तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के एक फैसले से देश के बचे 49 हजार 300 करोड़ रुपये
नई दिल्ली : मनोहर पर्रिकर ने रक्षा मंत्री रहते हुए एक बेहतरीन कार्य किया था, उनकी दखल से देश के एयर डिफेंस प्लांस में बदलाव लाए गए। अब अगले दशक तक एयर डिफेंस सिस्टम्स की खरीद पर देश के करदाताओं का 49 हजार 300 करोड़ रुपये बचने की उम्मीद है। रूस के एस 400 लॉन्ग रेंज मिसाइल शील्ड की ऊंची कीमत के मद्देनजर तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 2027 तक नए एयर डिफेंस सिस्टम्स की खरीद के लिए 15 वर्ष के टर्म प्लान की समीक्षा का आदेश दिया। एस 400 चुपके से प्रहार की फिराक में आ रहे विमानों और मिसाइलों को 380 किमी की दूरी से ही मार गिराने में सक्षम है। पर्रिकर के आदेश पर शुरू हुई समीक्षा हाल में जाकर पूरी हुई। इसके तहत एयर फोर्स ने तकनीकी अध्ययन किया। साथ ही, दुनिया में उपलब्ध सभी एयर डिफेंस सिस्टम्स का मूल्यांकन किया गया। कुछ सीनियर अधिकारियों ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि इस समीक्षा प्रक्रिया में कम दूरी के एयर डिफेंस सिस्टम्स की खरीद घटाने पर सर्वसहमति बनी।
एयर डिफेंस स्ट्रैटिजी तीन स्तरों की होती है- 25 किमी तक की दूरी से अति गंभीर उपकरणों की सुरक्षा के लिए कम दूरी वाले सिस्टम, 40 किमी तक की मध्यम दूरी वाले सिस्टम और इससे ज्यादा दूरी के खतरों से रक्षा के लिए लंबी दूरी से सिस्टम। एयर फोर्स की पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया में तय हुआ कि एस400 के 100 मध्यम एवं 100 छोटी दूरी के सिस्टम्स कम खरीदे जाएं। एक टॉप ऑफिसर ने बताया, ‘अध्ययन में स्पष्ट हो गया कि हमें बहुत कम संख्या में शॉर्ट रेंज सिस्टम्स की जरूरत है। मंत्री पर्रिकर ने वायु सेना को इस बात पर सहमत किया कि उसकी त्रीस्तरीय सुरक्षा योजना के मुताबिक लंबी दूरी के सिस्टम (एस400) से मध्यम एवं कम दूरी के एसएएम की कोई जरूरत नहीं रहेगी और ये बेकार हो जाएंगे।’ मनोहर गोपालकृष्ण प्रभु पर्रिकर की जिंदगी 13 दिसंबर 1955 को गोवा के मापुसा एक मध्यमवर्गीय परिवार से शुरू हुई। सामान्य परिवेश से निकलर उन्होंने आईआईटी मुंबई से शिक्षित होने से लेकर गोवा के मुख्यमंत्री, रक्षा मंत्री और फिर गोवा के मुख्यमंत्री के तौर पर आखिरी सांस ली। पर्रिकर की जिंदगी एक आम आदमी के पोस्टर बॉय बनने की कहानी की जबरदस्त मिसाल है।