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गठबंधन में गांठ साफ नजर आ रही है !

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव-2019 के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने सहयोगी दलों के साथ बातचीत कर उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप दे रही है। इससे इतर विपक्षी दल जहां भाजपा के खिलाफ अपनी एकजुटता की रणनीति बना रहे हैं वहीं इनमें से कुछेक ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी है।

इनमें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और वाम मोर्चा भी है। इस सूची को गौर से देखने पर पता चलता है कि एनडीए के खिलाफ विपक्षी दल चाहे जितना एकजुटता का दम भरें लेकिन चुनावी बिसात पर उनके गठबंधन में गांठ साफ नजर आ रही है। मिसाल के तौर पर सपा ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी को अमेठी और रायबरेली में वॉक ओवर दे दिया लेकिन कांग्रेस ने बदायूं में उम्मीदवार उतार दिया, जहां से सपा ने मुलायम सिंह के भतीजे एवं सांसद धर्मेंद्र को उम्मीदवार बनाया है।

कांग्रेस के 15 उम्मीदवार पहले ही घोषित

चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा से पहले ही कांग्रेस पार्टी ने 15 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर रखे हैं। इनमें 11 उम्मीदवारों का नाम उत्तर प्रदेश से और चार का नाम गुजरात से है। यह बात अलग है कि गुजरात कांग्रेस में पिछले कुछ समय से भगदड़ मची हुई है। गुजरात विधानसभा से चार विधायक अबतक कांग्रेस छोड़ चुके हैं। प्रियंका गांधी, जिन्हें हाल ही में पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रभारी महासचिव के रूप में पार्टी में शामिल किया गया था, का नाम पहली सूची में नहीं है। सोनिया गांधी के राजनीति से संन्यास लेने की अटकलों को खत्म करते हुए, कांग्रेस ने पिछले सप्ताह ही घोषणा की कि वह रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी, जबकि पार्टी प्रमुख राहुल गांधी अमेठी से फिर से चुनाव लड़ेंगे।

सपा-बसपा गठबंधन को मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस ने बदायूं से उम्मीदवार खड़े किए हैं, जिसका प्रतिनिधित्व वर्तमान में मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव द्वारा किया जाता है। सपा की सूची में लोकसभा चुनाव-2019 के लिए एक बार फिर धर्मेंद्र यादव ही उम्मीदवार घोषित किए गए हैं। उप्र की 11 सीटों में से कांग्रेस ने 2009 में आठ सीटें जीती थीं। सहारनपुर सीट बसपा के खाते में चली गई, जबकि सपा जालौन और बदायूं से जीती। 2004 में अमेठी और रायबरेली को छोड़कर इन सभी सीटों पर कांग्रेस को हार मिली। सपा ने तब इनमें से चार सीटें जीती थीं, जबकि दो बसपा को मिली थीं। 2014 में भी कांग्रेस ने केवल अमेठी और रायबरेली को जीता था। पार्टी ने बाराबंकी, कानपुर, सुल्तानपुर और सीतापुर के उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। इन सभी में पार्टी के भीतर से केवल एक ही दावेदार था।

सूत्रों का कहना है कि उप्र स्क्रीनिंग कमेटी ने बाराबंकी के लिए एआईसीसी महासचिव पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया, कानपुर के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल, सुल्तानपुर के लिए राज्यसभा सांसद संजय सिंह और सीतापुर के लिए बीसपा के पूर्व सांसद कैसर जहां के नामों को आगे बढ़ाया था। कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस अभी भी सपा और बसपा को समझाने और त्रिकोणीय मुकाबले से बचने की उम्मीद कर रही है। पार्टी को लगभग 40 सीटों पर ध्यान केंद्रित करने के प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए भी सलाह दी गई है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि शेष सीटों पर कांग्रेस और सपा-बसपा के बीच कोई वोट विभाजन न हो। सपा-बसपा गठबंधन ने कहा है कि वह अमेठी और रायबरेली से उम्मीदवार नहीं उतारेगी। इसके बावजूद कांग्रेस ने पांच बार के सांसद सलीम इकबाल शेरवानी को बदायूं से सपा के धर्मेंद्र यादव के खिलाफ मैदान में उतारा है।

उत्तर प्रदेश सूची में अन्य नाम हैं: सलमान खुर्शीद (फर्रुखाबाद), जितिन प्रसाद (धौरहरा), आरपीएन सिंह (कुशीनगर), अन्नू टंडन (उन्नाव), निर्मल खत्री (फैजाबाद), बृज लाल खाबरी (जालौन), इमरान मसूद (सहारनपुर) और राजाराम पाल (अकबरपुर)। गुजरात में पूर्व पीसीसी अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी (आनंद), राजू परमार (अहमदाबाद पश्चिम), प्रशांत पटेल (वडोदरा), रंजीत मोहनसिंह राठवा (छोटा उदयपुर) के नाम पहली सूची में हैं।

