नई दिल्ली : एक सर्वे में यह बात सामने आयी कि ट्रक ड्राइवर और ट्रकों के मालिक हर साल करीब 48 हजार करोड़ रुपये पुलिसवालों और सड़क पर खड़े अन्य अधिकारियों को रिश्वत के तौर पर देते हैं। ट्रैफिक और हाईवे पुलिस समेत ट्रांसपोर्ट और टैक्स अधिकारी भी रिश्वत लेते हैं, जहां जिसके बाद ट्रक को आगे जाने दिया जाता है। आपको बता दें कि रिपोर्ट में पूरे देश में ट्रक ड्राइवर किन परिस्थितियों में काम करते है और किस तरह के मानसिक और शारीरिक दबाव में रहते हैं, यह बताया गया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ‘माता के जागरण समिति’ जैसे स्थानिय ग्रुप भी धमकी देकर ट्रक ड्राइवरों से पैसा वसूलते हैं, नहीं देने पर रास्ता नहीं खाली करते। जिन ड्राइवरों से बात की गई उनमें से 82 फीसदी ने माना है कि उन्होंने अपनी अंतिम यात्रा के दौरान किसी न किसी अधिकारी को रिश्वत दी। स्टडी के दौरान 1217 ट्रक ड्राइवरों और 110 ट्रक मालिकों से बात की गई, जो इस सेक्टर में हो रहे बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार को उजागर करती है। बताया गया कि हर यात्रा के दौरान औसतन 1257 रुपये की रिश्वत अधिकारियों को एक ट्रक ड्राइवर ने दी। कुल मिलाकर, लगभग 2 प्रतिशत ट्रक ड्राइवरों ने कर अधिकारियों को रिश्वत दी। रिपोर्ट में बताया गया कि गुवाहाटी में 97.5 फीसदी ड्राइवरों ने रिश्वत देने की बात स्वीकारी। इसके बाद 89 फीसदी के साथ चेन्नई दूसरे और 84.4 फीसदी के साथ दिल्ली तीसरे नंबर पर है।
44 फीसदी ड्राइवरों ने आरटीओ ऑफिसरो को भी रिश्वत देने की बात कही। इनमें बेगलुरु सबसे ऊपर है जहां 94 फीसदी ने इस बात को स्वीकारा। इसमें एक खास खुलाया भी हुआ, जिसमें बताया गया कि अधिकारी रिश्वत लेने के बाद ड्राइवरों को एक स्लिप देते हैं, जिससे ड्राइवर अगले चेकपॉइंट को पार कर जाए। ट्रक ड्राइवर दिन में लगभग 12 घंटे ट्रक चलाते है और करीब 50 फीसद ड्राइवर तो लगातार वाहन चलाते हैं। सर्वे में शामिल हर 5 में से एक ट्रक ड्राइवर ने यह बात मानी है वे ट्रक चलाते समय नींद से बचने के लिए ड्रग्स का सेवन करते हैं। देश में सबसे अधिक ऐसे ड्राइवर कोलकाता में मिले।