बजट में रखा गया पर्यावरण का भी ध्यान, बंद किए जाएंगे पुराने पॉवर प्लांट
पर्यावरण पर बढ़ते खतरे को देखते हुए खासी चिंता जताई गई है। जहां आबादी 10 लाख से ज्यादा है, वहां साफ हवा बड़ी चुनौती है ऐसे में दिल्ली समेत देश कई हिस्सों में बढ़ रहे वायु प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के लिए बड़ा एलान किया गया है। स्वच्छ और शुद्ध आबोहवा के लिए बजट में 4,400 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। स्वच्छ हवा के लिए काम करने वाले राज्यों के लिए मापदंड भी स्थापित किए जाएंगे।
वित्त मंत्री ने कहा, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन- इंटरनेशनल सोलर अलायंस बढ़ाने की कोशिश जारी रहेगी। पेरिस सम्मेलन में हमने जो प्रतिबद्धता जताई थी उसे 1 अप्रैल से लागू करना शुरू करेंगे। इसके तहत ज्यादा कार्बन उत्सर्जित कर रहे पुराने थर्मल पॉवर को बंद किया जाएगा। कोयले वाले पावर प्लांट जल्द से जल्द बंद होंगे। उस जमीन का इस्तेमाल किसी और काम के लिए होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने पिछले साल 10 जनवरी को नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम लांच किया था, जिसके तहत 102 शहरों को लाया गया था। अब इस प्रोग्राम को बड़े स्तर तक बढ़ाकर दूसरे बड़े शहरों तक ले जाने का भी प्रावधान है।
गौरतलब है कि पेरिस समझौते में भी भारत की ओर से कहा गया था कि हम ऐसा विकास करेंगे जो पर्यावरण के अनुकूल हो। यह अहम बिंदु है। वर्ष 2019 में जारी हुई स्टेट ऑफ ग्लोब एयर रिपोर्ट 2019 में कहा भी गया था कि वायु प्रदूषण दुनिया के आगे तीसरे बड़े खतरे के रूप उभरा है। इससे अकेले भारत में वर्ष 2017 में 12 लाख मौत हुई हैं।
वक्त की मांग के अनुरूप नहीं मिला बजट
देश और दुनिया जहां प्रदूषण की मार से झेल रही हैं, वहीं इस बाबत बजट में खास इजाफा नहीं किया गया है। इसके अलावा यह बजट भी बेहद कम है। बता दें कि पिछले वित्त वर्ष में पर्यावरण बजट में केवल 3111.20 करोड़ की ही रकम दी गई थी। उससे पहले 2017-18 में तो वन एवं पर्यावरण के हिस्से में केवल 2586.67 करोड़ रुपये ही आए थे। चिंता तो सभी मुल्क करते हैं, पर आगे आने और जमीनी कार्रवाई पर पीछे रह जाते हैं।
समय रहते चेत जाएं…
प्रदूषण से तबाही रोकने को समय रहते चेतना होगा अन्यथा परिणाम बहुत भयावह होंगे।
-डॉ. अनिल जोशी, पर्यावरणविद
अंतरिक्ष में छलांग लगाने को 340 करोड़ ज्यादा मिले
अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए फंड आवंटन में 340 करोड़ की मामूली वृद्धि की है। अंतरिक्ष कार्यक्रमों को कुल 13,479.47 करोड़ आवंटित किए गए हैं। पिछले वर्ष 2019-20 में 13,139.26 करोड़ दिए गए थे।
सेंटर सेक्टर प्रोजेक्ट्स के लिए फंड बढ़ाकर 12,587 करोड़, स्पेस टेक्नोलॉजी के लिए 9,761 करोड़ रुपये, अंतरिक्ष एप्लीकेशन के लिए 1,810 करोड़ रुपये, स्पेस साइंस के लिए 265 करोड़ रुपये और इनसेट उपग्रह सिस्टम के लिए 750 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को सरकार ने चंद्रयान-3 के लिए भी मंजूरी दे दी है। इसरो इस पर तेजी से काम कर रहा है। इसमें खासे बजट की जरूरत है। इसरों के कई अन्य महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट हैं, जिनके लिए काफी धन की जरूरत होगी।