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श‍िवसेना बोली, यदि कोई सरकार नहीं बनाता तो हम तैयार, कांग्रेस दुश्‍मन नहीं

Maharashtra Government Formation महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने भाजपा विधायक दल के नेता देवेंद्र फड़नवीस को सरकार बनाने का निमंत्रण भेजा है। शनिवार आधी रात को राज्य विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने से बमुश्किल चार घंटे पहले राज्यपाल ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस को पत्र भेजकर यह बताने के लिए कहा कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र में सरकार बनाने की इच्‍छुक है या नहीं… वहीं शिवसेना ने कहा है कि यदि कोई सरकार बनाने के लिए तैयार नहीं है तो शिवसेना इसका जिम्‍मा संभाल सकती है।

शिवसेना नेता संजय राउत (Shiv Sena leader Sanjay Raut) ने कहा कि अगर कोई सरकार बनाने को तैयार नहीं है तो हम यह जिम्‍मा संभाल सकते हैं। यही नहीं राउत ने कांग्रेस से भी नजदीकी के संकेत दिए। उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस राज्‍य की दुश्‍मन नहीं है। सभी पार्टियों के बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद होते हैं। गौरतलब है कि राज्‍यपाल द्वारा भाजपा को सरकार बनाने का न्‍यौता देने के बाद से राज्‍य में सियासी सरगर्मी एकबार फ‍िर तेज हो गई है। कुछ रिपोर्टों के मुताबिक, शिवसेना ने इस मद्देनजर आज दोपहर 12 बजे पार्टी की बैठक बुलाई है।

इस बीच मिलिंद देवड़ा ने भी राज्यपाल से कांग्रेस-एनसीपी को सरकार बनाने का न्योदा देने की अपील की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, भाजपा और शिवसेना ने सरकार बनाने से इनकार कर दिया है, ऐसे में राज्यपाल को सूबे के दूसरे सबसे बड़े गठबंधन राकांपा और कांग्रेस को सरकार बनाने का न्यौता देना चाहिए। दूसरी ओर शिवसेना ने एनसीपी से नजदीकी बढ़ाने के संकेत दिए हैं। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में एनसीपी प्रमुख शरद पवार की तारीफ की है। सामना में कहा गया है कि राज्‍य में सरकार के गठन में दिग्‍गज नेता शरद पवार की भूमिका बेहद महत्‍वपूर्ण हो सकती है।

वहीं भाजपा ने कहा है कि वह रविवार को कोर कमेटी की बैठक के बाद राज्यपाल को बताएगी कि वह सरकार बनाना चाहती है, या नहीं। भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में ही तय होगा कि भाजपा का सरकार बनाने को लेकर क्‍या रुख होगा। महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल नौ नवंबर को समाप्त हो गया है और भाजपा-शिवसेना के बीच सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध खत्‍म नहीं हुआ है।

इसी बीच खरीद-फरोख्त की आशंका को देखते हुए महाराष्ट्र कांग्रेस के अपने 34 विधायकों को राजस्थान भेज दिया है। बीते दिनों कांग्रेस ने विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया था। कांग्रेस के नेता विजय वडेट्टीवार ने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र में विधायकों को पार्टी बदलने के लिए 25 करोड़ से 50 करोड़ रुपए तक की पेशकश की जा रही है। दूसरी ओर शिवसेना भी अपने विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंका से सचेत है।

बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा के नतीजे 24 अक्‍टूबर को जारी हुए थे, लेकिन कल तक किसी भी दल या गठबंधन ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया था। यही वजह है कि राज्यपाल ने सरकार बनाने की संभावनाओं को तलाशने के लिए 105 सीटें जीतनेवाली सबसे बड़ी पार्टी भाजपा को सरकार बनाने के लिए न्‍यौता दिया है। हालांकि, 56 सीटें जीतने वाली शिवसेना 170 से ज्यादा विधायकों के समर्थन का दावा कर रही है।

राकांपा के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा है कि राज्यपाल का निर्णय देर से आया है। बता दें कि महाराष्‍ट्र के 59 वर्षों के सियासी इतिहास में केवल दो बार राष्ट्रपति शासन रहा है। सन 1980 में फरवरी से जून और बाद में साल 2014 में सितंबर से अक्टूबर तक महज 33 दिन तक राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था। विश्‍लेषकों की मानें तो भाजपा यदि सरकार बनाने से इंकार कर देती है, तो राज्यपाल के पास दूसरे सबसे बड़े दल, यानी शिवसेना को सरकार बनाने के लिए बुलाना पड़ेगा।

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