रेरा रियल एस्टेट की शिकायतों के लिए होगा विशेष लीगल फोरम
लखनऊ: 12500 सदस्यों, 21 राज्यों और 204 शहर स्तर के चैप्टर्स का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था क्रेडाई ने उत्तरप्रदेश रेरा द्वारा भारत सरकार एवं उत्तरप्रदेश सरकार के सहयोग से आयोजित पहले राष्ट्रीय रेरा सम्मेलन में सेक्टर के त्वरित विकास की योजनाओं के प्रयासों में सरकार को अपना समर्थन प्रदान किया। इस सम्मेलन ने प्राॅपर्टी डेवलपर्स, खरीददारों, विनियामक प्राधिकरणों एवं अन्य हितधारकों को ऐसा प्लेटफाॅर्म उपलब्ध कराया जहां उन्हें एक मंच पर आने और रेरा से जुड़ेे कानूनी ढांचे के सशक्तीकरण एवं रियल एस्टेट सेक्टर के विकास पर चर्चा करन का मौका मिला।
क्रेडाई ने अपनी तरह के पहले राष्ट्रीय रेरा सम्मेलन में रियल एस्टेट से जुड़ी मुख्य समस्याओं का समाधान किया
अपनी तरह के पहले इस दो दिवसीय सम्मेलन में रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे मौजूदा मुद्दों, सेक्टर के पुनरूत्थान के लिए विकास रणनीतियों तथा रेरा के सशक्तीकरण और इसे रियल एस्टेट से जुड़े सभी मामलों के लिए वन स्टाॅप समाधान बनाने के विषयों पर चर्चा की गई क्रेडाई नेशनल के प्रेज़ीडेन्ट सतीश मगर ने कहा, ‘‘हम यूपी रेरा, भारत सरकार और उत्तरप्रदेश सरकार के प्रति आभारी हैं जिन्होंने यह मंच उपलब्ध कराया है जो रियल एस्टेट उद्योग एवं विनियामक प्राधिकरणों के प्रतिनिधियों को एक मंच पर आने और सेक्टर की मौजूदा समस्याओं के समाधान पर विचार-विमर्श का मौका प्रदान कर रहा है। आज देश भर में तकरीबन 450 रियल एस्टेट कंपनियां/ प्रोजेक्ट्स इन्साॅल्वेन्सी एवं बैंकरप्टसी कोड के तहत इन्साॅल्वेन्सी से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिसके चलते सेक्टर में तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। ऐसे में समस्याओं के समाधान के लिए रेरा में ज़रूरी संशोधन करना समय की मांग है।’’
व्यवहारिक परियोजनाओं को उनके लोन पर एकबारगी पुनर्गठन का विकल्प दिया जाएगा
उन्होंने कहा कि सेक्टर की मौजूदा स्थिति को देखते हुए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिएः
- वर्तमान में कम जीडीपी विकास एवं लिक्विडिटी क्रन्च की समस्याओं के चलते मांग में मंदी के कारण अच्छी परियोजनाओं पर भी असर पड़ रहा है, जिसके चलते रियल एस्टेट सेक्टर तनाव के दौर से गुज़र रहा है। सेक्टर के पुनरूत्थान के लिए ज़रूरी है कि सभी दीर्घकालिक व्यवहारिक परियोजनाओं के लिए बिना किसी देरी के ऋण के एकबारगी पुर्नगठन की प्रक्रिया शुरू की जाए।
- रेरा अधिनियम का संशोधन कर इसे रियल एस्टेट षिकायतों के लिए एक्सक्लुज़िव लीगल फोरम बनाया जाएः रेरा अधिनियम पर आईबीसी को वर्चस्व देने से, रेरा अधिनियम को कानूनी अधिनियम बनाने का इरादा पूरा नहीं हो पाया है। रेरा को और सशक्त बनाया जा सकता है, जैसे अगर किसी मामलो में आवंटी वित्तीय लेनदार है, उसे रियल एस्टेट डेवलपर से कोई परेशानी है तो उसका पहला समाधान रेरा के पास हो।
- रियल एस्टेट सेक्टर भारत में कृषि के बाद सबसे बड़ा नियोक्ता है जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 8 फीसदी का योगदान देता है। आने वाले समय में इस सेक्टर में तीव्र विकास की उम्मीद है, एक अनुमान के मुताबिक ये 2030 तक जीडीपी में 1 ट्रिलियन डाॅलन का योगदान देगा, जिसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसे में 2022 तक ‘‘सबके लिए आवास’ के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए रेरा और रियल एस्टेट की भूमिका सर्वोपरि है।
- रियल एस्टेट से जुड़ी हर परियोजना को 60 से 100 अनुमोदनों से होकर गुज़रना पड़ता है, जिसमें विभिन्न हितधारकों जैसे आर्कीटेक्ट, इंजीनियर, काॅन्ट्रेक्टर की भूमिका होती है, साथ ही रेरा की ओर से विश्वसनीयता की भी अपेक्षा रहती है। क्रेडाई ने रेरा से अनुरोध किया कि डेवलपर्स के साथ निष्पक्ष एवं उचित व्यवहार किया जाए, उनके लिए भरोसे और विश्वसनीयता से युक्त माहौल बनाया जाए।