विशेषज्ञ ट्रेंट पेनहम ने कहा- ऑस्ट्रेलिया के जंगलों की आग के लिए भारत का मानसून जिम्मेदार
ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी भीषण आग के लिए कुछ हद तक भारत के मानसून का देरी से आना जिम्मेदार हो सकता है। ईंधन, मौसम एवं भौगोलिक स्थितियों के वास्तविक चित्रणों का प्रयोग कर जंगलों की आग की संरचना एवं प्रकृति का अध्ययन करने वाले विशेषज्ञ ट्रेंट पेनहम ने यह बात कही है। पेनहम ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में लगी इस आग को भारत में मानसून सीजन देर से खत्म होने से जोड़ कर देखने पर कुछ हद तक समझा जा सकता है। ऑस्ट्रेलिया का न्यू साउथ वेल्स राज्य इस साल की सबसे भयंकर आग से जूझ रहा है। इस आग में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है, हजारों लोग विस्थापित हो गए और 150 से अधिक घर बर्बाद हो गए।
पेनहम ने कहा, ‘वैश्विक तंत्र सब आपस में जुड़े हुए हैं। हम उन्हें अलग कर नहीं देख सकते। लेकिन, अगर आप किसी एक इलाके में हैं तो आपके लिए यह सोचना मुश्किल होगा कि 10,000 किलोमीटर दूर जो मौसम है वह असल में यहां भी असर डाल रहा होगा।’ उन्होंने कहा कि भारत में पिछले महीने के मध्य तक रिकॉर्ड तोड़ बारिश नहीं थमी थी जबकि, एशिया में दक्षिण-पश्चिम मानसून हर साल जून से सितंबर के बीच खत्म हो जाता है और वे हवाएं फिर क्षेत्र से दक्षिण की तरफ बढ़ती हैं।’
उन्होंने कहा कि इस समय इन क्षेत्रों में सामान्य तौर पर जो बारिश होती है वह दरअसल, किसी वैश्विक घटना के चलते नहीं हुई, और इस वजह से ये क्षेत्र गर्म, शुष्क एवं तेज हवाओं के असर में रहे। भीषण आग के लिए ये सारी स्थितियां अनुकूल होती हैं जो कि इस वक्त हम देख भी रहे हैं।
तेजी से बढ़ रही आग की लपटें, आपातकाल घोषित
ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर जंगलों में लगी आग की चपेट में आने से तीन लोगों की मौत होने और 150 से अधिक घरों के जल के खाक होने के बाद यह घोषणा की गई। न्यू साउथ वेल्स राज्य के आपातकाल सेवा मंत्री डेविड इलियट ने कहा कि स्थानीय निवासी ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हैं, जो अब तक की सबसे खतरनाक आग में बदल सकती है।
ऑस्ट्रेलिया के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य न्यू साउथ वेल्स में तेज हवाओं के कारण आग फैल गई। न्यू साउथ वेल्स की नेता ग्लैडीस बेरेजिक्लयन ने सिडनी में कहा, ‘विनाशकारी मौसम का मतलब है कि चीजें तेजी से बदल सकती है।’