रुद्रपुर : एटीएम को हैक कर ऊधमङ्क्षसह नगर, नैनीताल व अल्मोड़ा के अलग-अलग एटीएम से करोड़ों रुपये उड़ाने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के 15 बदमाशों के खिलाफ साइबर सेल देहरादून में मुकदमा दर्ज किया गया है। मामले में साइबर सेल पुलिस ने रुद्रपुर कोतवाल कैलाश भट्ट से संपर्क कर जानकारी जुटाई।
पुलिस ने इस तरह से पकड़े आरोपी
बता दें कि 15 सितंबर को पुलिस को यहां ब्लॉक रोड पर कार में पांच संदिग्ध युवक बैठे मिले थे। तलाशी में उनसे अलग-अलग बैंकों के एटीएम कार्ड और रुपये बरामद हुए। पूछताछ में उन्होंने बताया कि वे चकेरी, जिला कानपुर से अपने साथियों के साथ रुद्रपुर आए हैं। साथ ही एटीएम हैक कर रुपये उड़ा लेते हैं। यह भी बताया कि उनके तीन साथी एटीएम से रुपये निकालने गए हैं। इस पर उनकी निशानदेही पर पुलिस ने तीनों आरोपितों को भी काशीपुर रोड स्थित फ्लाई ओवर के पास से दो बाइक के साथ गिरफ्तार कर लिया था। पूछताछ में उन्होंने अपना नाम किशन कश्यप, रविकांत यादव, राहुल कनौजिया, जीत यादव, रवि कुमार, आशीष उर्फ अमन, रोहित, शिवम तिवारी बताया। उनसे अलग-अलग बैंकों के 61 एटीएम कार्ड, एक कार, दो बाइक समेत लाखों की नकदी बरामद की थी। बाद में पुलिस ने उनकी निशानदेही पर गिरोह से जुड़े सात और सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इधर, देहरादून और आसपास के जिलों में भी इस गिरोह के सदस्यों द्वारा कई वारदात को अंजाम देने की पुष्टि हुई है। इस आधार पर देहरादून साइबर सेल में गिरफ्तार 15 हैकर्स के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
ऐसे हैक करते थे एटीएम
गिरफ्तार गिरोह के सदस्य अपने दोस्तों, रिश्तेदार, जान-पहचान और छात्रों से तीन हजार रुपये पर एटीएम कार्ड किराये में लेते थे। इनमें नाममात्र की राशि होती थी। इसके बाद वे एटीएम की जानकारी लेकर कार्ड धारक से अपना मोबाइल नंबर भी खाते में जुड़वा लेते थे। इसके बाद उन खातों में 10-10 हजार रुपये भी जमा कर ग्रुप में दूर-दराज के क्षेत्रों में जाते थे। वहां एकांत में स्थित एटीएम मशीन को टारगेट बनाते थे। जैसे ही एटीएम मशीन से रुपये निकलते, वे बिप की तीन आवाज के बाद कैंसिल का बटन दबा देते। साथ ही एटीएम का बॉक्स वाले शटर को दबाए रखते। इसी बीच कैंसिल होने पर रुपये शटर में आधे अंदर और आधे बाहर फंस जाते। इस पर वह बैंक के कस्टमर केयर नंबर पर शिकायत दर्ज करा शटर में फंसे रुपये खींच लेते। इस तरह से कस्टमर केयर में शिकायत के बाद बैंक ट्रांजेक्शन चेक होता तो आहरण रद्द दिखता है। इस तरह से गिरोह अब तक करोड़ों रुपये पार कर चुका है।