शिवराज ने कहा—पहले मोदी और शाह को नेता मानता था, अब उनकी पूजा करता हूं
भोपाल : पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा 370 को हटाए जाने के फैसले को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने इस फैसले को पंडित जवाहर लाल नेहरू की गलती को सुधारने वाला कदम करार दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि अब वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की पूजा करने लगे हैं। ने इससे पहले रविवार को उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को अपराधी करार दिया था। उनके इस बयान पर विवाद उठने पर उन्होंने सोमवार को पत्रकारों से बात की। यहां उन्होंने अपने बयान पर सफाई दी और कहा कि उन्होंने जो कहा था वह तथ्यों पर आधारित था और पूरी जिम्मेदारी से कहा था। पूर्व सीएम ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पर नेहरू ने जो गलती की थी उसे प्रधानमंत्री मोदी ने सुधारा है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 समाप्त करने का ऐतिहासिक काम किया है। चौहान ने कहा, ‘पहले मैं मोदीजी और अमित शाह को अपना नेता मानता था। उन्हें श्रद्धा की द्दष्टि से देखता था, लेकिन इस कदम के कारण उनकी पूजा करता हूं।
उधर, शिवराज पर पलटवार करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘शिवराज सिंह चौहान पंडित नेहरू के पैरों की धूल भी नहीं हैं, उनको शर्म आनी चाहिए।’ इस पर शिवराज ने दिग्विजय पर पलटवार करते हुए कहा, ‘ मैं किसी परिवार का गुलाम नहीं हूं, सिर्फ भारत माता के चरणों की धूल हूं। इसी की सेवा करके अपने जीवन को सफल, सार्थक और धन्य मानता हूं। हमारा देश स्वाभिमान के साथ आगे बढ़े, यही हमारा संकल्प है।’ उधर, पी. चिदंबरम के बयान पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उन्हें उनकी बुद्धि पर तरस आता है। कांग्रेस के नेताओं में कश्मीरी जनता के लिए प्रेम नहीं है। ये केवल हिन्दू-मुसलमान के आधार पर देश को देखते हैं। बीजेपी के लिए भारत के नागरिक एक हैं। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, हम सभी को अपना मानते हैं। कश्मीर में शांति रखना,गरीबी दूर करना,उसे वास्तव में स्वर्ग बनाना हमारा ध्येय है। वहीं दूसरी तरफ सोनिया गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाए जाने पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, ‘आखिरकार कांग्रेस ने फिर सोनिया गांधी को अध्यक्ष बना दिया, अब कांग्रेस कहां जाएगी। इस मामले में राहुल गांधी की सोच की तारीफ करता हूं कि उन्होंने कहा, कि गैर गांधी लाओ, अध्यक्ष पद स्वीकार नहीं किया। कांग्रेस में नई कोपल तब तक नहीं फूटेगी, जब तक लोकतंत्र के आधार पर वह अपना नेता नहीं चुनेंगे। स्वाभाविक लीडरशिप उभरने दें।’