जानिए सावन की शिवरात्रि पर किस मंत्र का जाप करने से मिलेगा मनचाहा वरदान
सावन का महीना चल रहा है। यह महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है। भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे उत्तम मानी जाने वाला शिवरात्रि का महापर्व 30 जुलाई को पड़ेगा। इस दिन विधि-विधान से महादेव की पूजा, अर्चना एवं मंत्र जप करने से दुर्भाग्य दूर होता है और सुख, संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि तीनों लोकों के स्वामी भगवान शिव पूरे सावन मास पृथ्वी पर निवास करते हैं।
जब भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से चार महीने के लिए क्षीर सागर में विश्राम करते हैं तो सृष्टि का संचालन भगवान भोलेनाथ अपने कंधों पर ले लेते हैं। ऐसे में पृथ्वी पर उनके जितने भी शिवलिंग हैं, उनकी पूजा-अर्चना का विशेष फल मिलता है। इसदिन यदि कोई भक्त विधिविधान से पूजा करके भगवान शिव को प्रसन्न कर ले तो औढरदानी भगवान शिव उसकी सारी मनोकामना पूरी कर देते हैं। शिवरात्रि के शुभ अवसर पर भगवान शिव को प्रसन्न करके उनसे धन,आयु, यश, सुलता आदि का आशीर्वाद पाने के लिए आप नीचे दिए गए पूजा के उपाय और मंत्र जप अवश्य करें।
शिवजी का प्रिय फूल और मंत्र
भगवान शिव को धतूरे के फूल बहुत प्रिय होते हैं। इसके अलावा हरसिंगार, नागकेसर के सफेद पुष्प, कनेर, आक, कुश आदि के फूल भी भगवान शिव को चढ़ाने का विधान है, लेकिन कभी भी भगवान शिवजी को केवड़े का फूल और तुलसी दल ना चढ़ाएं।
महादेव के मंत्र से पूरी होगी मनोकामना
हिंदू देवताओं में भगवान शिव को बहुत आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। भगवान शिव के मंत्र का उपयोग मुख्य रूप से मृत्यु भय, बाधा आदि को दूर करने के लिए किया जाता है। महादेव के मंत्रों का जाप करने से सभी प्रकार के रोग, दु:ख, भय आदि से मुक्ति मिलती है। शिव मंत्र में एक व्यक्ति की आंतरिक क्षमता और शक्ति में वृद्धि होती है। महादेव के मंत्र जप से जन्म कुंडली में नकारात्मक प्रभाव डाल रहे ग्रहों के दोषों का भी अंत हो जाता है।
भगवान शिव का मूल मंत्र
ॐ नमः शिवाय॥
भगवान शिव का यह सबसे सरल मूल मंत्र है। इसका जप कोई भी बड़ी आसानी से कर सकता है। इस छोटे से मंत्र को सभी वेदों का सार तत्व माना गया है। इसी तरह नम: शिवाय के साथ नीचे दिए गए मंत्र से भी भगवान शिव की साधना कर उनसे आशीर्वाद पा सकते हैं।
नम: शिवाय॥
ॐ ह्रीं ह्रौं नम: शिवाय॥
ॐ पार्वतीपतये नम:॥
ॐ पशुपतये नम:॥
ॐ नम: शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नम: ॐ ॥
महामृत्युंजय मंत्र-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
देवों के देव महादेव की पूजा में शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत कल्याणकारी माना गया है। इसके पाठ करने से जीवन में सफलता प्राप्त होती है और राह में आ रही सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
॥ शिव पंचाक्षर स्तोत्र ॥
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय|
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे “न” काराय नमः शिवायः॥
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय|
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे “म” काराय नमः शिवायः॥
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय|
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै “शि” काराय नमः शिवायः॥
वषिष्ठ कुभोदव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय|
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै “व” काराय नमः शिवायः॥
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय|
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै “य” काराय नमः शिवायः॥
पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत शिव सन्निधौ|
शिवलोकं वाप्नोति शिवेन सह मोदते॥
शिव पंचाक्षर स्तोत्र की तरह गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा लिखा गया श्री रुद्राष्टकम् स्तोत्र की स्तुति करने से भी भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न होकर जीवन से जुड़ी सभी बाधाओं को दूर करते हुए अपने भक्त का कल्याण करते हैं। सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला रुद्राष्टकम् स्तोत्र इस प्रकार है —
॥ श्रीरुद्राष्टकम् ॥
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ 1 ॥
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोऽहम् ॥ 2 ॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥ 3 ॥
चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥ 4 ॥
प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् ।
त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥ 5 ॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।
चिदानन्द संदोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥ 6 ॥
न यावत् उमानाथ पादारविन्दं भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावत् सुखं शान्ति सन्तापनाशं प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ॥ 7 ॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजां नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो ॥ 8 ॥
रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ॥
मंत्र जप में जरूरी हैं ये सावधानियां
श्रावण मास में भगवान शिव के इन चमत्कारी मंत्रों के जाप से जीवन में हर बाधा दूर होती है और सभी तरह की शुभता, अनुकूलता और सफलता प्राप्त होती है। लेकिन ध्यान रहे भगवान शिव के इन मंत्रों का उच्चारण सही तरीके से करें। मंत्र जप हमेशा मन में करने की कोशिश करें अथवा धीमी आवाज में करें। मंत्र जप के दौरान महादेव के सामने दीप-धूप जलती रहनी चाहिए। मंत्र जप हमेशा उत्तर या पूर्व की दिशा की ओर करके करें। महाशिवरात्रि के दिन किसी मंदिर में बैठकर इनमें से किसी भी मंत्र का एक निश्चित संख्या में जप करने से शिव कृपा प्राप्त होती है। अगर मंदिर में जप करना संभव नहीं हो तब गौशाला या नदी किनारे बैठकर इस मंत्र का जप कर सकते हैं। अगर यह भी संभव नहीं हो तब घर पर भी मंत्र का जप किया जा सकता है। चूंकि घर पर पूजा में ध्यान केंद्रित करना कठिन होता है, इसलिए घर को जप करने के लिए अंतिम विकल्प के रुप में देखा जाता है।