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काशी के घाटों पर लोगों का मुफ्त इलाज करने वाले डॉक्टर

वाराणसी : बीएचयू के पूर्व अधीक्षक और न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. विजय नाथ मिश्रा बीते एक साल से घाटों पर चलती-फिरती ओपीडी के नाम से मशहूर हैं। वह यहां मिले 70 गंभीर रोगियों को इलाज कर चुके हैं जबकि 20 से ज्यादा को बीएचयू में भर्ती करा चुके हैं। काशी में 84 घाट हैं। यहां कोई मोक्ष की कामना से आता है तो कोई बनारस की अलौकिक सुबह का आनंद लेने के लिए। डॉ. मिश्रा घाटों पर रात को करीब एक घंटा वॉक करते हैं। इस दौरान उनका फोकस बीमार लोगों पर रहता है। कंधे पर आला (स्थेटिसकोप) और जेब में कुछ जरूरी दवाएं लेकर चलने वाले डॉ. मिश्रा को जो भी जरूरतमंद मिलता है, वे सहजता से उसकी जांच करते हैं। जरूरत के अनुसार आर्थिक मदद भी करते हैं। डॉ. मिश्रा बताते हैं कि उनका परिवार बीते साल जनवरी में दिल्ली गया था। वे परिवार को एयरपोर्ट छोड़कर लौटे तो मन बैचेन था। वे सीधे गंगा किनारे पहुंच गए। उन्होंने भैंसासुर घाट से वॉक शुरू की। रात ज्यादा होने के कारण उस दिन वे लौटकर घर आ गए। अगले दिन उन्होंने सभी 84 घाट घूमने का निर्णय लिया। डॉ. मिश्रा के मुताबिक- पंचगंगा घाट के पास एक आदमी बेहोश होकर गिर गया। उसे देखकर अच्छा नहीं लगा। पास का मेहता अस्पताल बंद था। यही मेरा पहला मरीज था। एक बार मणिकर्णिका पर अंतिम संस्कार के समय एक व्यक्ति को मिर्गी का दौरा पड़ा। उसका भी इलाज किया। बस तभी से घाट पर नियमित रूप से लोगों का इलाज शुरू किया।

डॉ. मिश्रा ने बताया- घाटों पर काफी युवा नशा करते हुए दिखाई देते थे। यह कई तरह के अपराध की वजह भी बनता था। इसलिए डीजीपी को ट्वीट कर मदद मांगी। अब चौकी इन्चार्ज और एक सिपाही भी घाटों पर वॉक करता है। घाट नशामुक्त हो गए हैं। घाट वॉक सोशल मीडिया पर ट्रेंड है। घाट वॉक की जानकारी रखने वाले मरीज भी इलाज के लिए पहुंच जाते हैं। 14 जनवरी को घाट वॉक का पहली सालगिरह मनाई गई, जिसमें करीब 1500 लोग शामिल हुए। इनमें नाविक, प्रोफेसर, संगीतकार, कलाकार, नौकरशाह, डॉक्टर, स्टूडेंट सभी शामिल हुए। सभी ने समाजसेवा में योगदान को लेकर शपथ ली और स्वच्छता को मुख्य उद्देश्य बनाया।

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