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PCB पर लगा आरोप, भारतीय मुसलमान हैं सरफराज अहम इसलिए कप्तानी से हटाया गया

सरफराज अहमद को पाकिस्तान की टेस्ट व टी-20 क्रिकेट टीम के कप्तान पद से हटाए जाने के फैसले से इटावा में रहने वाले उनके मामा महबूब हसन खासे आहत हैं। शुक्रवार को पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने सरफराज को क्रिकेट के दोनों फॉर्मेट की कप्तानी से हटाने का फैसला लिया। उनकी जगह अजहर अली को टेस्ट और बाबर आजम को टी20 की कमान दी गई।

सरफराज के मामा ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड पर भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “पाक के हालात अच्छे नहीं हैं। वहां भारतीय मुसलमानों को मुहाजिर का दर्जा दिया गया है।”

सरफराज को ऑस्ट्रेलिया के साथ आगामी टेस्ट व टी-20 सीरीज के लिए भी टीम में नहीं शामिल किया गया है। महबूब बोले, “इसकी जानकारी उन्हें मीडिया से मिली।”

पूर्व पाकिस्तानी कप्तान महबूब की बड़ी बहन अकीला बानो के पुत्र हैं। सरफराज के पिता शकील अहमद मूलरूप से फतेहपुर जिले के खागा तहसील के कबरे गांव के रहने वाले हैं। सरफराज के पिता 1957 में कराची चले गए थे।

महबूब स्वयं प्रतापगढ़ जिले के कुंडा तहसील के दिलेरगंज के रहने वाले हैं। वह बताते हैं कि 17 अक्टूबर को उनकी सरफराज से मोबाइल पर बात हुई थी और उसने सभी का हालचाल पूछा था। उसने बताया था कि आइपीएल की तर्ज पर पाकिस्तान में भी लीग हो रही है। उसमें खेलने के लिए क्वेटा व लाहौर आदि शहरों में जाना होता है।

2016 में मोहाली में मिले थे महबूब बताते हैं कि सरफराज सबसे पहले 2007 में ग्वालियर आया था। उस समय कामरान अकमल को चोट लगने के कारण उसे विशेष विमान से भारत भेजा गया था। 2016 में शाहिद आफरीदी की कप्तानी में वह मोहाली में वन डे मैच खेलने आया था। वहां पर सरफराज से उनकी मुलाकात हुई थी। वह इटावा की मशहूर सोनपापड़ी उसके लिए लेकर गए थे।

2015 में वह पत्नी समर फातिमा, बेटी अर्शला सिद्दीकी व बेटे सलमान हसन के साथ सरफराज के निकाह में शिरकत करने पाकिस्तान गए थे। इटावा स्थित उनके आवास पर 1997 व 2001 में सरफराज आया था। तब उसका चयन पाकिस्तान टीम में नहीं हुआ था।

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