उत्तर प्रदेश

नजीर : छह वर्षीय बालिका के हत्यारे बलात्कारी को फांसी

लखनऊ: विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अरविंद मिश्र ने शुक्रवार को खुली अदालत में थाना सहादतगंज में नाबालिग से हुए रेप के प्रकरण में अभियुक्त बब्लू उर्फ अरफात निवासी बाबा हजारा बाग, गढी़ पीर खां थाना ठाकुर गंज लखनऊ को दोषी करार देते हुये फांसी का सजा सुनाई. इस मामले साल 2019 में 15 सितम्बर को अभियुक्त बब्लू उर्फ अरफात ने  छह वर्षीय बालिका के अपहरण के बाद बलात्कार कर निर्मम हत्या के मामले में धारा 364 में आजीवन कारावास और धारा 302 व 376  क ख में अभियुक्त बब्लू उर्फ अरफात को फांसी की सजा सुनाई.

बलात्कार के बाद की थी निर्मम हत्या, बालिका के घर पहले से था आना-जाना

बीते साल 15 सितम्बर को मृतक बालिका के घर पर अभियुक्त बब्लू उर्फ अरफात जिसका की बालिका के घर पहले से आना-जाना था और मृतका का मुँह बोला मामा कहलाता था. उसने  पानी पीने के बहाने मृतका के घर आया और छह वर्ष की अबोध बालिका ने ही उसे अपने हाथो से पानी दिया. उसके बाद अभियुक्त बब्लू बालिका की नानी को यह बताकर कि उसे टॉफी दिलाने ले जा रहा हैं, साथ लेकर चला गया और उसके दो-तीन घंटे बाद अभियुक्त  के घर उसके बेड के नीचे से लड़की का शव बरामद हुआ.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट मे मृतका के गुप्तांग में पाया गया था काफी गहरा घाव

इसमें मृतका के साथ बलात्कार के बाद पहले चाकू से उसका गला रेतने का प्रयास किया गया और असफल रहने पर गला दबा कर उसकी निर्मम हत्या कर दी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट मे मृतका के गुप्तांग में भी काफी गहरा घाव पाया गया था. बताते चले कि पूरे देश को हिला देने वाले बेंगलूरू रेपकांड और उसके दोषियो की जिस प्रकार भागते समय पुलिस एनकाउंटर में मार गिराया गया. उसके बाद निर्भया गैंगरेप केस में गुनाहगारों को फांसी की सजा मिलना तय माना जा रहा है.
इसी को देखते हुए लखनऊ की पाक्सो अदालत के इस फैसले ने छोटे बच्चो के माता पिता में व्याप्त अज्ञात भय को समाप्त करने के लिए अदालत का यह फैसला एक नजीर होगा.  अब लखनऊ के विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अरविंद मिश्र द्वारा खुली अदालत में दिये गये इस कड़े फैसले से छोटे बच्चो के साथ दुष्कर्म और रेप अपहरण और हत्या जैसे जघन्य अपराधो पर जरूर नकेल कसेगी.
वर्तमान समय में अदालत के इस कठोर फैसले से पीड़ितो में न्याय की उम्मीद बरकरार रहेगी. वहीं 2018 में लोकसभा में भी सोलह वर्ष से कम की बालिका के साथ रेप जैसी घटना पर बीस साल या आजीवन कारावास व बारह वर्ष से कम बच्ची का रेप होने पर फांसी देने के लिए सभी दलो की सहमति से कानून बनाने का विधेयक पारित हुआ था.

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