टॉप न्यूज़फीचर्डराष्ट्रीय

डॉक्टरों की हड़ताल: 7000 ऑपरेशन टले, 80 हजार से ज्यादा मरीजों को नहीं मिला इलाज

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक के विरोध में बृहस्पतिवार को दिल्ली सहित देश भर के रेजीडेंट डॉक्टर हड़ताल पर रहे। राजधानी के करीब 50 से ज्यादा सरकारी अस्पतालों में हड़ताल होने के कारण मरीजों को इलाज के लिए दिनभर भटकना पड़ा। हड़ताल की वजह से लगभग सात हजार छोटे-बड़े ऑपरेशन टालने पड़ गए। वहीं करीब 80 हजार से ज्यादा मरीजों को उपचार नहीं मिल सका। दिल्ली एम्स, सफदरजंग, आरएमएल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के साथ साथ दिल्ली सरकार और नगर निगम के अस्पतालों में हुई हड़ताल में करीब 20 हजार रेजीडेंट डॉक्टर शामिल हुए। कई मरीज ऐसे भी थे जो सुबह से एंबुलेंस में एक से दूसरे और फिर तीसरे अस्पताल इलाज के लिए पहुंचे, लेकिन हर जगह से उन्हें रेफर ही किया गया।

सुबह 8 बजे से हड़ताल पर गए डॉक्टरों ने फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) के बैनर तले लोकनायक अस्पताल से राजघाट तक पैदल मार्च कर महात्मा गांधी की समाधि पर पहुंचे। यहां पर डॉक्टरों ने सरकार को सद्बुद्धि प्रदान करने की प्रार्थना की। इसके बाद सभी डॉक्टरों ने दिल्ली एम्स की ओर कूच किया।

उधर, सुबह दिल्ली एम्स और सफदरजंग में डॉक्टरों ने एकजुट होकर मार्च निकाला। इसके बाद करीब 11 बजे दोनों अस्पतालों के बाहर आकर डॉक्टरों ने एम्स रिंग रोड को जाम कर दिया। मौके पर पहुंची पुलिस ने पहले डॉक्टरों पर काबू पाने का प्रयास किया, लेकिन उनकी तादाद ज्यादा होने के कारण पुलिस को अतिरिक्त सुरक्षा बल का इंतजाम करना पड़ा।

इसी बीच डॉक्टरों और चिकित्सीय विद्यार्थियों की भीड़ रिंग रोड पार कर चुकी थी। काफी देर आईएनए मेट्रो स्टेशन के पास पुलिस प्रदर्शनकारियों को रोके रही, लेकिन दोपहर ढाई बजे काफी संख्या में डॉक्टर पुलिस के चक्रव्यूह को भेदते शाम तक संसद भवन पहुंच गए।
यहां सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे डॉक्टरों को आनन फानन में पुलिस ने हिरासत में लिया और उन्हें मंदिर मार्ग थाने ले गई।
दिल्ली एम्स आरडीए के अध्यक्ष डॉ. अमरिंदर का कहना है कि एनएमसी विधेयक में कई खामियां होने के बाद भी सरकार का रवैया सदन में साफ दिखाई दे रहा था।

एम्स में नए मरीजों को नहीं मिला इलाज
हड़ताल के चलते एम्स और ट्रामा सेंटर में नए मरीजों को भर्ती करने से साफ इनकार कर दिया। सुबह लंबी लाइनों में खड़े मरीजों को जब वापस जाने के लिए सुरक्षा गार्ड कहने लगे तो काफी बहस भी हुई। बाद में मरीजों को मायूस होकर घर जाना पड़ गया।

आपातकालीन विभाग में उपचार चलता रहा, लेकिन यहां भी अन्य दिनों की भांति ज्यादा मरीजों को उपचार नहीं मिला पाया। उधर ओपीडी में वरिष्ठ डॉक्टरों के तैनात होने के कारण करीब 500 ऑपरेशन के टाले जाने की खबर मिली है। एम्स जैसा ही हाल सफदरजंग अस्पताल में देखने को मिला। यहां भी नए मरीजों का ओपीडी में पंजीयन नहीं हो सका।

दिनभर टीवी देखते रहे वरिष्ठ डॉक्टर

हड़ताल के दौरान जहां अस्पतालों में आपाधापी का माहौल था, वहीं एम्स और सफदरजंग जैसे बड़े अस्पतालों में जिम्मेदार पदों पर बैठे वरिष्ठ डॉक्टर दिनभर टीवी पर राज्यसभा में एनएमसी विधेयक पर चल रही बहस को देखते रहे। हर कोई इस विधेयक को लेकर सरकार का रुख जानने के लिए उत्साहित था।

Related Articles

Back to top button