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B’day Spcl: फिल्में छोड़ संन्यासी बन गए थे विनोद खन्ना, आश्रम में साफ करते थे टॉयलेट

बॉलीवुड के हैंडसम और शानदार एक्टर विनोद खन्ना का छह अक्टूबर 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। उस दौर में उनका कद अपने साथ के सभी अभिनेताओं से बड़ा माना जाता था। कहा तो ये भी जाता है कि विनोद खन्ना में बॉलीवुड का महानायक बनने की क्षमता थी लेकिन संन्यासी बनने की चाहत ने उन्हें करियर के सबसे ऊंचे शिखर से नीचे खींच लिया। हालाकि वो दोबारा लौटे और उन्होंने अपने करियर को फिर उन्हीं ऊंचाइयों तक पहुंचाया। आज विनोद खन्ना का जन्मदिन है।

विनोद खन्ना करियर के शीर्ष पर पहुंचकर रिटायरमेंट लेने वाले पहले बॉलीवुड एक्टर थे। पहले डाकू के रोल में लोगों को डराया, फिर पुलिस वाला बनकर उनका दिल जीता। लव मेकिंग सीन दिए तो इंडस्ट्री में नया ट्रेंड सेट हो गया पर जब संन्यासी बनने का फैसला लिया तो किसी को यकीन नहीं हुआ।

70 के दशक में विनोद खन्ना ओशो (आचार्य रजनीश) से प्रभावित होने लगे थे। 1975 के ठीक आखिरी दिन वह रजनीश आश्रम में संन्यासी बन गए। इससे पहले उन्होंने घंटों ओशो के वीडियो देखे। उनके साथ समय बिताया। 70 के दशक के आखिरी सालों में वह सोमवार से लेकर शुक्रवार तक बॉलीवुड में काम करते फिर उनकी मर्सीडिज कार पुणे की ओर भागती नजर आती। हफ्ते के आखिरी दो दिन वह पुणे के ओशो आश्रम में गुजारते।

विनोद खन्ना ने एक इंटररव्यू में कहा था, ‘मैं ओशो के बगीचे (अमेरिका में) की रखवाली करता था। मैं टॉयलेट साफ करता था। मैं खाना बनाता था और उनके कपड़े मुझपर ट्राय कराए जाते थे क्योंकि हमारी कद-काठी एक थी।’

विनोद खन्ना ने बॉलीवुड में अपनी दूसरी पारी शुरू की। अभिनेता ने राजनीति में भी हाथ आजमाया और सफल साबित हुए। वह पंजाब की गुरदासपुर लोकसभा सीट से चार बार सांसद चुने गए थे। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वह केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन और विदेश राज्य मंत्री भी रहे थे।

लोग मानते हैं कि अगर विनोद खन्ना उस समय फिल्म इडंस्ट्री को न छोड़ते तो शायद उनका रुतबा भी महानायक अमिताभ बच्चन के समकक्ष होता। 7 अप्रैल 2017 को कैंसर की वजह से विनोद खन्ना का निधन हो गया।

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