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बैंड-बाजा-बारात की खुशियों पर इस वजह से लग रहा है चुनावी ‘ग्रहण’

लोकसभा चुनाव 2019 के लिए तारीखों का ऐलान हो चुका है. अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तारीखों पर चुनाव किए जाएंगे. इस बार चुनाव की तारीखें ऐसे वक्त पर हैं, जब देशभर के तमाम हिस्सों में चुनाव हो रहे होंगे. खासकर उत्तर भारत के इलाकों में इस दौरान बड़े पैमाने पर शादियां की जाती हैं. चुनावी तारीखों में शादियों को होने से तमाम तरह की परेशानियां देखने को मिलती हैं.

यह भी सुनने को मिल रहा है कि चुनावी तारीख से शादी के मुहूर्त क्लैश होने के कारण कुछ शादियां टाली जा रही हैं. कुछ लोग तारीखें बदल रहे हैं. हम आपको मार्च-अप्रैल और मई महीने में शादियों और मतदान क्लैश की तारीखों की जानकारी दे रहे हैं.
आइए शादी और मतदान की तिथियों पर एक नजर डालते हैं.

मार्च, अप्रैल और मई के दौरान पड़ने वाले शादी के शुभ मुहूर्त-

मार्च- 3, 8, 9, 10.
अप्रैल- 15, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 22, 23, 24, 25, 26.
मई- 1, 2, 6, 7, 8, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 19, 20, 21, 23.

सात चरण में होने वाले लोकसभा चुनाव की तारीखें-

– पहले चरण का चुनाव मतदान 11 अप्रैल 2019 को है.
– दूसरे चरण का चुनाव-18 अप्रैल 2019
– तीसरे चरण का चुनाव- 23 अप्रैल 2019
– चौथे चरण का चुनाव- 29 अप्रैल 2019
– पांचवे चरण का चुनाव- 6 मई 2019
– छठे चरण का चुनाव- 12 मई 2019
– सातवें चरण का चुनाव- 19 मई 2019
– जबकि, वोटों की गिनती 23 मई 2019 को की जाएगी.

चुनावी तारीखों के बीच शादियों के कई शुभ मुहूर्त हैं. ऐसे में शादी और उनसे जुड़ी तैयारियों में बाधा आ सकती है. यही कारण है कि चुनावी तारीखों का ऐलान होते ही कई लोग मार्च और अप्रैल महीने में होने वाली शादी की तारीखों को आगे खिसका रहे हैं. आइए जानते हैं लोग किस तरह की दिक्कतों से बचने के लिए ऐसा कर रहे हैं…

रूट डायवर्जन- चुनाव के दिनों में कई बार रैलियों के निकलने या किसी राजनैतिक कार्य या मतदान की वजह से रूट डायवर्ट करने के साथ तमाम रास्ते बंद कर दिए जाते हैं. ट्रैफिक की आवाजाही पर रोक लगा दी जाती है. ऐसे में शादी के साथ शादी की तैयारियों में बाधा आती है. बारात लाने और ले जाने में कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. ऐसी परेशानियों से बचने के लिए शादी की तारीख फाइनल करने से पहले लोग चुनाव की तारीखों का ध्यान रखते हैं.

कर्मचारियों की कमी, छुट्टियां कैंसिल-

चुनाव होने की वजह से कई बार मजदूरों का टोटा पड़ जाता है. चुनाव में ड्यूटी लगने की वजह से सरकारी कर्मचारियों को छुट्टी नहीं मिलती. चुनावी व्यस्तता की वजह से सरकारी कर्मचारी अपने रिश्तेदारों की शादी में भी शामिल नहीं हो पाते. ऐसे में लोग चुनावी तारीखों पर शादी जैसे जश्न करने से बचते हैं.

कभी कभी चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों की बैठकें, रैलियों के चलते भी होटल बुक कराने में दिक्कत हो जाया करती है. ऐसे में कोशिश करें कि होटल किसी पोलिंग बूथ या किसी पार्टी के राजनीतिक दफ्तर के आस पास ना बुक कराएं.

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