हरियाणा का हिसार : किसको करेगा बाहर ?
चंडीगढ़ से जग मोहन ठाकन : अबकी बार हिसार के मैदान में तीनों प्रमुख पार्टियों (कांग्रेस, भाजपा और जन नायक जनता पार्टी) की तरफ से तीन पुराने राजनैतिक घरानों के उम्मीदवार आमने सामने है और अपनी दादा परदादा की विरासत के सहारे चुनाव की वैतरणी पार करना चाह रहे हैं. भाजपा ने चौधरी छोटूराम के दोहते बिरेंदर सिंह के पुत्र ब्रिजेन्द्र सिंह को मैदान में उतारा है, कांग्रेस ने कभी गैर –जाट की राजनीति की धुरी रहे चौधरी भजन लाल के पौत्र भव्य बिश्नोई को यहाँ से टिकट दिया है और चौधरी देवीलाल की विरासत के नाम पर हाल में गठित जन नायक जनता पार्टी यानि जेजेपी की तरफ से यहाँ से वर्तमान सांसद दुष्यन्त चौटाला पुनः मैदान में हैं.
क्या है ग्राउंड रिपोर्ट ? क्या हैं किन्तु – परन्तु ? कौन जीतेगा यह जंग ? किसकी विरासत हो जाएगी बेअसर ? किसको मिलेगा विरासत का लाभ ? इस पर मंथन करने के लिए थोडा पहले हम देखते हैं हिसार का चुनावी इतिहास. हिसार में 1967 से 2014 तक हुए 14 चुनावों में कांग्रेस केवल 5 बार ( 1967 1971 1984 – बिरेंदर सिंह, 1991, 2004 में) तथा 9 बार अन्य दल जीते हैं, जिनमें से 1996 में एक बार हविपा के जयप्रकाश दो बार -2009, 2011 में जनहित कांग्रेस से भजन लाल तथा उनके पुत्र कुलदीप बिश्नोई विजयी रहे है तथा छह बार चौधरी देवीलाल के प्रभाव वाले दल जीते हैं . इन 14 चुनावों में 10 बार जाट 3 बार बिश्नोई तथा 1 बार बनिया जाति से उम्मीदवार जीते हैं. पिछले 2014 के चुनाव में चौधरी देवीलाल के प्रपौत्र दुष्यन्त चौटाला ने चौधरी भजन लाल के पुत्र कुलदीप बिश्नोई को लगभग 32 हज़ार मतों से हराकर 2009 की अपने पिता अजय चौटाला की हार का बदला ले लिया था . अब इस चुनाव में दुष्यन्त चौटाला के सामने उसी कुलदीप बिश्नोई के पुत्र भव्य बिश्नोई अपने पिता की हार का बदला लेने हेतु मैदान में हैं और त्रिकोण में हैं भाजपा के केन्द्रीय मंत्री बिरेंदर सिंह के आईएस की नौकरी छोड़कर आये पुत्र ब्रिजेंदर सिंह. भाजपा उम्मीदवार ब्रिजेंदर सिंह के मंत्री पिता बिरेंदर सिंह हिसार से 1984 में कांग्रेस की टिकट पर जीत हासिल कर चुके हैं , परन्तु बाद में 1999 में इंडियन नेशनल लोकदल के सुरेंदर बरवाला से पटखनी खाने के बाद हिसार से मुंह मोड़ गए थे , अब अपने पुत्र के लिए पुनः हिसार की शरण में आये हैं. देखते हैं हिसार उनका कितना मान रखता है. 2014 के चुनाव में कुलदीप बिश्नोई हजकां के भाजपा समर्थित उम्मीदवार थे , अब उनके पुत्र भव्य बिश्नोई कांग्रेस से उम्मीदवार हैं.
