कहानीः दुनिया का सफर क्यों है एक सराय?
बात बहुत पुरानी है। सुंदरवन राज्य का राजा स्वभाव से बहुत घमंडी था। उसके घमंड के चलते आस-पास के राज्य के राजाओं से भी उसके संबंध अच्छे नहीं थे। उसके घमंड की वजह से सारे राज्य के लोग उसकी बुराई करते थे।
एक बार उस गांव से एक साधु महात्मा गुजर रहे थे। लोगों के मुंह से जब उन्होंने राजा के घमंड के किस्से सुने तो उन्होंने राजा को सबक सिखाने की सोची।
वे राजमहल जाकर राजा से मिले। राजा से साधु की खूब सेवा की। मौका पाकर साधु ने पूछा, हे राजा, तुमसे पहले यह राजमहल किसका था?
राजा बोले, मेरे पिताजी का।
साधु ने कहा, तुम्हारे पिताजी से पहले यह किसका था?
राजा बोले, मेरे दादाजी का।
साधु ने मुस्करा कर कहा, हे राजन, जिस तरह लोग सराय में कुछ देर रहने के लिए आते हैं वैसे ही यह तुम्हारा राजमहल है। कुछ समय के लिए तुम्हारे दादाजी का था, फिर कुछ समय के लिए तुम्हारे पिताजी का था। अब कुछ समय के लिए तुम्हारा है, कल किसी और का होगा। यह राजमहल जिस पर तुम्हें इतना घमंड है यह एक सराय ही है, जहां एक व्यक्ति कुछ समय के लिए आता है और फिर चला जाता है।
राजा की आंखें खुल गर्इं। वह बोला, वाकई महाराज, दुनिया एक सराय है, जहां कुछ लोग रोज आते हैं और कुछ लोग रोज चले जाते हैं। अच्छी सोच रखिए, अच्छे काम करिए क्योंकि इस सराय से एक दिन सबको जाना है।