मानसून में करने जा रहे हैं ट्रैकिंग तो जरूर रखें इन बातों का ख्याल, नहीं पड़ेगा पछताना
हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों पर ट्रैकिंग करना एक अलग ही अनुभव देता है। ऐसी ही एक पहाड़ी जिस पर दुनिया भर के यात्री ट्रैकिंग करने आते है वो है पार्वती घाटी। ये घाटी ट्रैकिंग करने वालों के लिए जन्नत जैसी है। लेकिन ट्रैकिंग के समय हुई दुर्घटनाओं की लंबी फेहरिस्त हमारे अंदर डर पैदा करती है। पार्वती घाटी में बहुत सारे सैलानियों की मौत और गायब होने की घटनाएं हो जाती है इसलिए ये जानना बहुत जरुरी है कि कौन से कारण इन दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार है और इन सब वजह से बच कर कैसे ट्रैकिंग का आनंद उठाया जा सकता है।
ऊबड़ खाबड़ रास्ते और मौसम
अगर आप यहां के स्थानीय निवासी नहीं है तो जरुरी है कि आप एक अनुभवी गाइड के साथ ही ट्रैकिंग शुरु करें। उत्सुकतावश बहुत सारे सैलानी अकेले ही यात्रा शुरु कर देते है और हिमाचल की ऊंची-नीची पहाड़ियों और लंबे रास्तों पर खो जाते हैं।
घाटी की सुंदरता
बहुत सारे ट्रकिंग करने वाले लोगों के गायब होने की वजह इस खूबसूरत घाटी की सुंदरता है। सैलानी मंत्रमुग्ध होकर यहीं पर रहने की सोच लेते हैं। जबकि कुछ यहां पर आकर समाज सेवा शुरु कर देते हैं।
चोरों और लुटेरों के चंगुल में फंसना
पार्वती घाटी में चोर और लुटेरे बहुत सक्रिय हो गए हैं। ये लुटेरे रास्ते से भटके हुए या अकेले ट्रैकिंग करने वाले यात्रियों को लुट कर मार देते हैं। 2001 में ऑस्ट्रिया से आए हुए दो ट्रैकर को अनजान लोगों ने लूट कर गोली मार दी थी तो एेसी घटनाओं से सतर्क रहें।
इन कारणों को जानने के बाद ट्रैकिंग पर जाने से पहले सावधानियों का ख्याल रखें
-हमेशा किसी प्रोफेशनल गाइड के साथ ही ट्रैकिंग का प्लान करें। टोश वैली या किसी भी सूनसान इलाके की ट्रैकिंग पर इस बात का ख्याल रखें।
-पार्वती घाटी में किसी ड्रग माफिया के चंगुल में न फंसे और न ही किसी से लेनदेन करें।
-रात के समय ट्रैकिंग के लिए निकलना सुरक्षित नहीं है। अगर आपको एडवेंचर करना ही है तो दिन के समय निकलें।
-मानसून के समय ट्रैकिंग पर जाने की कोशिश कम करें। इस मौसम में पहाड़ों पर फिसलन होती है और लैण्डस्लाइड का भी खतरा रहता है। साथ ही पेड़ पौधों के बीच जहरीले जीव जंतु भी मानसून में सक्रिय रहते हैं।