उप्र में सपा 37 और बसपा 38 सीटों पर लड़ेगी

उप्र में बसपा प्रमुख मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चुनावी तालमेल को अंतिम रूप दे दिया है। सपा 37 सीटों पर और बसपा 38 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। यह भी तय हो गया है किस सीट से कौन पार्टी चुनाव लड़ेगी। रायबरेली और अमेठी की सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी गई थी। सपा के कोटे में आई 37 सीटों में कैराना, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, मैनपुरी, फिरोजाबाद, बदायूं, बरेली, लखनऊ, इटावा, इलाहाबाद, कौशाम्बी, फूलपुर, फैजाबाद, गोण्डा, गोरखपुर, आजमगढ़, वाराणसी और मिर्जापुर प्रमुख हैं।

बसपा जिन सीटों पर चुनाव लडे़गी उनमें सहारनपुर, बिजनौर, नगीना(एससी), अमरोहा, मेरठ, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर(एससी), अलीगढ़, आगरा (एससी), फतेहपुर सीकरी, आंवला, शाहजहांपुर (एससी), धौरहरा, सीतापुर, मिश्रिख (एससी), मोहनलालगंज(एससी), सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, फर्रुखाबाद, अकबरपुर, जालौन (एससी), हमीरपुर, फतेहपुर, अंबेडकरनगर, कैसरगंज, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संतकबीरनगर, देवरिया, बांसगांव (एससी), लालगंज (एससी), घोसी, सलेमपुर, जौनपुर, मछलीशहर (एससी), गाजीपुर और भदोही हैं। अगर सीटों के बंटवारे को देखें तो बसपा के खाते में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ज्यादा सीटें गई हैं। इसके साथ ही पूर्वांचल में भी बसपा का दबदबा बरकरार है।

मुलायम समेत सपा के उप्र में 9 उम्मीदवार घोषित

सपा ने लोकसभा चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश में नौ उम्मीदवारों की सूची जारी कर चुकी है। इनमें मुलायम सिंह समेत कुल चार उम्मीदवार उनके परिवार के ही हैं। पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव मैनपुरी और डिम्पल यादव कन्नौज से उम्मीदवार होंगी। धर्मेन्द्र यादव बदायूं से, अक्षय यादव फिरोजाबाद से, कमलेश कठेरिया इटावा, भाईलाल कोल राबर्टसगंज और शब्बीर बाल्मीकि बहराइच से पार्टी उम्मीदवार होंगे। पार्टी ने मैनपुरी सीट मुलायम के लिए छोड़ दी है जो फिलहाल आजमगढ से सांसद हैं। वह 1996, 2004 और 2009 में मैनपुरी का प्रतिनिधित्व लोकसभा में कर चुके हैं। मुलायम ने 2014 का चुनाव आजमगढ़ और मैनपुरी से लड़ा था और दोनों ही जगह विजयी हुए थे। कन्नौज से मौजूदा सांसद डिम्पल यादव को पुन: इसी सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। पार्टी ने हरदोई से उषा वर्मा और खीरी सीट से पूर्वी वर्मा को उम्मीदवार बनाया है।

गठबंधन में रालोद को सिर्फ तीन सीटें

अजित सिंह की अगुवाई वाले राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को सपा-बसपा ने अपने गठबंधन में शामिल तो कर लिया है लेकिन उसे सिर्फ तीन सीटों पर संतोष करना पड़ा है। रालोद के लिए सपा-बसपा ने बागपत, मथुरा और मुजफ्फरनगर लोकसभा सीटें छोड़ी हैं।

भाकपा 24 राज्यों में 53 सीटों पर लड़ेगी

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने आगामी चुनावों में 24 राज्यों में 53 सीटों पर लड़ने का फैसला किया है और 15 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है। हालांकि उनके उम्मीदवारों की जो पहली सूची जारी की गई है, उसमें छात्र नेता कन्हैया कुमार को जगह नहीं दी है। यह इस ओर इशारा करता है कि बिहार में राजद के साथ सीटों के बंटवारे संबंधी बातचीत में गतिरोध है।

भाकपा नेता डी राजा ने शुक्रवार को यहां कहा, “राजद के साथ हमारी बातचीत जारी है और बातचीत पूरी होने के बाद ही हम कन्हैया कुमार पर कोई फैसला लेंगे। राज्य एवं प्रदेश इकाइयों, दोनों ने उनके लिए एक सीट चुनी है और हमें देखना होगा कि राजद के साथ बातचीत के क्या नतीजे निकलते हैं।” जहां उपरोक्त दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है वहीं कई राज्यों में दूसरी विपक्षी दल अभी गठबंधन का फार्मूला तलाश रहे हैं। इनमें बिहार में राजद, रालोसपा, हम, आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम, पश्चिम बंगाल में टीएमसी आदि हैं। हालांकि काफी समय से तल्ख रवैया अपनाने वाली शिवसेना का भाजपा के साथ महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन हो गया है।

हालांकि एनडीए ने बीते पांच साल में अपने पांच साथियों को गंवाया है। इनमें तेलगु देशम पार्टी, स्वाभिमानी शेतकारी संगठन, राष्ट्रीय लोक समता दल और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा और असम गण परिषद शामिल हैं। इसके बावजूद भाजपा अपने सहयोगियों के साथ मिलकर इस बार का लोकसभा चुनाव और अधिक रणकौशल के साथ लड़ने की तैयारी में है। इसलिए अभी उसने अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

हिन्दु

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