पश्चिम और उत्तरी भारत के कई राज्यों में जलाशयों का पानी पिछले दस साल के औसत से भी कम हो गया है। ये बात केंद्रीय जल आयोग (सीडब्लूसी) ने कही है। आयोग का कहना है कि देश के इन हिस्सों में पानी की काफी समस्या हो रही है। आयोग के अनुसार, देश के 91 प्रमुख जलाशयों में पानी का स्तर 30 मई को हफ्ते के आखिर में एक हफ्ते पहले के मुकाबले एक फीसदी प्वाइंट तक कम हो गया है। सीडब्लूसी के मुताबिक, “30 मई, 2019 को देश के 91 प्रमुख जलाशयों में पानी का स्तर हफ्ते के आखिर में 31.65 बिलियन क्यूबिक मीटर था, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 20 फीसदी है। जबकि 23 मई, 2019 को ये 21 फीसदी था।”
हिमाचल प्रदेश, पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश और तमिलनाडु में पिछले साल के मुकाबले पानी का बेहतर भंडारण रहा। कर्नाटक में पानी का भंडारण जितना पिछले साथ था उतना ही इस साल भी रहा।
इसी अवधि में जिन राज्यों में बीते वर्ष की तुलना में कम भंडारण हुआ है, वो राजस्थान, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल हैं।
गुजरात और महाराष्ट्र सहित पश्चिमी क्षेत्र में कुल 27 प्रमुख जलाशय हैं। जिनकी कुल भंडारण क्षमता 31.26 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) है। सीडब्लूसी के अनुसार, “अब इन जलाशयों में कुल 3.53 बीसीएम पानी का भंडारण ही है, जो कि कुल भंडारण क्षमता का 11 फीसदी है। इसी समय अवधि में बीते साल 15 फीसदी भंडारण था और बीते 10 साल से औसत भंडारण क्षमता 19 फीसदी थी।”
सीडब्लूसी का कहना है, “इस साल पानी का भंडारण बीते साल के मुकाबले कम है। ये बीते 10 साल की औसत भंडारण क्षमता से भी कम है।”
क्या है दक्षिणी क्षेत्र का हाल?
देश के दक्षिणी हिस्से, जिसमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु भी शामिल हैं, यहां 31 जलाशय सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं, जिनकी कुल क्षमता 51.59 बीसीएम है। लेकिन इनमें केवल 5.91 बीसीएम ही भंडारण है, जो कुल भंडारण का 11 फीसदी है।
जबकि बीते साल ये 12 फीसदी था। साथ ही बीते 10 साल से औसतन 15 फीसदी रहा है। इसका मतलब ये हुआ कि दक्षिणी क्षेत्र में भंडारण ना केवल बीते साल के मुकाबले कम है बल्कि बीते 10 साल के औसतन भंडारण से भी कम है।
बीते साल गुजरात और महाराष्ट्र के कई हिस्सों में कम बारिश हुई थी। वहीं महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में स्थिति और भी ज्यादा गंभीर है। यहां जल भंडारण अभी तक के सबसे निचले स्तर पर है। मौसम का पूर्वानुमान बताने वाली निजी संस्था स्काइमेट ने बीते महीने क्षेत्र के हिसाब से संभावना जताई थी कि इस साल विदर्भ, मराठवाड़ा, पश्चिमी मध्य प्रदेश और गुजरात में बारिश सामान्य से अधिक कम होगी। वहीं दक्षिण भारत के लिए संभावना जताई जा रही है कि यहां बारिश सामान्य से नीचे रहेगी।