सुबह का ब्रेकफास्ट हो या दोपहर का लंच, पेट में जब तक कुछ जाए न, तब तक कोई काम नहीं हो पाता। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं कि खाली पेट होने पर या वक्त-बेवक्त की भूख लगने पर जो सामने नजर आए, उसे खा लिया जाए। खाली पेट की गई ऐसी गलतियां अक्सर एसिडिटी और गैस का कारण बन सकती हैं। इन प्रॉब्लम्स से बचने के लिए बेहतर होगा कि खाली पेट कुछ भी खाने से पहले थोड़ा सोच- विचार कर लें।
तीखी-मसालेदार चीजें
दिनभर काम की व्यस्तता में कई बार खाना खाने का होश नहीं रहता। चाय पी-पीकर पेट की आवाज़ें दबा दी जाती हैं। घर पहुंचते ही कुछ सूझता नहीं और सॉस डले तेज मिर्च वाले नूडल्स
, ढेर सारी तीखी सेव डला पोहा या तीखा नमकीन आदि खा लेते हैं। ये चीज़ें भूख शांत करें न करें, खाली पेट में एसिडिटी बढ़ाने का काम जरूर करती हैं। इसलिए बहुत ज्यादा लाल मिर्च, रेड चिली सॉस, ग्रीन चिली सॉस डली चीज़ों के साथ-साथ तली हुई चीजों को खाने से बचना ही बेहतर होगा।
फिर क्या खाएं- डेयरी प्रोडक्ट्स लें, जैसे दूध, दही, चीज़, पनीर, मट्ठा आदि। यदि मिर्च-मसाले के अलावा कोई और ऑप्शन न हो, तो साथ में दही, मट्ठा लेना न भूलें। रात के खाने में भी ताज़ा हरा धनिया व जीरे का ज्यादा इस्तेमाल करें, क्योंकि ये डाइजेशन के लिए अच्छे माने जाते हैं।
केवल फल
इसमें कोई दो राय नहीं है कि फलों में मौजूद फाइबर सेहत के लिए फायदेमंद होता है। इनमें मौजूद ग्लूकोज पचने में आर्टिफिशियल ग्लूकोज से ज्यादा समय भी लेती है, इसके बावजूद ये आपकी भूख शांत करने का काम सही तरीके से नहीं करते। इस काम को पूरा करने के लिए फलों के साथ प्रोटीन शामिल करना अच्छा रहेगा। रिसर्च भी बताते हैं कि फलों के फाइबर के साथ प्रोटीन शामिल करने से घ्रेलिन, यानी भूख वाला हॉर्मोन दबाना आसान हो जाता है।
फिर क्या खाएं– कटे फल व दूध से बना कस्टर्ड या फल व दूध का शेक। दूध न लेना चाहें, तो कटे फलों पर थोड़े-से मेवे या चीज़/मक्खन डाल दें। इन पर दही व शहद मिलाकर भी खा सकते हैं। इससे भूख भी ख़त्म होगी, जल्दी कुछ और खाने की ज़रूरत महसूस नहीं होगी और पौष्टिकता भी बनी रहेगी।
चटर-पटर
मठरियां, चिप्स, बिस्कुट व हल्के-फुल्के स्नैक्स के ऑप्श्न लगभग हर घर में मौजूद होते हैं। बेवक्त लगने वाली भूख में ये अहम भूमिका निभाते हैं। पर ये इतने हल्के महसूस होते हैं कि कितना भी खा लो, पेट भरा हुआ नहीं लगता। ऐसे में हाथ रुकता नहीं और तली-भुनी चीज़ें बिना रूके खाते जाते हैं। इसलिए जब भी भूख लगे, तो इन पैकेटबंद चीजों को न खाएं, क्योंकि भूख तो खत्म होगी नहीं, पर कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ता ही जाएगा।
फिर क्या खाएं- कार्ब्स और प्रोटीन का मेल अच्छा और हेल्दी रहेगा, यानी मिले-जुले अनाज या आटे की ब्रेड से बनी सैंडविच, जिसमें पनीर या चीज़ डला हो। सैंडविच न बना सकें, तो ब्रेड स्लाइस के साथ पीनट बटर या दूध लें। अंकुरित भेल, भुने चने, घर के बने नारियल या आटे के मेवे मिश्रित लड्डू, दाल-चावल की चकली भी अच्छे विकल्प हैं।
खट्टे फल या कैफीन
खट्टे फल खाली पेट में एसिड बनाने का काम करते हैं। कुछ ऐसा ही मामला कैफीन के साथ भी है। इनके सेवन से पेट में जलन व दर्द का अहसास भी हो सकता है। इसलिए खाली पेट चाय/कॉफी या खट्टे फलों का सेवन करने से बचें। व्रत वाले दिन भी इस बात का ख्याल रखें।
फिर क्या खाएं- सब्जियां पेट में एसिड नहीं बनाती। खासतौर पर वो सब्जियां जिनमें पानी की मात्रा अधिक होती है। ऐसे में खीरा सबसे अच्छा ऑप्शन है। चाहें तो एक कटोरी दाल व सब्ज़ियों का सूप भी पी सकते हैं। सब्जियां डालकर बेसन का चीला, रवे का उत्तपम या झटपट बनने वाली इडली भी अच्छी रहेगी।