नई दिल्ली. पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की बुक ‘नाइदर अ हॉक, नॉर अ डव’ की लॉन्चिंग पर महाराष्ट्र में घमासान मचा हुआ है। शिवसेना विरोध में उतरी हुई है, सोमवार को बुक लॉन्च इवेंट के ऑर्गनाइजर सुधींद्र कुलकर्णी पर कालिख पोत दी गई। कसूरी की यह बुक भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर लिखी गई है। इसी विवाद के बीच आपको बता रहा है कुछ किताबों के बारें में, जिन पर काफी विवाद हुआ और कुछ पर भारत में बैन भी लगा है।
द रेड सारी
कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी की जिंदगी पर स्पेनिश रायटर जेवियर मोरो ने एक बुक ‘द रेड सारी’ (लाल साड़ी) लिखी थी। इसमें सोनिया गांधी की जिंदगी के अनछुए पहलुओं का जिक्र किया गया। कांग्रेस ने इस बुक का विरोध किया और भारत में इस पर बैन की मांग की थी। हालांकि, राइटर ने दावा किया था कि उनकी बुक की कहानी काल्पनिक है, लेकिन कांग्रेस राइटर की इस दलील को मानने को तैयार नहीं हुई। 2008 में लिखी गई यह बुक जनवरी 2015 में भारत में पब्लिश हुई।
द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर: मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन के मीडिया एडवाइजर रहे पत्रकार संजय बारू की किताब पर कई सवाल उठे और विरोध भी हुआ। साथ ही, किताब में लिखी गई बातों को कांग्रेस और पीएमओ ने बेसलेस करार दिया था। मनमोहन सिंह की बेटी उपिंदर सिंह ने इसे उनके पिता की इमेज खराब करने वाली किताब बताया था। बारू की इस किताब में मनमोहन सिंह को एक कमजोर प्रधानमंत्री बताया गया था।
जिन्ना: इंडिया-पार्टिशन-इंडीपेंडेंस
बीजेपी के पूर्व सीनियर नेता जसवंत सिंह की किताब जिन्ना: इंडिया-पार्टिशन-इंडिपेंडेंस (जिन्ना: भारत विभाजन के आईने में) में मोहम्मद अली जिन्ना को लेकर नरम रवैय्या अख्तियार किया गया था। साथ ही, जसवंत सिंह ने ये भी लिखा कि वे देश के विभाजन के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। किताब में जिन्ना से ज्यादा जवाहर लाल नेहरू और सरदार पटेल को देश के बंटवारे के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। 2009 में इस किताब पर खूब हंगामा हुआ, पार्टी विरोधी सोच के आरोप के बाद संघ की हाई लेवल मीटिंग हुई। इसके बाद हमेशा के लिए जसवंत सिंह की बीजेपी से छुट्टी हो गई।
द प्राइज ऑफ पावर
सेमर हर्श की किताब द प्राइज ऑफ पावर में पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA का एजेंट बताया गया था। किताब में दावा किया गया कि देसाई अपना ही यूरिन पीते थे और देश की खुफिया सूचनाएं सीआईए के साथ साझा करते थे। विरोध के बाद इस किताब पर भारत में बैन लगा दिया गया।
सेमर हर्श की किताब द प्राइज ऑफ पावर में पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA का एजेंट बताया गया था। किताब में दावा किया गया कि देसाई अपना ही यूरिन पीते थे और देश की खुफिया सूचनाएं सीआईए के साथ साझा करते थे। विरोध के बाद इस किताब पर भारत में बैन लगा दिया गया।
लज्जा
बांग्लादेशी राइटर तस्लीमा नसरीन आज तक अपनी किताब लज्जा को लेकर कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। उनके खिलाफ बांग्लादेश में फतवा निकाला गया। लज्जा सन 1993 के बाबरी विध्वंस की पृष्ठिभूमि पर लिखी गई है। जिसका बांग्लादेश में पड़े असर को बताया गया है। तस्लीमा पर इस्लाम को बदनाम करने का आरोप लगा है।
बांग्लादेशी राइटर तस्लीमा नसरीन आज तक अपनी किताब लज्जा को लेकर कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। उनके खिलाफ बांग्लादेश में फतवा निकाला गया। लज्जा सन 1993 के बाबरी विध्वंस की पृष्ठिभूमि पर लिखी गई है। जिसका बांग्लादेश में पड़े असर को बताया गया है। तस्लीमा पर इस्लाम को बदनाम करने का आरोप लगा है।
द सेटेनिक वर्सेस
मशहूर रायटर सलमान रुश्दी की ये किताब काफी विवादित रही थी। सलमान रुश्दी पर मुस्लिम धर्म की आस्था पर सवाल उठाने और मोहम्मद साहब का अपमान करने का आरोप लगा। ये रुश्दी का लिखा चौथा उपन्यास था। इस किताब पर भारत समेत कई देशों में प्रतिबंध लगा है।