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शिवपाल यादव से गठबंधन को लेकर कांग्रेस फिलहाल असमंजस में

कांग्रेस के एक नेता स्वीकार करते हैं कि शिवपाल यादव यह चाहते थे कि वह कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ें लेकिन फैसला क्या हुआ, इसकी जानकारी नहीं है। ऐसे में गठबंधन को लेकर स्थिति साफ नहीं हो पा रही है।

  • शिवपाल को लेकर फिलहाल असमंजस में है कांग्रेस, यूपी में आगे बढ़े या किनारा कर ले, इस पर नहीं हो पा रहा फैसला
  • शिवपाल यादव और कांग्रेस के एक बड़े नेता के बीच हुई बातचीत के बाद दोनों दलों के बीच गठबंधन की बात आई थी
  • कांग्रेस तय नहीं कर पा रही है कि वह शिवपाल के साथ मिलकर चुनाव लड़े, या फिर एसपी-बीएसपी गठबंधन को नाराज करे

लखनऊ : समाजवादी पार्टी (एसपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से किनारा करके अपनी अलग पार्टी बनाने वाले शिवपाल यादव को लेकर कांग्रेस फिलहाल असमंजस में है। कांग्रेस शिवपाल के साथ यूपी में आगे बढ़े या उनसे किनारा कर ले, इस पर फैसला नहीं हो पा रहा है। माना जा रहा है कि इसके कारण एसपी-बीएसपी की नाराजगी से लेकर चुनाव बाद शिवपाल यादव के बीजेपी के साथ हो जाने तक की संभावनाओं से जुड़े हैं। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के संस्थापक शिवपाल यादव और कांग्रेस के एक बड़े नेता के बीच हुई बातचीत के बाद कांग्रेस और शिवपाल यादव की पार्टी के बीच गठबंधन की बात आई थी। सूत्र बताते हैं कि जब पिछली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रियंका गांधी वाड्रा यहां तीन दिन रुके थे तो उस बीच एक बार फिर शिवपाल यादव एक बड़े कांग्रेस नेता के घर पहुंचे थे और उनसे गठबंधन को लेकर बात की थी।

दोनों पार्टियों के नेताओं के अपने दावे
कांग्रेस के इन्हीं बड़े नेता की मध्यस्थता के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की शिवपाल यादव से बातचीत हुई। इस बातचीत के बाद उम्मीद थी कि कांग्रेस प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के साथ गठबंधन की घोषणा कर देगी। हालांकि, ऐन वक्त पर पुलवामा आतंकी घटना के बाद यह घोषणा स्थगित कर दी गई और सब कुछ तब से ‘होल्ड’ पर ही है। दोनों पार्टियों के नेताओं के अपने अलग-अलग दावे हैं। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के एक नेता इस संबंध में कहते हैं कि अगर अबतक घोषणा नहीं हुई है तो बातचीत कहीं बंद भी नहीं हुई है। वहीं, कांग्रेस के एक नेता यह तो स्वीकार करते हैं कि शिवपाल यादव यह चाहते थे कि वह कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ें लेकिन फैसला क्या हुआ, इसकी जानकारी नहीं है।

…इसलिए असमंजस में कांग्रेस
एसपी से अलग होकर पार्टी बनाने के बाद जाहिर तौर पर एसपी नेतृत्व शिवपाल यादव के पक्ष में नहीं है। वहीं, चुनाव बाद एसपी और बीएसपी यूपीए के पक्ष में जाएंगे, इसकी संभावना काफी है। ऐसे में कांग्रेस फिलहाल यह तय नहीं कर पा रही है कि वह शिवपाल यादव के साथ मिलकर चुनाव लड़े और एसपी-बीएसपी गठबंधन को नाराज करे, या चुनाव बाद एसपी-बीएसपी के लिए विकल्प खुले रखे। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस नेतृत्व को एक डर यह भी है कि शिवपाल यादव अगर चुनाव बाद बीजेपी के साथ चले जाते हैं तो उसका दोनों तरफ नुकसान होगा।

अलग-अलग जगहों से दबाव भी
सूत्र बताते हैं कि अलग-अलग राज्यों में विपक्षी एकता के जो चेहरे हैं उन्होंने भी शिवपाल यादव के साथ न जाने की सिफारिश कांग्रेस नेतृत्व से की है। इनमें लोग बताते हैं कि इन विपक्षी दलों के चेहरों की सहानुभूति और संभावनाएं एसपी-बीएसपी गठबंधन के साथ में हैं, न कि शिवपाल यादव के। ऐसे में कांग्रेस शिवपाल यादव के साथ जाने से हिचकिचा रही है।

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