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नमो टीवी के लिए अनुमति नही मिलने पर फिर भी बीजेपी ने किया लॉन्च

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने ‘नमो टीवी’ को मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मॉनिटरिंग कमेटी (MCMC) की मंजूरी के बिना ही लॉन्च किया था. दस्तावेजों के मुताबिक MCMC ने नमो टीवी की लॉन्चिंग का अनुरोध रद्द कर दिया था. बीजेपी ने MCMC से मंजूरी लेने की अपील की थी लेकिन पार्टी की इस मांग को खारिज कर दिया गया था. इस मामले की पूरी रिपोर्ट चुनाव आयोग को भी भेजी गई है.

बिना अनुमति ही नमो टीवी की लॉन्चिंग करने को सीधे प्रक्रियाओं का उल्लंघन माना जा रहा है. मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मॉनिटरिंग कमेटी राज्य और जिला स्तर पर चुनाव आयोग की ओर से चुनावों के दौरान स्थापित की जाती है. आचार संहिता लागू होने के बाद विज्ञापनों और प्रचार आदि की मंजूरी इस संस्था की मंजूरी जरूरी होती है.

इंडिया टुडे के हाथ इस पूरे विवाद के दस्तावेज लगे हैं. ये दस्तावेज उस दौरान के हैं, जब भाजपा की ओर से नमो टीवी की इजाजत के लिए आवेदन किया गया था. चुनाव आयोग के संबंधित विभाग में भाजपा की चुनाव समिति के सदस्य नीरज की ओर से मीडिया/विज्ञापन का प्रमाण पत्र लेने के लिए 29 मार्च को आवेदन किया गया था.

इस माध्यम को टीवी, रथ वैन, सोशल मीडिया और सिनेमा (देश भर में) के माध्यमों से दिखाने की इजाजत मांगी गई थी. मीडिया सर्टिफिकेशन कमेटी ने इस आवेदन की सामग्री की जांच के बाद 30 मार्च के प्रसारण की इजाजत दी थी. इसका आशय है कि सिर्फ नमो टीवी के लोगो को हरी झंडी दी गई थी.

इसके बाद 29 मार्च, 30 मार्च, 1 अप्रैल, 2 अप्रैल, 3 अप्रैल, 5 अप्रैल और 8 अप्रैल को भी चुनाव आयोग के संबंधित विभाग को नमो टीवी के मीडिया/विज्ञापन के सर्टिफिकेशन के लिए 10 आवेदन मिले थे, जो कि विज्ञापन के बजाए भाषण और इंटरव्यू थे.

इस आवेदन की मजेदार बात यह थी कि आवेदन में पीएम मोदी के भाषणों के लिए पूर्व इजाजत देने की मांग की गई थी. यह इसलिए संभव नहीं था क्योंकि पूर्व इजाजत उन्हीं कार्यक्रमों की दी जाती है, जो पहले से पब्लिक डोमेन में न हों. भाजपा ने अपने आवेदन में यह नहीं बताया कि इसमें भाषण और डॉक्यूमेंटरीज दिखाई जाएंगी. इसमें नमो टीवी के लोगो के अलावा किसी चैनल या राजनीतिक विज्ञापन के मंच के बारे में भी नहीं बताया गया था.

आवेदन में अरुण जेटली का आप की अदालत में जाना, अमित शाह का इंडिया के डीएनए में जाना, नरेंद्र मोदी का एबीपी न्यूज में इंटरव्यू आदि के प्रसारण की बात कही गई थी. सर्टिफिकेशन कमेटी इनके प्रसारण का सर्टिफिकेट नहीं दे सकी, क्योंकि यह पहले से पब्लिड डोमेन में थे.

इस आवेदन और इसकी सामग्री की जांच के बाद कमेटी को लगा था कि यह किसी तरह का राजनीतिक विज्ञापन नहीं है, इसलिए तय हुआ कि यह कमेटी इस पर निर्णय नहीं ले सकती है. इसका साफ आशय है कि भाषण या इंटरव्यू के लिए सर्टिफिकेट नहीं दिया गया था. इस बारे में आवेदक को बता भी दिया गया था. 3 अप्रैल, 6 अप्रैल और 8 अप्रैल को इस बारे में पत्र व्यवहार किया गया था. इसके बाद भाजपा की ओर से इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया गया था.

नमो टीवी अभी भी प्रसारित हो रहा है और फिलहाल इस टीवी का प्रसारण रोकने के लिए कोई आदेश चुनाव आयोग की तरफ से जारी नहीं किया गया है.चुनाव आयोग के प्रवक्ता का कहना है कि नमो टीवी को लेकर विभिन्न पक्षकारों के जवाब के साथ दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की रिपोर्ट पर चुनाव आयोग चर्चा कर रहा है.

चुनाव आयोग ने दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से रिपोर्ट मांगी थी. दिल्ली के निर्वाच अधिकारी ने चुनाव आयोग को इस संबंध में जवाब दिया है. चुनाव आयोग के एक अधिकारी के मुताबिक दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की रिपोर्ट पर मंथन चल रहा है.

पिछले सप्ताह चुनाव आयोग ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय से नमो टीवी की लॉन्चिंग पर जवाब मांगा था. जवाब में सूचना प्रसारण मंत्रालय ने कहा था कि यह एक विज्ञापन प्रसारण चैनल है, न्यूज चैनल नहीं. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग से मांग की थी कि नमो टीवी  को सस्पेंड किया जाए क्योंकि यह मामला आचार संहिता के उल्लंघन का है.  चुनाव आयोग ने नमो टीवी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से पूछा था कि क्या सर्टिफिकेशन कमेटी ने पॉलिटकल कॉन्टैंट ब्रॉडकास्ट होने की मंजूरी दी थी या नहीं.

वहीं सूचना प्रसारण मंत्रलाय ने कहा था कि नमो टीवी डीटीएच सेवा की ओर से प्रसारित होने वाला विज्ञापन चैनल है लेकिन रेगुलर चैनल नहीं है. ऐसे चैनलों की लॉन्चिंग के लिए सरकार की सहमति जरूरी नहीं है.

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