सोमवती अमावस्या पर्व पर हाईवे से शहर की सड़कें जाम से पैक होने के बाद मंगलवार को भी हरिद्वार की स्थिति कुछ ऐसी ही नजर आई। भरी दोपहर यात्री बस अड्डे में बस का इंतजार करते नजर आए। यहां यात्रियों की भीड़ लग गई। अधिकांश यात्री राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली, हल्द्वानी, जम्मू, पंजाब के थे।
शहर से हाईवे तक लगे भीषण जाम के सामने यातायात पुलिस हांफती नजर आई। यात्रा सीजन के दौरान रोजाना हरिद्वार में जाम की स्थिति देखने को मिल रही है। हरिद्वार हाईवे से देहरादून पहुंचने में जहां एक से डेढ़ घंटे लगते थे। आजकल वहां तीन से चार घंटे लग रहे हैं। यहां अक्सर जाम लगने का एक कारण हरिद्वार-दिल्ली हाईवे चौड़ीकरण का काम पूरा न होना है।
सैकड़ों जिंदगियां लील चुका और सैकड़ों आमजन को अपंग बना चुका हरिद्वार-दिल्ली हाईवे के चौड़ीकरण का काम आखिर कब पूरा होगा, यह सवाल दस साल से ज्यों का त्यों हर किसी के सामने है। दस साल से केंद्र एवं राज्य की सरकारें जल्द हाईवे का काम पूरा होने का राग अलापती आ रही हैं, लेकिन हकीकत दूर-दूर तक दिखाई नहीं देती है। आगामी कुंभ तक भी इस हाईवे का निर्माण पूरा होने की उम्मीद नहीं दिख रही है।
हरिद्वार-दिल्ली हाईवे के निर्माण की उम्र दस साल पूरी हो चुकी है, लेकिन अभी यह हाईवे कब बनकर पूरा होगा। इसका जवाब किसी मंत्री, नौकरशाह के पास नहीं है। बस दावे ही दावे हैं। हाईवे पर पहुंचने भर के नाम से ही जाम की भयानक तस्वीर आंखों के सामने उभर आती है। अब प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार रिंग रोड के नाम पर एक साल से नया लॉलीपॉप लोगों को थमा रही है।
एक दशक से बन रहे हरिद्वार दिल्ली हाईवे के निर्माण को लेकर प्लानिंग नाम की कोई चीज दूर-दूर तक नहीं दिखाई देती है। विशेषकर हरकी पैड़ी बाईपास को लेकर यह बात कहना बिल्कुल शतप्रतिशत सही है। हरकी पैड़ी बाईपास पर कई पुल पड़ते हैं। उन पुलों के बराबर में नए पुल बनने थे, लेकिन उन पुलों से पहले हाईवे का चौड़ा कर दिया गया।
ऐसे में फोरलेन पर एक साथ कई वाहन तेज रफ्तार में पहुंचते हैं और फिर पुल पर पहुंचकर एक एक कर रेंग कर निकलते हैं। ऐसे में जाम की स्थिति बनती है। दूसरी बात ये है कि पहले यह पुल बनने चाहिए थे लेकिन शंकराचार्य चौक एवं मोतीचूर रेलवे फाटक पर फ्लाईओवर के निर्माण का कार्य छेड़ दिया गया, उससे हालात बद से बदतर हो गए। अब शंकराचार्य चौक से जाम का सिलसिला जो शुरू होता है, वह कई कई किलोमीटर तक चलता है।