बिहार में नहीं थम रहा चमकी बुखार का कहर, अब तक 147 बच्चों की मौत
बिहार में चमकी बुखार से होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़कर अब 147 हो गया है. चमकी बुखार से बच्चों की लगातार मौत हो रही है. इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित जिला मुजफ्फरपुर है, जहां अकेले श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में अब तक 128 बच्चों की मौत हो चुकी है. एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) को दिमागी बुखार और चमकी बुखार के नाम से भी जाना जाता है.
एसकेएमसीएच में अभी 100 बच्चों का इलाज चल रहा है. इस बीच अस्पताल के पीछे कई मानव कंकाल मिलने के बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया है. अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुनील कुमार शाही ने कहा कि कुछ लोगों ने मानव कंकाल और टूटी खोपड़ियां देखी हैं जिसके जांच के आदेश दिए गए हैं. उधर मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष ने कहा कि एक टीम ने उस जगह का दौरा किया है जहां मानव कंकाल और हड्डियां बरामद हुई हैं. टीम जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
स्वास्थ्य अधिकारियों की मानें तो अभी भी बच्चे मर रहे हैं और इस बीमारी से प्रभावित होने वाले बच्चों के ताजा मामले भी सामने आ रहे हैं. मुजफ्फरपुर के एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने हालांकि गुरुवार को कहा था कि हालात अब सुधर रहे हैं.
बिहार में 15 साल तक के बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. इस कारण मरने वालों में अधिकांश की उम्र एक से सात साल के बीच है. इस बीमारी का शिकार आमतौर पर गरीब परिवार के बच्चे होते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, इस बीमारी का मुख्य लक्षण तेज बुखार, उल्टी-दस्त, बेहोशी और शरीर के अंगों में रह-रहकर कंपन (चमकी) होना है.
हर साल इस मौसम में मुजफ्फरपुर में इस बीमारी का कहर देखने को मिलता है. पिछले साल गर्मी कम रहने के कारण इस बीमारी का प्रभाव कम देखा गया था. इस बीमारी की जांच के लिए दिल्ली से आई नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की टीम और पुणे के नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की टीम भी मुजफ्फरपुर का दौरा कर चुकी है.