अद्धयात्म

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग : दर्शन मात्र से मिट जाते हैं सभी कष्ट

आस्था : 12 प्रमुख ज्योतिर्लिगों में भीमाशंकर का स्थान छठा है। यह ज्योतिर्लिंग मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शंकर ने कुंभकरण के पुत्र भीमेश्वर का वध किया था।मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से व्यक्ति को समस्त दु:खों से छुटकारा मिल जाता है। यहीं से भीमा नदी भी निकलती है। शिवपुराण के अनुसार, पूर्वकाल में भीम नामक एक बलवान राक्षस था। वह रावण के छोटे भाई कुंभकर्ण का पुत्र था। जब उसे पता चला कि उसके पिता की मृत्यु भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम ने की है तो वह बहुत क्रोधित हुआ। भगवान विष्णु को पीड़ा देने के लिए उसने ब्रह्मा को तप कर प्रसन्न कर लिया। ब्रह्मा से वरदान पाकर वह राक्षस बहुत शक्तिशाली हो गया और उसने इंद्र आदि देवताओं को हरा दिया। इसके बाद उसने पृथ्वी को जीतना आरंभ किया। यहां कामरूप देश के राजा सुदक्षिण के साथ उसका भयानक युद्ध हुआ।

अंत में भीम ने राजा सुदक्षिण को हराकर कैद कर लिया। राजा सुदक्षिण शिव भक्त था। कैद में रहकर उसने एक पार्थिव शिवलिंग बनाया उसी की पूजा करने लगा। यह बात जब भीम को पता चला तो वह बहुत क्रोधित हुआ और राजा सुदक्षिण का वध करने के उद्देश्य से वहां पहुंचा। जब भीम ने सुदक्षिण से पूछा कि तुम यह क्या कर रहे हो? तब सुदक्षिण ने बोला कि मैं इस जगत के स्वामी भगवान शंकर का पूजन कर रहा हूं। भगवान शिव के प्रति राजा सुदक्षिण की भक्ति देखकर भीम ने जैसे ही उस शिवलिंग पर तलवार चलाई, तभी वहां भगवान शिव प्रकट हो गए। प्रकट होकर भगवान शिव ने कहा कि- मैं भीमेश्वर हूं और अपने भक्त की रक्षा के लिए प्रकट हुआ हूं। भगवान शिव व राक्षस भीम के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अंत में अपनी हुंकार मात्र से भगवान शिव ने भीम तथा अन्य राक्षसों को भस्म कर दिया। तब देवताओं व ऋषि-मुनियों ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि आप इस स्थान पर सदा के लिए निवास करें। इस प्रकार सभी की प्रार्थना सुनकर भगवान शिव उस स्थान पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थिर हो गए। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए अगस्त और फरवरी महीने के बीच जान बेहतर रहेगा।

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