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महाराष्ट्र में इसी साल होंगे चुनाव, कांग्रेस-एनसीपी राज ठाकरे से गठबंधन को हैं बेताब…

मुंबई: कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (एनसीपी) गठबंधन लोकसभा चुनाव में हार की ठीक से समीक्षा भी नहीं कर पाई कि अब उनके सामने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव आने वाले हैं. लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस और एनसीपी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे भरोसे उतरने की तैयारी में दिख रही है. देशभर में लोकसभा चुनाव में औंधे मुंह गिरी राहुल गांधी की कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी को अब महाराष्ट्र में चुनावी बेड़ा पार लगाने में महज एक राज ठाकरे ही आखिरी उम्मीद बची लगती है.

माणिकराव ठाकरे ने राज ठाकरे से की मुलाकात
सूबे में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और दोनों ही पार्टियां राजठाकरे की एमएनएस पर डोरे डालने में जुटी हैं. राज ठाकरे से एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार की मुलाकात के बाद कांग्रेस के नेताओं का एमएनएस सुप्रीमो राज ठाकरे से मुलाकातों का दौर तेज हो गया है. महाराष्ट्र के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे ने राज ठाकरे से मिलकर सियासी नफे नुकसान और राज ठाकरे को मनाने की कोशिश की है. माना जाता है कि विधानसभा चुनाव में एमएनएस से गठबंधन की तैयारी को अमली जामा पहनाने की विपक्षी कोशिशें तेज हैं.

राज ठाकरे का सहारा चाहती है कांग्रेस-एनसीपी
चुनावों में चारों खाने चित पड़ी राहुल गांधी की कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी अब इतनी लाचार हो गई है कि चुनावी बेड़ा पार लगाने के लिय़े नए-नए नुस्खों पर पार्टी माथा पच्ची कर रही है. महाराष्ट्र में अक्टूबर से पहले विधानसभा चुनाव होने हैं, लिहाजा दोनों विपक्षी पार्टियां सूबे में चुनावी नैय्या पार लगाने के लिये राज ठाकरे की दहलीज पर बार बार दस्तक दे रही है.

केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार की ताजपोशी के बीच एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार खामोशी से राज ठाकरे से मिलने उनके घर पहुंच गये. उसके बाद कांग्रेस के नेता माणिकराव ठाकरे भी एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे से बंद दरवाजा बैठक कर आये. दोनों ही पार्टियों के ज्यादातर नेता विपक्षी पार्टियों के महाराष्ट्र में बन रहे महागठबंधन में राज ठाकरे की एमएनएस को जोड़ने की वकालत कर रहे हैं.

लोकसभा चुनाव में राज ने कांग्रेस-एनसीपी के लिए मांगे थे वोट
दरअसल, राज ठाकरे ने लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी का एक भी उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा था, लेकिन सूबे में घूमघूम कर कांग्रेस और एनसीपी के सियासी किलों को ढहने से बचाने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी. स्वयं घोषित कांग्रेस और एनसीपी के स्टार प्रचारक बन बैठे थे. राज ठाकरे अपनी रैलियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पानी पी- पीकर कोसते नजर आये. हालांकि राज ठाकरे की एक ना चली और बीजेपी शिवसेना 48 लोकसभा सीटों में से 41 पर जीतने में कामयाब रही.

कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की हुई करारी हार
कांग्रेस का महज एक सांसद बना जबकि एनसीपी भी महज 5 सीटें जीत पाई. एनसीपी के समर्थन से विपक्षी झोली में सूबे में एक अन्य सीट मिली. अब पवार खेमा और कांग्रेस का एक धड़ा विधानसभा में राज ठाकरे से हाथ मिलाकर चुनावी समर में कूदना चाहता है.

महाराष्ट्र के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे ने कहा राज ठाकरे से मुलाकात हुई है. वह काफी आक्रामक ढंग से विपक्ष की बात रख रहे हैं. बीजेपी और मोदी अमित शाह की जोड़ी पर सियासी हमले उनके खासे तीखे रहे. मिलकर चुनाव लड़ने में विपक्ष का फायदा होगा.

महाराष्ट्र में इसी साल होने हैं चुनाव
महाराष्ट्र में अक्टूबर से पहले चुनाव हैं. लोकसभा में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद से ही शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस का सिर दर्द बढ़ा हुआ है. विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी पार्टियां अपनी नैय्या डूबने से घबराई हुई हैं. सूबे में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन ने 41 लोकसभा सीटें जीतकर राज्य की विरोधी पार्टियों का सूपड़ा साफ कर दिया है. इसी के साथ ही बीजेपी और शिवसेना को सूबे की 225 विधानसभा सीटों पर बढ़त पा ली है.

