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संसदीय व्यवस्था संघर्ष का परिणाम : प्रणव मुखर्जी

 जयपुर : पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि भारतीय संसदीय व्यवस्था न तो हमें आकस्मिक मिली और न ही ब्रिटिश सरकार के उपहार में मिली है बल्कि इसे सतत संघर्ष से बनाया है।

राष्ट्रमंडल संसदीय संघ एवं लोकनीति के संयुक्त अधिवेशन में ‘चेंजिंग नेचर ऑफ पार्लियामेंट डेमोक्रेसी इन इंडिया’ विषय पर आज आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए श्री मुखर्जी ने कहा कि संविधान बदलने का अधिकार मिलने के बाद इसमें कई संशोधन हुए, लेकिन इसकी मूल आत्मा को जीवित रखा गया है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका से पहला टकराव राजा महाराजाओं के विशेषाधिकार खत्म करने के मामले में हुआ।

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