लालू की लालटेन की लौ को क्या फिर से तेज कर पाएंगे तेजस्वी…
पटना :- राष्ट्रीय जनता दल की शुक्रवार को हुई महत्वपूर्ण बैठक में विधानमंडल दल के सदस्य और जिलाध्यक्ष शामिल हुए। उम्मीद की जा रही थी कि लंबे अरसे बाद तेजस्वी यादव बैठक का नेतृत्व करेंगे। लेकिन वे इस बार भी नहीं आए। लोकसभा चुनाव में हार के बाद से तेजस्वी यादव मुख्य धारा की राजनीति से गायब हो गए हैं। बैठक में वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में पार्टी को किस तरह से मजबूती दी जा सकती है, इसपर राय ली गई। बता दें कि आरजेडी (RJD) अभी कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा है, जिसे लेकर खुद पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव भी चिंतित हैं।
कठिन दौर से गुजर रहा है लालू का आरजेडी
आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने भी माना है कि पार्टी अभी कठिन दौर से गुजर रही है। उन्होंने ये भी कहा कि जल्द ही हमारे नेता तेजस्वी यादव आएंगे और पार्टी को संभालेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारे नेता तेजस्वी हैं और उनके नेतृत्व में पार्टी फिर से अपना खोया जनादेश वापस ला पाएंगे। उन्होंने माना कि पार्टी की स्थिति को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव भी चिंतित हैं।
बैठ में नहीं आए तेजस्वी, होता रहा इंतजार
आरजेडी की यह बैठक पूर्व सीएम राबड़ी देवी (rabri devi) के 10 सर्कुलर रोड स्थित आवास पर हुई। बैठक का नेतृत्व राबड़ी देवी ने किया। इसमें पार्टी के सभी 79 विधायक, 2015 के सारे प्रत्याशी, सभी जिलों के जिलाध्यक्ष और जिला प्रभारी शामिल हुए। इसमें नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के भी शामिल होने की बात कही जा रही थी। लेकिन वे नहीं आए। तेजस्वी लोकसभा चुनाव में आरजेडी को मिली करारी हार के बाद राजनीति से दूर-दूर रह रहे हैं।
कांग्रेस विधायक ने किया था दावा
बता दें कि दो दिन पहले ही बक्सर से कांग्रेस विधायक मुन्ना तिवारी ने दावा किया था कि जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आने वाला विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस (Congress) और आरजेडी के कुछ विधायक अपनी-अपनी पार्टी छोड़कर नीतीश कुमार के साथ जाएंगे और उन्हें ही मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बनाएंगे। नीतीश भी बीजेपी को छोड़कर इन विधायकों को जेडीयू में शामिल करते हुए उनके ही साथ विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे।
तेजस्वी के सामने है बड़ी चुनौती
अब एेसी स्थिति में RJD की कमजोर हो रही साख के बीच अब लालू के लाल तेजस्वी के लिए बड़ी चुनौती है। सवाल यह है कि राजनीति से दूर रहकर पार्टी को मजबूती कैसे देंगे। सवाल यह भी है कि वे पार्टी के सदस्यों का फिर से आत्मविश्वास जगा पाएंगे? तेजस्वी की नेतृत्व क्षमता को लेकर उनकी पार्टी में ही कई सवाल उठे हैं। लालू यादव के करीबी विधायक और वरिष्ठ नेताओं ने भी तेजस्वी की नेतृत्व शैली पर सवाल खड़े किए हैं।
अपनी ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर हैं तेजस्वी
तेजस्वी ने लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद राजनीति से पूरी तरह दूरी बना ली है। ऐसे में वे अपनी ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर हैं। तेजस्वी को कमबैक करने के साथ ही विपक्ष से सामना बाद में करना पड़ेगा। फिलहाल उन्हें पार्टी के भीतर चल रहे असंतोष को दूर करना होगा। लालू यादव की पार्टी और परिवार दोनों ही कठिन परिस्थिति से गुजर रहे हैं और तेजस्वी पर परिवार औऱ पार्टी दोनों को संभालने की बड़ी जिम्मेदारी है।
तेज प्रताप भी तेजस्वी के लिए बने परेशानी का सबब
हालांकि, तेज प्रताप छोटे भाई तेजस्वी को अपना अर्जुन बताते हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान उनपर उन्होंने उनकी बात नहीं मानने और उनके उम्मीदवार को टिकट नहीं देने के आरोप लगाए थे। इतना ही नहीं, तेज प्रताप ने अपने ससुर चंद्रिका यादव को भी छपरा से टिकट देने पर नाराजगी जताई थी। परिवार में तब से ही तनाव बढ़ा और लोकसभा में पार्टी को मिली हार ने तेजस्वी के नेतृत्व पर कई तरह के सवाल खड़े कर दिए।