गांधीनगर : उच्चतम न्यायालय ने पूर्व गृहमंत्री हरेन पांड्या हत्याकांड मामले में सात आरोपियों को दोषी ठहराया है. पूर्व गृहमंत्री की साल 2003 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस हत्या में 12 लोगों को आरोपी बनाया गया था. हालांकि हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया गया था. इस फैसले के खिलाफ सीबीआई और गुजरात सरकार ने आपत्ति दर्ज कराते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. शीर्ष अदालत ने गैर सरकारी संगठन की वह याचिका भी खारिज कर दी है, जिसमें न्यायालय की निगरानी में पांड्या हत्याकांड की नए सिरे से जांच का अनुरोध किया था. न्यायालय ने इस हत्याकांड की नए सिरे से जांच के लिए जनहित याचिका दायर करने पर इस गैर सरकारी संगठन पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस मामले में अब किसी और याचिका पर विचार नहीं किया जाएगा. हरेन पांड्या गुजरात में नरेंद्र मोदी के नतृत्व वाली राज्य सरकार में मंत्री थे. अहमदाबाद में सुबह जब वह सैर कर रहे थे उस दौरान लॉ गार्डन के पास 26 मार्च 2003 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी. सीबीआई ने आरोप लगाया था कि साल 2002 में सांप्रदायिक दंगों का बदला लेने के लिए इस हत्या को अंजाम दिया गया था. इस मामले में 12 लोगों को आरोपी बनाया गया था, लेकिन साक्ष्यों के आभाव में गुजरात उच्च न्यायालय ने 29 अगस्त 2011 को निचली अदालत के फैसले को सही माना ओर सभी 12 आरोपी को बरी कर दिया. इन सभी को आपराधिक साजिश, हत्या की कोशिश और आतंकवाद रोधी कानून के तहत दोषी ठहराया गया था. गुजरात हाईकोर्ट के फैसले का सीबीआई और गुजरात सरकार ने विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.