अब क्या हैं समीकरण : हिसार लोकसभा के तहत नो विधान सभा क्षेत्र आते हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव , जोकि इसी वर्ष के लोकसभा चुनावों में भाजपा की भारी जीत के प्रभाव में हुए थे , इसलिए नो में से भाजपा ने चार हलकों ( नारनौंद, हिसार, उचाना तथा बवानीखेड़ा ) में जीत दर्ज की थी. इंडियन नेशनल लोकदल ने तीन हलकों ( उकलाना, बरवाला तथा नलवा) से जीत पाई थी और चौधरी भजन लाल के पुत्र कुलदीप बिश्नोई की व्यक्तिगत पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस ने आदमपुर और हांसी से दो सीटों पर जीत दर्ज की थी. आदमपुर से खुद कुलदीप बिश्नोई तथा हांसी से उनकी पत्नी रेणुका बिश्नोई जीती थी . बाद में ये दोनों ही कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे और इसी के फलस्वरूप अपने पुत्र भव्य बिश्नोई को कांग्रेस से हिसार लोकसभा का टिकट दिलाने में कामयाब भी हो गए. नलवा विधानसभा से इंडियन नेशनल लोकदल की टिकट पर विजयी हुए रणबीर गंगवा हाल ही में पलटी मारकर भाजपा के दामन में इस आस से आये थे कि उन्हें लोकसभा का टिकट मिलेगा, परन्तु समय बड़े अनोखे फैसले करता है. न घर के रहे न घाट के. अब आस है कि शायद विधानसभा का ही टिकट मिल जाए. परन्तु यह टिकट उनके क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में गंगवा द्वारा कितने वोट दिलवाए जाते हैं, इस पर निर्भर करेगा. 2014 के चुनाव विजयी रहे दुष्यन्त चौटाला भी अपने दादा की इनेलो पार्टी छोड़कर अपनी खुद की नवगठित जननायक जनता पार्टी यानि जेजेपी से चुनाव मैदान में हैं ,उनके चाचा अभय सिंह चौटाला ने भी अपने भतीजे को हराने के लिए इनेलो से भी उम्मीदवार खड़ा किया है. हालाँकि इनेलो प्रथम पंक्ति की दावेदार तो नहीं लगती ,परन्तु जेजेपी की जीत पर पानी फेरने का मादा तो रखती ही है. भव्य बिश्नोई की जीत भजनलाल के व्यक्तिगत वोट बैंक वाली तीन विधानसभा सीटों ( आदमपुर, हांसी तथा बवानीखेड़ा) में मिलने वाली लीड पर निर्भर करेगी. क्योंकि हिसार शहरी क्षेत्र में कभी ब्राह्मण, बनिया व पंजाबी वर्ग पर पूरा होल्ड रखने वाले भजनलाल परिवार का अब हरियाणा का मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर बन जाने के कारण पंजाबी तबका भजनलाल परिवार से खिसक गया लगता है. हिसार शहर में भजनलाल परिवार के कमजोर पड़ते प्रभाव का संकेत अभी छह माह पूर्व हुए म्युनिसिपल कारपोरेशन के चुनाव से मिल चूका है. कांग्रेस के विधायक कुलदीप बिश्नोई और पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल के गढ़ में सेंध लगाकर भाजपा के गौतम सरदाना शहर के सरताज बन गए थे. 1 लाख 38 हजार 550 मतदाताओं ने मतदान किया था. भाजपा के गौतम सरदाना ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी बिश्नोई-जिंदल परिवार की संयुक्त प्रत्याशी रेखा ऐरन को 28 हजार 91 वोटों से करारी शिकस्त दी. सरदाना को 68 हजार 196 वोट मिले, जबकि रेखा ऐरन को 40 हजार 105 वोट प्राप्त हुए. इनेलो-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी अमित सैनी तो तीन हजार का भी आंकड़ा नहीं छू पाए, उन्हें मात्र 2536 वोट ही मिले. रेणुका बिश्नोई और सावित्री जिंदल ने डोर-टू-डोर जाकर भी वोट मांगे थे. इस चुनाव से स्पष्ट हो गया था कि भजनलाल परिवार से पंजाबी वोट बैंक खिसक चुका है. नगर निगम चुनाव के नतीजों से राजनैतिक विचारक उसी दिन आंकलन