ये है देश के पहले ट्रांसजेंडर पायलट जो उड़ाएंगे विमान, कभी घरवालों ने निकाल दिया था बाहर
तिरुवनंतपुरम । एडम हैरी जल्द देश के पहले ट्रांसजेंडर कॉमर्शियल पायलट (India’s first transgender pilot) होंगे। उनका विमान उड़ाने का सपना जल्द ही पूरा होने वाला है। केरल सरकार ने 20 वर्षीय हैरी को कमर्शियल लाइसेंस की पढ़ाई के लिए आर्थिक मदद देने का फैसला किया है। ट्रांसजेंडर होने की वजह से हैरी को घर के लोगों ने बेदखल कर दिया है।
हैरी का उद्देश्य है कि वो देश के पहले ट्रांसजेंडर एयरलाइन पायलट बनें ताकि उनके जैसे लोगों को भी अपना सपना पूरा करने की प्रेरणा मिले। उनके पास प्राइवेट पायलट लाइसेंस है लेकिन यात्री विमान उड़ाने के लिए उन्हें कमर्शियल लाइसेंस की जरूरत है। परिवार द्वारा बहिष्कृत किए जाने के बाद उनके पास फीस चुकाने के लिए रुपये नहीं हैं। रिपोर्टों के मुताबिक, उनकी तीन साल की ट्रेनिंग में लगभग 23.34 लाख रुपये का खर्च आएगा।
पहला ट्रांसजेंडर पायलट
हैरी ने कहा कि मैं एक निजी पायलट लाइसेंस हासिल करने वाला पहला ट्रांसजेंडर हूं। मैं भारत में कॉमर्शियल पायलट के प्रशिक्षण को आगे बढ़ाने की योजना बना रहा हूं। इसके लिए केरल सरकार ने मुझे आर्थिक मदद देने का फैसला किया है। मैं इस फैसले से बहुत खुश हूं। अब हैरी तिरुवंतपुरम के राजीव गांधी एविएशन टेक्नोलोजी अकादमी में आगे की पढ़ाई जारी रखेंगे। कोर्स पूरा करने के बाद जब मैं भारत लौटा तो मेरे माता-पिता को मेरे ट्रांसजेंडर होने का पता चला और उन्होंने मुझे 19 साल की उम्र में नजरबंद कर दिया। करीब एक साल तक मैं घर में नजरबंद रहा।
घर में किया गया नजरबंद
हैरी ने आगे कहा कि परिजनों द्वारा घर में नजरबंद किए जानें के दौरान मुझे मानसिक और शारीरिक रूप से बेरहमी से टॉर्चर किया गया। इसके बाद मैंने फैसला किया कि अब मुझे घर छोड़ देना है और नए जीवन की शुरुआत करनी है। मैं घर से भाग कर एर्नाकुलम पहुंचा। मैं भाग्यशाली था कि मेरी मुलाकात जिस शख्स से हुई वह भी ट्रांसजेंडर था। मेरे पास रहने के लिए घर भी नहीं था ना ही अनजाने शहर में मेरा कोई परिचित था। ये मेरी गुमनामी के बुरे दिन थे। मैं रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर सोता था।
जूस की दुकान पर काम किया
हैरी ने बताया कि उन्होंने जीविकोपार्जन के लिए एक जूस की दुकान पर काम किया। मैंने कई विमानन अकादमियों में भी पार्ट टाइम काम किया लेकिन मेरे ट्रांसजेंडर होने के कारण वे मुझे एक अच्छा वेतन देने के लिए तैयार नहीं थे। इसके बाद मेरी कहानी मीडिया की सुर्खियां बनी। इसके बाद बाल कल्याण विभाग ने मेरे बेहतर जीवन के लिए सम्मानजनक नौकरी की सिफारिश की। मैंने सामाजिक न्याय विभाग के सचिव से संपर्क किया। उन्होंने मुझे बाकी के प्रशिक्षण के लिए एक अच्छी विमानन अकादमी में शामिल होने का सुझाव दिया लेकिन मेरे पास फीस भरने के लिए रकम नहीं थी।
किसी को न हो इतनी तकलीफ
सामाजिक न्याय विभाग के सचिव ने मुझे बाकी के प्रशिक्षण के लिए एक अच्छी विमानन अकादमी में शामिल होने का सुझाव दिया लेकिन मेरे पास फीस भरने के लिए रकम नहीं थी। उन्होंने सुझाव दिया कि मुझको ट्रांसजेंडर न्याय बोर्ड में स्कॉलरशिप के लिए आवेदन देना चाहिए। इसके बाद मुझे स्कॉलरशिप की मंजूरी मिल गई और मैं राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ एविएशन एंड टेक्नोलॉजी में शामिल हो गया। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि मेरे जैसे लोगों को उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने में उतनी रुकावटें नहीं आनी चाहिए जितनी मुझे करनी पड़ी।