अजब-गजब

कभी-कभी फर्स्ट टाइम सेक्स में महिलाओं को नही होती है ब्लीडिंग

सेक्स को लेकर हमारे समाज में कई तरह की भ्रांतियां मौजूद हैं. कुछ लोग इस पर बात करना भी गलत ही मानते हैं. वहीं आज की यूथ्स इससे पीछे नहीं हटती. आज के यूथ्स शादी से पहले ही कई बार सेक्स कर लेते हैं, इसी के साथ वो सेफ सेक्स का भी ध्यान रखते हैं. खास बात यह है कि हम में से कई लोग इन पर विश्वास भी करते हैं, जैसे कि पहली बार सेक्स करने पर महिला के प्राइवेट पार्ट से ब्लीडिंग होनी चाहिए. लेकिन शायद ही लोग जानते हों कि इन गलतफहमियों और भ्रांतियों की वजह से सेक्शुअल लाइफ पर बुरा असर पड़ता है.

महिला के प्राइवेट पार्ट से ब्लीडिंग 
माना जाता है कि फर्स्ट टाइम सेक्स के दौरान महिला के प्राइवेट पार्ट से ब्लीडिंग होनी अनिवार्य है. यह उनकी वर्जनिटी का अहम हिस्सा माना जाता है. ब्लीडिंग होने या ना होने का सीधा संबंध हाइमन यानी प्राइवेट पार्ट पर स्थित झिल्ली से होता है. जब सेक्स के दौरान हाइमन पर दबाव पड़ता है तो वह फट जाती है, जिसकी वजह से प्राइवेट पार्ट से खून निकलने लगता है. लेकिन यह भी समझने की ज़रूरत है कि हर महिला में हाइमन की रुपरेखा अलग होती है और ज़रूरी नहीं कि हर महिला में हाइमन के फटने पर ब्लीडिंग हो.

साइज़ बेहद ज़रूरी 
इसके अलावा माना जाता है कि बेहतर सेक्स के लिए पुरुष के प्राइवेट पार्ट का साइज काफी मैटर करता है. सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि खुद पुरुष भी ऐसा मानते हैं. लेकिन आपको बता दें, सेक्शुअल प्लैज़र से प्राइवेट पार्ट के साइज़ का कोई मतलब नहीं होता. रिपोर्ट की मानें तो पुरुषों के प्राइवेट पार्ट का दुनिया में औसत साइज इरेक्ट होने पर 5.1 इंच है और लवमेकिंग का एक्सपीरियंस साइज पर निर्भर नहीं करता है. पार्टनर के साथ आपका लवमेकिंग अनुभव कैसा रहेगा यह इस बात पर निर्भर करता है.

कॉन्डम जितना ज़्यादा टाइट होगा उतना ज़्यादा सुरक्षित
पुरुषों और महिलाओं के बीच यह एक आम धारणा है कि अगर कॉन्डम टाइट होगा तो यह प्रेग्नेंसी और सेक्स संबंधी अन्य बीमारियों से बचाने में मदद करेगा, लेकिन सच तो यही है कि टाइट कॉन्डम की वजह से काफी परेशानी होती है और आप इंजॉय भी नहीं कर पाएंगे.

Related Articles

Back to top button