करने लग गए थे कि ये नतीजे अब लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी पूरा असर डालेंगे. खासकर कुलदीप बिश्नोई के लिए लोकसभा चुनाव में मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं और आज वो स्थिति आ चुकी है जो भजनलाल परिवार की जीत को संदिग्ध बना सकती है. शहर का अधिकतर पंजाबी वोट बैंक चुनावों में हमेशा कुलदीप बिश्नोई के पक्ष में रहा है. मगर इस चुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया है कि कुलदीप बिश्नोई के परंपरागत वोट बैंक में भाजपा सेंध लगाने में कामयाब हो गई है. अगर मनोहरलाल खट्टर के प्रभाव से शहरी मतदाता विशेषकर पंजाबी मतदाता बिश्नोई परिवार से खिसकता है तो इसका ज्यादा फायदा भाजपा उम्मीदवार को ही होगा और भव्य बिश्नोई प्रथम नंबर की रेस से बाहर हो जायेंगे. भाजपा उम्मीदवार ब्रिजेंदर सिंह भले कितना ही प्रचार करे कि वे किसान नेता चौधरी छोटूराम की वंश प्रणाली से हैं , परन्तु हिसार लोक सभा क्षेत्र में केवल उचाना तथा नारनौंद विधान सभा क्षेत्रों को छोड़कर अन्य सात हलकों में चौधरी छोटूराम की विरासत का उन्हें ना के बराबर ही लाभ मिलेगा. इन सात क्षेत्रों में चौधरी छोटूराम का नाम कोई ज्यादा प्रभावी नहीं है और यहाँ तक कि नई पीढ़ी के वोटर तो उनका नाम जानते तक नहीं. बवानीखेड़ा, नलवा, हांसी, आदमपुर, उकलाना, बरवाला तथा हिसार विधान सभा क्षेत्रों में तो भाजपा प्रत्याशी को मनोहर लाल खट्टर तथा भाजपा के वोट बैंक के आसरे ही चुनाव लड़ना पड़ेगा. हाँ ब्रिजेंदर सिंह को जाट होने का कुछ फायदा अवश्य मिलेगा और जो जाट मतदाता किसी कारण से दुष्यन्त चौटाला से नाराज हैं वे अवश्य ब्रिजेंदर सिंह को वोट दे सकते हैं. जाट आरक्षण में हिसार –हांसी क्षेत्र के जाटों में ब्रिजेंदर सिंह के पिता बिरेंदर सिंह के खिलाफ कुछ आक्रोश जरूर है कि उन्होंने भाजपा सरकार में केन्द्रीय मंत्री होने के बावजूद जाटों को आरक्षण दिलवाने में कोई सार्थक पहल नहीं की और जाटों को सिवाय लाठी –गोलियों के कुछ नहीं मिला. पिछले विधान सभा चुनावों में इंडियन नेशनल लोकदल के उम्मीदवार उकलाना, बरवाला तथा नलवा हलकों से जीते थे. हालाँकि दुष्यन्त चौटाला इनेलो से टूटकर जेजेपी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं, परन्तु तत्कालीन इनेलो का वोट बैंक दुष्यन्त चौटाला की ही मिलेगा इसकी पूरी सम्भावना है. दुष्यन्त चौटाला का वर्तमान सांसद का कार्यकाल न्यूट्रल मतदाता को उनके पक्ष में वोट देने को आकर्षित करता है. परन्तु हरियाणा में अंतिम दिन तक वोटों का विभाजन जातीय आधार पर आ टिकता है, इसलिए पूरी संभावना है कि जाटों के अधिकतम वोट दुष्यन्त को मिल सकते हैं. यदि आम आदमी पार्टी का गठबंधन कुछ काम कर गया तो शहरी मतदाता विशेषकर बनिया समुदाय द्वारा दुष्यन्त के पक्ष में वोट करना दुष्यन्त की जीत की संभावना बढ़ा सकता है. नारनौंद क्षेत्र से ब्राह्मण नेता राम कुमार गौतम तथा आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष पंडित नवीन जय हिन्द के कारण यदि ब्राह्मण समुदाय का कुछ हिस्सा भी दुष्यन्त के साथ जुड़ता है तो दुष्यन्त की जीत लगभग निश्चित हो जाती है. परन्तु अंतिम दिन तक क्या समीकरण बनते हैं और क्या नकारात्मक घटनाएं घटित होती ,इस बात का कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है. अभी समय शेष है और समय बड़े बड़े आंकलन बदल देता है।