खुला कमलेश तिवारी हत्याकांड का राज, रशीद पठान ने रची साजिश
लखनऊ नाका के खुर्शीदबाग क्षेत्र निवासी हिंदू महासभा के नेता रहे और वतर्मान में हिंदू समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी (50) की शुक्रवार दोपहर दो बदमाशों ने बेरहमी से हत्या कर दी। दोनों बदमाश भगवा कपड़े पहने कमलेश के घर की पहली मंजिल पर स्थित दफ्तर पहुंचे थे। वे मिठाई के डिब्बे में पिस्टल व चाकू छिपाकर लाए थे। उन्होंने पहले कमलेश की गर्दन पर गोली मारी। फिर चाकू से ताबड़तोड़ वार करने के बाद गला रेत दिया।
शनिवार को यूपी पुलिस के डीजीपी ओपी सिंह ने इस केस का खुलासा करते हुए एक प्रेस कांफ्रेंस की जिसमें उन्होंने बताया कि इस हत्याकांड का खुलासा पुलिस इतनी जल्दी इसलिए कर सकी क्योंकि उन्हें मौका-ए-वारदात पर एक मिठाई का डिब्बा मिला था।
डीजीपी ने बताया कि यह मिठाई का डिब्बा ही इस हत्याकांड का अहम सुराग बना और इस हत्याकांड के तार सूरत, गुजरात से जुड़ गए। इसके बाद यूपी पुलिस ने गुजरात पुलिस को संपर्क किया और तुरंत एक टीम सूरत रवाना कर दी।
सूरत से खरीदा गया था मिठाई का डिब्बा
कमलेश तिवारी की हत्या करने आए बदमाश जिस मिठाई के डिब्बे में पिस्टल-चाकू छिपाकर लाए थे, वह गुजरात के सूरत का है। यह डिब्बा सूरत के उद्योग नगर उधना स्थित धरती फूड्स प्राइवेट लिमिटेड का था।
डीजीपी ने बताया कि मौके से एक रसीद मिली, जो बुधवार रात करीब साढ़े नौ बजे पिस्ता घड़ी मिठाई खरीदने की है। उक्त मिठाई की कीमत 680 रुपये प्रति किलो थी लेकिन बिल सिर्फ 500 रुपये का है।
बिल का भुगतान नकद रुपये में किया गया था। सूरत से दो दिन पहले खरीदी गई मिठाई के डिब्बे में पिस्टल-कारतूस छिपाकर लाने से हत्या का कनेक्शन आईएसआईएस से जोड़ा जा रहा था। लेकिन आज डीजीपी ने पुख्ता कर दिया कि इस केस का आईएसआईएस से कोई ताल्लुक नहीं है। मिठाई का डिब्बा भी गुजरात के सूरत का ही है।
बदमाशों ने फोन करके मिलने का समय मांगा था
बदमाशों ने कमलेश से मिलने के लिए फोन करके समय मांगा था। कमलेश तिवारी के कर्मचारी सौराष्ट्रजीत सिंह ने बताया कि बृहस्पतिवार रात करीब 12.30 किसी का फोन आया था। उसने मिलने के लिए कहा लेकिन कमलेश तिवारी ने काफी रात होने की बात कहते हुए मना कर दिया।
सुबह उक्त व्यक्ति ने फिर से फोन करके मिलने के लिए समय मांगा तो कमलेश ने उन्हें ऑफिस आने को कहा। पुलिस को कमलेश के मोबाइल फोन से संदिग्धों के मोबाइल नंबर मिल गए हैं।
गोडसे का मंदिर बनाने का किया था एलान
मूल रूप से सीतापुर जिले के संदना थाना क्षेत्र के पारा गांव निवासी कमलेश तिवारी ने अपने गांव में नाथूराम गोडसे का मंदिर बनवाने का एलान भी किया था। वर्ष 2014 में उन्होंने एलान करते हुए कहा था कि जनवरी 2015 में वह मंदिर की नींव गांव में रखेंगे।
उस समय पुलिस ने गांव में डेरा डाल दिया था। हालांकि बाद में कमलेश गांव नहीं पहुंचे थे। पारा गांव वासियों के अनुसार कई वर्ष पूर्व कमलेश अपने परिवार के साथ महमूदाबाद चले गए थे। उनके पिता देवी प्रसाद उर्फ रामशरण महमूदाबाद कस्बे के रामजानकी मंदिर में पुजारी थे।