फडणवीस फिर से CM बनना चाहेंगे
केंद्र में प्रचंड बहुंमत के साथ मोदी सरकार दोबारा आई है और अब महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की दोबारा ताजपोशी का रास्ता साफ होता देखकर विपक्षी पार्टियों के हाथ पांव फूले हुये हैं. महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना की प्रचंड जीत में एमआईएम और प्रकाश आंबेडकर के गठबंधन बहुजन वंचित आघाडी के कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के वोट बैंक में सेंध लगने की भी एक वजह है.

बीजेपी-शिवसेना पर महाराष्ट्र को भरोसा
बीजेपी और शिवेसना गठबंधन की झोली में 48 में से 41 सीटें आईं है. 25 सीट पर चुनावी समर में उतरी बीजेपी को 23 पर जीत मिली जबकि शिवसेना के कोटे की 23 सीटों पर लडे 18 उम्मीदवार चुनाव जीतने में कामयाब रहे. और कांग्रेस-एनसीपी का सूपड़ा साफ हो गया. एनसीपी की झोली में 5 सीटें आईं जबकि कांग्रेस महज एक सीट पर जीत सकी. राज ठाकरे से हाथ मिलाकर मराठी वोटबैंक में सेंध लगाकर शरद पवार और काग्रेस पार्टी सूबे की विधानसभा में अपनी वापसी के सियासी ताने बाने बुन रही है.

MNS में गठबंधन को लेकर दो फाड़
पवार खेमा राज ठाकरे को साथ लेकर चुनाव लड़ने के फुल मूड में है, हालांकि कांग्रेस राज ठाकरे से सीधे हाथ मिलाने में अभी ठिठक रहा है. कांग्रेस में राज ठाकरे की एमएनएस को लेकर दो फाड़ हो गये हैं.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि राज ठाकरे से कांग्रेस का कोई मिलता है तो वो अपनी पर्सनल कैपेसिटी में मिलता है. अभी पार्टी का आधिकारिक कोई नहीं मिला है.

कांग्रेस-एनसीपी के 12 विधायक BJP में जा सकते हैं
देशभर में कांग्रेस पार्टी की सियासी हालत बेहत पतली है. और लोकसभा चुनावी गणित में महाराष्ट्र में कांग्रेस सबसे निचले पायदान पर खिसक गयी है. पार्टी के कद्दावर नेताओं की बीजेपी और शिवसेना ज्वाइन करने की भगदड़ मची हुई है.

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस और एनसीपी के करीब 12 विधायक बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस विधायक राधाकृष्ण विखे पाटिल, कालीदास कोलंबेकर, जयकुमार गोरे, अब्दुल सत्तार बीजेपी का दामन किसी भी वक्त थाम सकते हैं. जबकि एनसीपी के भी कई कद्दावर नेता बीजेपी के संपर्क में हैं.

17 जून से सूबे की विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो रहा है. इसी दौरान माना जाता है कि विपक्ष के कई कद्दावर चेहरे पार्टी को अलविदा कह सकते हैं. देवेंद्र फडणनवीस सरकार सूबे की कैबिनेट में फेरबदल और विस्तार की भी तैयारी कर रही है, जिसमें विपक्षी दलों से आये कई चेहरे मंत्री पद भी थमाये जा सकते हैं. जानकार मानते हैं कि एनसीपी और कांग्रेस को अपनी नैय्या का बेड़ा पार लगाने में अब महज राज ठाकरे ही एक सहारा दिखाई पड़ रहे हैं.

राज ठाकरे गठबंधन मजबूरी: एक्सपर्ट
वरिष्ठ पत्रकार एस. मयंकर ने कहा राजठाकरे से गठबंधन करने की कांग्रेस और एनसीपी की मजबूरी है. कोई रास्ता नहीं तब विधानसभा चुनाव में इनका बेड़ा पार हो पायेगा.

चुनावी रैलियों में कांग्रेस और एनसीपी के हक में मुखर रहे एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे विपक्षी गठबंधन में शामिल होकर चुनाव में कूदने की रणनीति पर फिलहाल चुप्पी साधे हुये है. लेकिन सियासी नफे नुकसान को राज ठाकरे को भी अंदाजा है वो भी ऐसे वक्त में जब देशभर और खासकर महाराष्ट्र में मोदी लहर सूनामी में बदल चुकी है.

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