कर प्रावधानों से देश की स्थिति होगी खराब : विपक्ष
नयी दिल्ली : मोदी सरकार के आम बजट को विपक्ष ने बुनियादी कसौटी पर विफल करार दिया है और कहा कि इसके कर संग्रहण के प्रावधानों से राज्यों की आर्थिक हालत खराब होगी जबकि देश को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का कोई रोडमैप नहीं है। लोकसभा में आम बजट पर चर्चा के दूसरे दिन कांग्रेस सदस्य परणीत कौर ने कहा कि बजट सरकार के आय एवं व्यय तथा भविष्य का रोडमैप होता है। लेकिन कई मामलों में यह बजट गंभीर रूप से खरा नहीं उतरता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले रक्षा मंत्री थीं, लेकिन उनके पहले बजट में रक्षा खरीद को लेकर कोई आवंटन नहीं दिया गया है जबकि देश के सैन्य बलों के आयुध के आधुनिकीकरण की जरूरत है। मुद्रास्फीति को घटा दिया जाये तो रक्षा बजट में दस प्रतिशत की कमी आयी है। पशुपालन एवं डेयरी उद्योग के लिए आवंटन कम हुआ है। सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग के मद में भी सात प्रतिशत, ऊर्जा क्षेत्र में दो प्रतिशत, आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स के मद में चार प्रतिशत की कमी की गयी है। श्रीमती कौर ने कहा कि बजट के आँकड़ों के स्थान पर सुर्खियाँ दी जा रहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि करों के निर्धारण एवं उपकर एवं अधिभारों के मामले में केन्द्र सरकार राज्यों के साथ धोखाधड़ी कर रही है। पेट्रोलियम पदार्थों पर जो भी कर या अधिभार बढ़ा है, वह पूरा केन्द्र को मिलेगा। उन्होंने कहा कि राज्यों को कर संग्रहण में 42 प्रतिशत की जगह 30 प्रतिशत हिस्सेदारी मिलेगी। राज्यों का घाटा बढ़ेगा। बजट में कहा गया है कि देश के ढाँचागत विकास के लिए सौ लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा, लेकिन 90 लाख करोड़ रुपये के स्रोत के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया है। एक लाख करोड़ रुपये के विनिवेश की बात कही गयी है। सकल घरेलू उत्पाद 5.8 प्रतिशत रहने की संभावना है। निर्यात को बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश में अभूतपूर्व स्थिति है और केन्द्र सरकार की गलत नीतियों का परिणाम राज्यों को भुगतना पड़ेगा। द्रविड़ मुनेत्र कषगम सदस्य ए. राजा ने कहा कि बजट में घोषणाओं का शोर बहुत है लेकिन क्रियान्वयन के लिए आशा की किरण नहीं है। भारत एक कृषि आधारित व्यवस्था है लेकिन सरकार इसे उद्योगपतियों का देश मानती है और उन्हीं पर मेहरबान है। उन्होंने पांच ट्रिलियन यानी 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए 68 अरब डॉलर के निवेश का प्रस्ताव है जो केवल दो प्रतिशत के आसपास है। बजट से 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का रोडमैप नदारद है। कर संग्रहण ढांचे में खामियां हैं। सरकार ने रोजगार के बारे में और देश में भीषण जलसंकट के बारे में कुछ नहीं कहा है। जबकि समूचे कारपोरेट क्षेत्र को उपकृत करते हुए कारपोरेट टैक्स 25 प्रतिशत कर दिया है और कहा है कि 99.3 प्रतिशत कंपनियां इसके दायरे में आ गयी हैं। श्री राजा ने कहा कि राजकोषीय घाटा 3.3 प्रतिशत रखने के लिए गैर कर राजस्व के रूप में विनिवेश करने की बात कही है। यह स्वस्थ परंपरा नहीं है। कारपोरेट क्षेत्र का 5.55 लाख करोड़ रुपये का कर्ज़ माफ कर दिया गया है जबकि शिक्षा ऋण, आवास ऋण लेने वाले आम आदमी को कोई राहत नहीं दी गयी है। कृषि के लिए 75 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान राजनीतिक एजेंडे के तहत 6000 रुपये सालाना बांटने के लिए रखा है। उन्होंने कहा कि ये सरकार जनता को केवल ये विश्वास दिला कर सत्ता में लौटी है कि ये देश के चौकीदार और रखवाले हैं लेकिन इनका आचरण अलग है। भाजपा की सुनीता दुग्गल ने बजट की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने रिफॉर्म, परफॉर्म एवं ट्रांसफॉर्म के मंत्र पर चलते हुए बीते पांच साल में 70 साल के घावों पर मरहमपट्टी की है। पचास खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के बारे में किसी को शंका नहीं करनी चाहिए। मोदी है तो मुमकिन है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने अंतरिक्ष से लेकर पाताल तक हर जगह का ख्याल किया है। उन्होंने मेट्रो, सड़क, उपग्रहों, विमानन क्षेत्र में तरक्की के उदाहरण पेश किये और कहा कि सरकार ने किसानों को जबरदस्त लाभ पहुंचाने का काम किया है। जलशक्ति मंत्रालय ने 1592 ऐसे ब्लॉक चिह्नित किये हैं जहां पानी का जरूरत से बहुत ज्यादा दोहन किया गया है और जल ही जीवन मिशन चलाने का फैसला किया है।