीवन में एक सच्चे गुरु का होना बहुत आवश्यक होता है. अगर गुरु ना हो तो हम दिशाहीन हो जाएगें. गुरु का हमेशा आदर करना जरूरी है क्योंकि वो हमारे को सही राह दिखाते हैं, ईश्वर के दर्शन करवाते हैं और हमारे को लक्ष्य प्राप्ति में मद्द करते हैं.

4. समता भाव– सफलता अर्जित करने के लिए इंसान को समता भाव रखना चाहिए. व्यक्ति को अपने आप को कभी भी ना श्रेष्ठ समझना चाहिए ना उसे खुद को किसी की तुलना में कम आकना चाहिए. दोनों ही स्थिति में इंसान का पतन होता है और वो सफलता की सीढ़ी से नीचे गिर जाता है.

5. इंद्रिय निग्रह– हम अपनी विभिन्न इंद्रियों के चलते हमेशा बहुत चंचल रहते हैं. हमारा मन बहुत विचलित हो जाता है और एकाग्रता बनी नहीं रहती. लेकिन हिंदू धर्म में इस बात को स्पष्ट रूप से बताया गया है कि उपासना करते समय अपनी इंद्रियों पर काबू रखना आवश्यक है. इसी प्रकार अगर सफलता चाहिए तो अपने मन को स्थिर रखना सीखना चाहिए.

6. सात्विक भोजन– ऐसा कहा जाता है कि आप जिस तरीके का अन्न ग्रहण करते हैं, आपका आचार भी वैसा ही हो जाता है. इसलिए भोलेनाथ कहते हैं

कि अगर सफलता चाहिए तो हमेशा सात्विक भोजन ही ग्रहण करें. तामसिक भोजन ग्रहण करने से हमारे शरीर को तो नुकसान होता ही है लेकिन साथ में हमारी काम करने की क्षमता भी प्रभावित हो जाती है.

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